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हरिद्वार सनातन स्वरूप बनाए रखने की चुनौती

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हरिद्वार सनातन स्वरूप बनाए रखने की चुनौती

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति का बोध वाक्य ही सनातन धर्म का सत्य है। सभी मत, पंथ, उपासना विधि, संप्रदाय से जुड़े संतजन उसी सत्य की उपासना के लिए और उसकी पुनर्प्रतिष्ठा के लिए अपने आप को समर्पित किये हुए हैं। भारत की संत शक्ति कभी पलायन का रास्ता नहीं अपनाती। वो हर चुनौती से जूझने का जज्बा रखती है और इसका उद्देश्य केवल लोक कल्याण है। गांव ,गांव में जनजागरण कर रहे हमारे पूज्य संतगण आज एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को ही सिद्ध कर रहे हैं। सनातन धर्म विश्व में शांति की गारंटी है। सनातन नगरी हरिद्वार के गंगा घाटों का देव स्वरूप बनाए रखने को लेकर हरिद्वार प्रशासन को लगातार चुनौतियां मिल रही हैं। कुछ दिन पहले पावन हर की पैड़ी के भागीरथ पुल के पास एक मुस्लिम युवक को अंडे बेचते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया है। निजामुद्दीन नाम का ये युवक मुरादाबाद का रहने वाला है।

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कुछ माह पहले भी एक मुस्लिम युवक गंगा घाट के पास छद्म नाम से रहकर एक रेस्त्रां चलाते हुए पकड़ा गया,जिसे गंगा सभा के पंडों ने पुलिस के हवाले किया था।हर की पैड़ी सहित अन्य घाटों में गैर हिंदू लोगों के आने जाने पर पाबंदी है। ऐसा नियम आज का नहीं बल्कि ब्रिटिश शासन काल से चला आ रहा है और ये हरिद्वार नगर पालिका/ निगम के बायलॉज में भी लिखा हुआ है।हरिद्वार तीर्थ स्थान है। सनातन धर्म में इस गंगा नगरी को विशेष महत्व है। इस हिंदू तीर्थ स्थल को शराब, अंडा, मांस आदि की बिक्री से प्रतिबंधित क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है।

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सनातन रक्षक अखाड़े, मठ आश्रम यहीं होने के कारण हरिद्वार को संवेदनशील तीर्थ स्थल माना जाता रहा है। आस्था और विश्वास की प्रतीक इस पावन नगरी की गंगा में ही अस्थियां प्रवाहित किए जाने से लेकर सनातन धर्म को मानने वालो का जन्म से लेकर मृत्यु तक की धार्मिक सांस्कृतिक रीति रिवाज यहां के तीर्थ पुरोहित संपन्न करवाते हैं।हरिद्वार में जहां गैर हिंदू लोगों के रात में रुकने अथवा संपत्ति खरीदने पर पाबंदी है। वहीं समय के बदलाव के साथ-साथ मुस्लिम आबादी ने इस सनातन तीर्थ को चारों तरफ से घेर लिया है। मस्जिद, मदरसे, मजारें इस तीर्थ स्थल के भीतर प्रवेश लेने लगी हैं। हरिद्वार के ज्वालापुर, आर्य चौक तक बकरे, मुर्गे, मांस की दुकानें, नॉन वेज के फूड काउंटर लग रहे हैं। इन दुकानों को मुस्लिम ही चला रहे हैं। इस पर हिंदू संगठनों ने कई बार एतराज जताया है। हिंदू संगठन जब शोर मचाते हैं तो एक-दो दिन पुलिस की सख्ती होती है फिर उसके बाद हालात वही हो जाते हैं।  ऐसी भी खबर पुख्ता है कि हरिद्वार के सीमा क्षेत्र से जोमैटो, स्विगी आदि फूड स्प्लायर नॉनवेज सामग्री की होम डिलीवरी भी दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि हरिद्वार प्रशासन इस मामले में गभीर रुख नहीं अपना रहा है, जिस कारण स्थानीय हिंदू संगठनों में गुस्सा बढ़ रहा है।

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भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म अनादि काल से विश्व का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों का बोध अवश्य होना चाहिए। सनातन परंपराएं निर्वहन करते हुए राष्ट्र को उन्नति की ओर पहुंचाना ही संतों का मूल उद्देश्य है। युवा पीढ़ी और संत समाज भारत की राष्ट्रीय धरोहर हैं। जिनके कंधे पर भविष्य की जिम्मेदारी है। पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर युवाओं को संस्कारवान बनाना प्रत्येक परिवार और समाज का कर्तव्य है और संत समाज अपने सहयोग से भावी पीढ़ी को सुसंस्कारबान बना रहा है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद पुरी महाराज ने कहा कि विद्वानों की शरण में रहकर व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को एक नई दिशा प्रदान की है।

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गंगा घाटों की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए इस योजना को ‘मेरा निज घाट’ योजना नाम दिया गया है। इसमें धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के साथ 5 साल का अनुबंध किया जाएगा। बता दें कि हरिद्वार में कुल 84 घाट हैं, जिसकी साफ सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। इस पूरी प्रक्रिया में 40 लाख रुपए सालाना खर्च आता है, जिसका अनुबंध भी अब समाप्त हो गया है। हरिद्वार के पूर्व डीएम रहे रविशंकर ने घाटों को गोद देने की ये योजना बनाई थी, लेकिन तब कोरोना काल के चलते ये पूरी नहीं हो सकी। अब हरिद्वार के जिलाधिकारी ने इस योजना को गंभीरता से लेते हुए हरिद्वार के तमाम घाटों को गोद देने का फैसला लिया है। इस पूरे कार्य के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जिसमें हरिद्वार के सीडीओ मुख्य नगर आयुक्त शामिल हैं। आवेदन हरिद्वार नगर निगम में स्वीकार किए जा रहे हैं। आवेदनों को देखते हुए किन संस्थाओं को कौन सा घाट को देना है इसकी व्यवस्था की जाएगी।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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