...तो धामी (dhami) की अनदेखी पड़ सकती है कांग्रेस (congress) पर भारी! - Mukhyadhara

…तो धामी (dhami) की अनदेखी पड़ सकती है कांग्रेस (congress) पर भारी!

admin
mla harish dhami

मुख्यधारा/देहरादून

कहते हैं ‘बूंद बूंद से घड़ा भरता है’, किंतु यह कहावत उत्तराखंड कांग्रेस (congress) पर फिलहाल सटीक बैठती नहीं दिखाई दे रही है। उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद चरमराई पार्टी की नींव जैसे ही मजबूत करने की कोशिश की गई, अचानक से सियासी ज्वार-भाटे के थपेड़े से वह फिर से डगमगा गई। अब नए नवेले कप्तान के लिए कांग्रेस के कुनबे को अपने बाड़े में एक साथ एकत्र करने की कड़ी चुनौती खड़ी है।

FB IMG 1650258953387

हाल ही में उत्तराखंड कांग्रेस (congress) ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व उपनेता प्रतिपक्ष भुवनचंद्र कापड़ी की तैनाती क्या की, इससे प्रदेश कांग्रेस के भीतर घमासान मच गया। पार्टी के इस बार जीते हुए 19 विधायकों में से कई विधायक उपेक्षा से खिन्न हो गए। कई ने खुलकर नाराजगी का इजहार भी किया। भूल सुधारने की मांग को लेकर कई जगह सामूहिक इस्तीफे तक दे दिए गए। गत दिवस नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने विधिवत अध्यक्ष पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस दौरान भी गुटबाजी खुलकर सभी के सामने आई। पूर्व सीएम हरीश रावत ने जहां गुगली फेंककर सभी को बिना कहे बहुत बातें कह दी।

पूर्व (congress) प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सुनाई खरी-खरी

वीडियो: 

पूर्व (congress) प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी मंच से खूब खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि वे जहां खड़े होंगे, लाइन वहीं से शुरू होगी। इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने किस दबाव में अपनी जिम्मेदारी संभाली होगी। हालांकि उन्होंने छोटे भाई के रूप में नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को अपना आशीर्वाद के साथ ही पार्टी को प्रदेश में मजबूत करने का मंत्र भी दिया। इस सबसे इतर धारचूला के वरिष्ठ विधायक हरीश धामी का बयान सामने आया है कि वे आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस (congress) के सिंबल पर नहीं लड़ेंगे।

बताते चलें कि हरीश धामी धारचूला के ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने 2017 की प्रचंड मोदी लहर में भी कांग्रेस का झंडा ऊंचा बनाए रखा और शानदार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। यही नहीं कांग्रेस के प्रति उनका समर्पण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे तत्कालीन सीएम हरीश रावत के लिए अपनी विधायकी छोड़ चुके हैं। वे वर्तमान में भी धारचूला से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। कांग्रेस (congress) के प्रति समर्पण भाव से काम करने के बावजूद उचित सम्मान न मिलने से वे पार्टी से खासे नाराज चल रहे हैं। आजकल वे अपनी विधानसभा क्षेत्र में जाकर अपनी जनता का आभार जता रहे हैं और उन्हें अपने आगामी फैसले लेने के लिए भी सुझाव मांग रहे हैं।

विधायक हरीश धामी पार्टी की उपेक्षा से खिन्न होकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  के लिए सीट छोडऩे की बात भी कह चुके हैं। उनका कहना है कि अब वे उपेक्षा को और सहन नहीं कर सकते। उन्होंने कांगे्रस (congress) के सच्चे सिपाही के रूप में काम करने पार्टी का झंडा हमेशा बुलंद रखा, किंतु पार्टी ने प्रोत्साहित करने की बजाय उनकी उपेक्षा की। सीएम धामी के लिए सीट छोडऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर मेरे क्षेत्र की जनता ही मुहर लगाएगी।

FB IMG 1650258988839

राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि यही वो वक्त है, जहां पर कांग्रेस (congress) को ‘बूंद बूंद से घड़ा भरता है’ वाले फार्मूले को अपनाने की आवश्यकता है। यानि कि अपने सभी नेताओं को एकजुट करने के लिए डैमेज कंट्रोल की राह अपनानी पार्टी हित में हो सकता है, किंतु यहां ऐसा न करके कार्यवाही की बातें सामने आ रही हैं। ऐसे में जाहिर होता है कि पार्टी उपरोक्त कहावत पर विश्वास नहीं करती।

विधायक हरीश धामी की बात को अगर छोड़ भी दें तो गत दिवस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के कार्यभार ग्रहण करने के अवसर पर कांग्रेस के 19 में से 11 विधायक नदारद रहे। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हालांकि अध्यक्ष माहरा ने अपने तरीके से विधायकों के अनुपस्थित रहने का कारण भी बताया, किंतु यह सफाई पर्याप्त नहीं दिखती।

FB IMG 1650258959164

करन माहरा के कार्यभार ग्रहण करने के अवसर पर विधायक यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, अनुपमा रावत, आदेश चौहान, सुमित हृदयेश, मनोज तिवारी, रवि बहादुर, वीरेंद्र जाति कुल आठ विधायक ही शामिल हुए। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि पार्टी में नाराजगी नहीं है तो अन्य विधायकों ने कार्यक्रम से दूरी क्यों बनाई? हालांकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सीएम हरीश रावत समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता कार्यक्रम में मौजूद रहे।

FB IMG 1650258967854

कुल मिलाकर यदि नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा धामी जैसे समर्पित विधायक को डैमेज कंट्रोल करने में सफल नहीं हो पाते हैं तो उनके नेतृत्व के शुरुआती दिनों में ही कांग्रेस को यह बड़ा झटका लग सकता है और यदि धामी कांग्रेस के हाथ से छूटे तो फिर आने वाले समय में धारचूला की पहाडिय़ों पर कमल खिलता हुआ दिखाई दे तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

बहरहाल, अब देखना यह है कि करन माहरा पर पार्टी हाईकमान ने भरोसा जताकर प्रदेश संगठन की जो जिम्मेदारी सौंपी है, वह इस पर कितना खरा उतर पाते हैं और गुटबाजी में बंटी कांग्रेस को वे कितनी एकजुटता कर पाते हैं!

Next Post

ब्रेकिंग : STF उत्तराखंड की सबसे बड़ी कार्यवाही। यहां गैंगस्टर की 153 करोड़ की चल-अचल संपत्ति की कुर्की के आदेश

देहरादून। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) उत्तराखण्ड की राज्य गठन उपरांत गैंगस्टर अधिनियम 1986 के अंतर्गत अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही की गई है। एक सौ त्रिपन करोड़ की चल अचल सम्पत्ति की कुर्की के आदेश हुए जारी उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड) […]
IMG 20220418 WA0007

यह भी पढ़े