नीरज उत्तराखंडी/पुरोला(उत्तरकाशी)
जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड पुरोला के सीमांत क्षेत्र सरबडियार के लेवटाडी गाँव की 20 वर्षीय बालिका कंचन पुत्री उमराल सिंह को वीरवार को अचानक छाती में दर्द हुआ तो ग्रामीणों ने उसे कुर्सी की डंडी बनाकर पैदल पंगडंडी से गंराली पुल पहुंचाया।
वहां से परिजनों ने बालिका को वाहन बुक कर सीएचसी बड़कोट पहुंचाया। जहां उपचार के दौरान बालिका ने दम तोड़ दिया।
शुक्रवार को बालिका का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंपा दिया गया और उसका यमुना घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
बताते चले कि सरबडियार क्षेत्र की दुर्गम राहें और दुरूह जिन्दगी की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कई ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं।
इससे पूर्व भी एक गर्भवती महिला की मौत तथा एक अन्य व्यक्ति की बडियार गाड़ पार करते समय फिसलने से गाड़ में बहने से मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार और सिस्टम नहीं चेता और न ही जन प्रतिनिधियों ने सुध ली।
सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश रावत ने बताया कि क्षेत्र में यातायात की कोई सुविधा नहीं है और डिगाड़ी में आयुर्वेदिक अस्पताल बदहाल पड़ा है, जो एक फार्मेसिस्ट के भरोसे सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रहा है। सरकारी सिस्टम तभी जागता है, जब कोई घटना घटित होती है।
बहरहाल, समय पर उपचार न मिलने से असमय काल के गाल में एक और बालिका समा गई।
कहने को तो डिगाड़ी गांव में आयुर्वेदिक अस्पताल है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में बदहाल पड़ा है।
सीमांत में बदहाल पड़ी स्वास्थ और दूरसंचार सेवा तथा यातायात की कोई सुविधा न होने का खामियाजा सीमांत के वाशिदों को अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ रहा है।
सवाल यही भी कि क्या सरकार शासन प्रशासन और जन प्रतिनिधि क्षेत्र में घटित हो रही इन घटनाओं से सबक लेकर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर अमल करते हैं या फिर एक ओर घटना का इंतजार करते हैं। बालिका की मौत से क्षेत्र में आक्रोश और मातम का मौहल है।