चम्पावत जिले के मूल निवासी डॉ. शैलेश खर्कवाल (Dr. Shailesh Kharkwal) एक प्रतिष्ठित जल वैज्ञानिक - Mukhyadhara

चम्पावत जिले के मूल निवासी डॉ. शैलेश खर्कवाल (Dr. Shailesh Kharkwal) एक प्रतिष्ठित जल वैज्ञानिक

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चम्पावत जिले के मूल निवासी डॉ. शैलेश खर्कवाल (Dr. Shailesh Kharkwal) एक प्रतिष्ठित जल वैज्ञानिक

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

देशभर को पानी पिलाने वाला उत्तराखंड राज्य जल प्रबंधन में सबसे पीछे चल रहा है। जल संरक्षण के मामले फिसड्डी साबित हो रहे राज्य में पानी की कोई कमी नहीं है, गंगा और यमुना जैसी नदियों का उद्गम स्थल यहां होने के बावजूद प्रबंधन की कमी के कारण कई क्षेत्र पानी के
संकट से जूझ रहे हैं। गर्मियों में तो हालात और अधिक बदतर हो रहे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक खराब हालात उत्तराखंड और मेघालय के हैं। जिनका जल प्रबंधन के अनुसार जल सूचकांक स्कोर सिर्फ 26 है। जबकि त्रिपुरा 59अंक के साथ सबसे टाप पर है। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी उत्तराखंड से दोगुनी अच्छी है। ये स्कोर 100 अंक में से दिए जाते हैं, जिसके अनुसार 50 से कम स्कोर होने पर जल संसाधन प्रबंधन को लेकर विशेष सुधार करने की आवश्यकता होती है।

पीएम मोदी के पिछले कार्यकाल के दौरान ‘स्वच्छ भारत अभियान’ या ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को बड़ी सफलता मिली और अगले 5 साल जल अनुसंधान और विकास उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बाद जनशक्ति 4 जलशक्ति अगला राष्ट्रव्यापी अभियान होगा। यह राष्ट्रव्यापी अभियान स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए अवसरों का प्रवेश द्वार हो सकता है। उद्यमिता के लिए नवोन्मेषी दिमाग की आवश्यकता होती है जो चुनौतियों के साथ बाधाओं को भी पहचान सके और समाधान ढूंढ सके। मुझे डीडी नेशनल के एक टीवी शो के दौरान एक अद्भुत स्टार्टअप एच2ओ मंत्रा के संस्थापक डॉ. शैलेश खर्कवाल से मिलने उनकी यात्रा ने मुझे यह लिखने के लिए प्रेरित किया जो कई महत्वाकांक्षी स्टार्टअप के लिए भी मददगार हो सकता है। स्टार्टअप इंडिया न केवल संभावनाएं तलाशने में बल्कि युवाओं के लिए अवसर पैदा करने में प्रतिभाओं का योगदान सुनिश्चित करेगा।

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जल वैज्ञानिक डॉ. शैलेश खर्कवाल सिंगापुर विश्वविद्यालय में कार्यरत एक भारतीय, युवा और प्रतिभाशाली उद्यमी हैं। उनका स्टार्ट अप “H2O मंत्रा” जल का बल पंचलाइन के साथ उसी जलशक्ति मिशन पर काम कर रहा है। उन्होंने त्रद्गरू के साथ एक उद्यमी के रूप में बहुत अच्छा काम किया है और इस प्रकार वह कई महत्वाकांक्षी स्टार्टअप के लिए प्रेरणा हैं या आप स्टार्टअप इंडिया/गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस के ब्रांड एंबेसडर कह सकते हैं।मार्क जुकरबर्ग, बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स निश्चित रूप से युवा उद्यमियों के लिए उत्साह का स्रोत हैं, लेकिन कई युवा भारतीय उद्यमी भी हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद खुद को स्थापित किया।

एक भारतीय युवा के लिए वे युवा भारतीय उद्यमी, जो भारत में चुनौतियों और बाधाओं से अवगत हैं, सच्चे पथ प्रदर्शक होंगे।डॉ. शैलेश का सफर भारत के टनकपुर से शुरू होकर नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर तक का है। उन्होंने सिंगापुर को नवाचार दिए और जलशक्ति मिशन के तहत जल संरक्षण और उपचार के क्षेत्र में इसे भारत के लिए भी लागू किया। वह भारत में व्यावहारिक शिक्षा, व्यावसायिक चुनौतियों और सरकारी नीतियों की कमियों से अवगत हैं। यही कारण है कि उनकी केस स्टडी भारतीय परिप्रेक्ष्य में स्टार्ट-अप और इनोवेशन को आसानी से प्रभावी ढंग से समझाती है।

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डॉ. शैलेश के अनुसार,स्टार्ट-अप इंडिया ने उन युवा उद्यमियों को एक बड़ा अवसर दिया जो बड़े व्यापारिक घरानों के बीच अपना व्यवसाय शुरू करने में झिझक रहे थे। वास्तव में, सरल विचारधारा यह थी कि व्यवसाय अच्छे वित्त के साथ शुरू किया जा सकता है। डॉ. शैलेश आगे कहते हैं कि स्टार्टअप के लिए जाने से पहले प्रमुख पांच बातों को ध्यान में रखना चाहिए। स्पष्ट उद्देश्य जमीनी स्तर पर काम करें और एक स्पष्ट रोड मैप बनाएं प्रारंभ में स्टार्ट-अप टीम छोटी और कुशल होनी चाहिएअचानक झटकों के लिए तैयार रहें। आवश्यकताओं के अनुसार नवाचार को उन्नत करेंडॉ. शैलेश के अनुसार, स्टार्टअप इंडिया, गवर्नमेंट ई मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई गेम चेंजिंग योजनाएं हैं। ये योजनाएं न केवल रोजगार के अवसर पैदा करेंगी बल्कि सामाजिक उद्यमिता में युवाओं का योगदान बढ़ाएंगी।

स्टार्ट-अप केवल मौद्रिक नीतियों के लिए स्थापित नहीं किए जा सकते; इसे सामाजिक उद्यमिता पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।डॉ. शैलेश, आईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं और बाद में उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर से पीएचडी की। वह कई जल परियोजनाओं के लिए विश्वव्यापी सलाहकार हैं और कई जल परियोजनाओं के लिए सिंगापुर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। डॉ. शैलेश का मानना ​​है कि किसी भी स्टार्ट-अप का निर्णय लेने से पहले उद्देश्य और विचार स्पष्ट होने चाहिए और जब वह स्टार्ट-अप देश के हित में होगा तो निश्चित रूप से उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। एक बार उद्यमी के विचार और उद्देश्य स्पष्ट हो जाएं तो चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। एक उद्यमी के सामने आने वाली चुनौतियाँ:डॉ. शैलेश सिंगापुर की विशेषज्ञता और तकनीक से लैस हैं जो भारतीय जल संबंधी स्टार्टअप के पास उपलब्ध नहीं है।

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एक वैज्ञानिक होने के नाते डॉ. शैलेश चुनौतियों के समाधान के लिए नई तकनीकें पेश कर सकते हैं। इन कारकों ने उन्हें विशेष रूप से सरकारी क्षेत्रों में ग्राहकों का विश्वास अर्जित करने में मदद की। जाहिर है उनके लिए काम पाना कोई बड़ा काम नहीं है समझने वाली बात यह है कि अगर उद्देश्य साफ है तो पैसा अपने आप आता है। जब समान विचार वाले लोग एक साथ आएंगे तो उद्देश्य बड़ा हो जाएगा। बड़े पैमाने की सरकारी परियोजनाओं के लिए फंडिंग अनिवार्य है। निवेशक तभी पैसा लगाएंगे जब उन्हें स्टार्टअप के उद्देश्यों में भविष्य की संभावनाएं दिखेंगी। डॉ. शैलेश के निवेशकों का मानना ​​था कि उनकी नीतियों से लंबे समय में अच्छे परिणाम मिलेंगे। यही कारण है कि स्टार्टअप इंडिया और GeM डॉ. शैलेश के स्टार्टअप अपडेट को ट्विटर और फेसबुक पर साझा करते हैं। भारत में जल परियोजनाओं के बारे में डॉ. शैलेश की राय पर मीडिया भी गौर करता है। इस तरह उद्यमी के काम को बिना निवेश के भी पहचान और प्रमोशन मिलता है।जमीनी स्तर पर काम करें और एक स्पष्ट रोड मैप बनाएंस्टार्ट-अप इंडिया की घोषणा के तुरंत बाद H2O मंत्र अस्तित्व में आया। डॉ. शैलेश ने स्टार्टअप इंडिया और भारत में संभावित व्यावसायिक जटिलताओं के बारे में जानकारी जुटाई।

डॉ. शैलेश खर्कवाल और प्रो. हाउ योंग (निदेशक, एनयूएस पर्यावरण अनुसंधान संस्थान, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर) ने भारतीय स्टार्ट-अप व्यवसाय में चुनौतियों से निपटने के लिए एक स्पष्ट रोड मैप तैयार किया। भारतीय और सिंगापुर स्टार्ट-अप संस्कृति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। सिंगापुर स्टार्ट-अप और इनोवेशन के लिए एक स्थापित देश है। यहां तक ​​कि सिंगापुर ने इनोवेशन इंडेक्स में महाशक्ति अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया। जब सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने भारत में स्टार्ट-अप इनोवेशन के साथ काम करने का फैसला किया,तो उन्हें कईव्यावसायिक जटिलताओं का सामना करना पड़ा और उन्होंने भारतीय विशेषज्ञों की मदद ली। डॉ. शैलेश के पास हमेशा शोध करने की सबसे बड़ी ताकत है। कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने खामियों और सुविधाओं पर शोध और अध्ययन किया। इस शोध के बाद डॉ. शैलेश ने सरकारी ई मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराया और GeM ने H2Oमंत्रा के लिए नए प्रवेश द्वार खोले।

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कई स्टार्ट-अप जमीनी स्तर पर काम न करने के कारण डूब जाते हैं। किसी कंपनी को शुरू करने के लिए सपने देखना और प्रेरक कहानियाँ पर्याप्त नहीं हैं। किसी क्षेत्र में उत्पाद नवाचार या विशेषज्ञता पर्याप्त नहीं है। एक स्टार्ट-अप को व्यवसाय के हर पहलू के बारे में जागरूकता की आवश्यकता होती है। पूरा रोड मैप स्पष्ट होना चाहिए. हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लें. डॉ. शैलेश खर्कवाल की केस स्टडी कहती है कि पढ़ना,
शोध करना और बिजनेस को समझना किसी भी डिग्री या कोर्स से ज्यादा महत्वपूर्ण है। रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।।अब्दुर्रहीम खानखाना या रहीम को आप उनके दोहों के लिए जानते हैं। ऐसा ही एक मशहूर दोहा यहां लिखा गया है। रहीम सिर्फ कवि ही नहीं थे वे एक कुशल शासक और योद्धा के तौर पर भी जाने जाते थे। यही वजह है कि अकबर ने उन्हें अपने नौ रत्नों में जगह दी थी।

सबसे अहम बात ये कि रहीम पानी बचाने के प्रयासों मे जुटे रहे और इसके लिए जल संरक्षण की तकनीकों को उन्होंने बुरानपुर में स्थापित किया। रहीम पानी के महत्व को समझते थे उन्होंने फलसफे के लिहाज से तो उपरोक्त दोहे में पानी के महत्व को बताते हुए कहा कि पानी के बिना सब शून्य है लेकिन वे इसके महत्व को अपनी यान्विक समझ के जरिए मूर्त रूप देने में भी कामयाब हुए।

( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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