शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने निपुण भारत मिशन का उत्तराखण्ड में किया शुभारम्भ - Mukhyadhara

शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय ने निपुण भारत मिशन का उत्तराखण्ड में किया शुभारम्भ

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देहरादून/मुख्यधारा

आज 09 सितम्बर, 2021 को राष्ट्रीय साक्षरता एवं संख्या ज्ञान दक्षता पहल पर आधारित कार्यक्रम निपुण भारत मिशन का शुभारम्भ शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय द्वारा राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय स्थित वर्चुअल लैब से किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने निर्देशित किया कि प्राथमिक स्तर (कक्षा-03) पर पढ़ने लिखने तथा गणितीय दक्षता के विकास के लिए उत्तराखण्ड में निपुण भारत मिशन कार्यक्रम को सफल बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता मापकों में उत्तराखण्ड ने राष्ट्रीय स्तर पर चौथा स्थान प्राप्त किया है। यह हम सबके लिए गौरव का विषय है। उन्होंने इसके लिए शिक्षा विभाग के समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं शिक्षकों को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि निपुण भारत मिशन के प्रति जनसामान्य को जागरूक करने के लिए एक मोबाइल वैन जनपद देहरादून में विभिन्न स्थानों पर भ्रमण करेगी। इस वैन में एक सीट पर जन जागरूकता अभियान के तहत लोग हस्ताक्षर कर अपना समर्थन देगें। इस हस्ताक्षर अभियान में सबसे पहले शिक्षा मंत्री और बाद में महानिदेशक तथा दोनों शिक्षा निदेशकों के साथ अपर निदेशक एस.सी.ईआर.टी. ने भी हस्ताक्षर किये। वैन को शिक्षा मंत्री ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।

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यह वैन रूम टु रीड संस्था के सहयोग से संचालित हो रही है, जो बाद में उधमसिंहनगर, बागेश्वर तथा चम्पावत में भी जनजागरूकता अभियान के लिए भ्रमण करेगी। इस अवसर पर निपुण भारत का मिशन ‘गान’ भी रिलीज किया गया है। एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा रूम टु रीड के सहयोग से तैयार किये गये जिंगल गीत ‘अभिभावक और शिक्षक के जब कदम बढ़ेंगे साथ भाषा और गणना की तभी बनेगी बात‘ तथा ‘निपुण भारत आया है हमें निपुण बनाने, सुनना, कहना, पढ़ना, लिखना और संख्या ज्ञान बढ़ाने‘ भी रिलीज किये गये। शिक्षा मंत्री द्वारा एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के द्वारा शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रकाशित साहित्य ‘स्कूल रेडीनेस‘ ‘दक्ष‘ ‘प्रदर्शिका‘ ‘डी.एल.एड. पाठ्यचर्या‘ ‘जन संख्या शिक्षा कार्यक्रम‘ तथा निपुण जागरूकता पोस्टर का भी लोकार्पण किया गया।

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया तथा आशा जाहिर की निपुण भारत मिशन कार्यक्रम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल सिद्ध होगा।

निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड आर.के. कुँवर ने निपुण भारत मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में पठन कौशल एवं संख्या ज्ञान का विकास करना है। इस सन्दर्भ में एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा इस पर आधारित उपयोगी सहायक सामग्री तैयार की जा रही है।

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अपर निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. डॉ. आर.डी. शर्मा ने कहा कि निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर से विद्यालय तक की सभी इकाइयों के सहयोग एवं उनके मध्य समन्वयन की आवश्यकता होगी। उन्होंने उपस्थित सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर सीमा जौनसारी निदेशक माध्यमिक शिक्षा, अपर निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. डॉ. आर.डी. शर्मा, शशिबाला चौधरी अपर निदेशक सीमेट, कुलदीप गैरोला, आशा रानी पैन्यूली एवं कंचन देवराड़ी संयुक्त निदेशक एस.सी.ई.आर.टी., किरन बहुखण्डी, प्रदीप रावत विभागाध्यक्ष पाठ्यचर्या एवं विकास, राय सिंह रावत, डॉ. एस.पी. सिंह, हिमानी बिष्ट उप निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. तथा मनोरमा बर्त्वाल, मुकेश सेमवाल, वर्षा भारद्वाज, डॉ. सुनीता भट्ट सहायक निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. मौजूद थे। कार्यक्रम में वर्चुअल लैब के माध्यम से समस्त विद्यालयों के शिक्षक भी जुडे रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृष्णानन्द बिजल्वाण सहायक निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा किया गया।

एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड द्वारा प्रकाशित साहित्य जिनका आज लोकार्पण हुआ

1. स्कूल रेडीनेस पुस्तिका (03 माह का अल्पकालिक खेल-आधारित पुस्तिका)
एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड द्वारा रूम-टू-रीड संस्था के सहयोग से विद्यालयी शिक्षण प्रक्रिया में अपने सहपाठियों से पिछडे हुए बच्चों के लिए 03 माह का अल्पकालिक खेल-आधारित स्कूल रेडीनेस पुस्तिका तैयार की गयी है। इस पुस्तिका में बच्चों के लिए खेल, कहानी, कविता आदि के माध्यम से बच्चों को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम को आसानी से ग्रहण करने के लिए गतिविधियाँ विकसित की गयी हैं।

2. सामुदायिक जागरूकता हेतु पोस्टर
इस पोस्टर में अभिभावकां द्वारा बच्चों को घर पर स्थानीय परिवेश एवं विद्यालयी पाठ्यचर्या से सम्बन्धित गतिविधियों को कराये जाने के सुझाव दिये गये हैं। जिसका वितरण सभी विद्यालयों एवं अभिभावकों को किया जाएगा।

3. ‘प्रदर्शिका’ (राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न पुस्तिका)
राज्य में प्रतिवर्ष एस.सी.ई.आर.टी. उत्तराखण्ड के माध्यम से आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (प्रथम चरण) एवं अन्य छात्रवृत्ति सम्बन्धी परीक्षाओं के लिए छात्रों में प्रतियोगी वातावरण बनाने तथा उनमें जागरूकता में वृद्धि के साथ-साथ उन्हें प्रेरित करने के लिए आवश्यक है ताकि अधिक से अधिक छात्र इसमें प्रतिभाग कर सकें। इस हेतु छात्रां के साथ-साथ शिक्षकों, अभिभावकों को संवेदित किया जाना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखकर एस.सी.ई.आर.टी. द्वारा छात्रों, अध्यापकों एवं अभिभावकों को राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के दृष्टिगत उन्हें संवेदित करने, उनकी समझ बढ़ाने व सूझ उत्पन्न करने के लिए ‘प्रदर्शिका‘ को विकसित किया गया है।

3. ‘डी0एल0एड0 पाठ्यचर्या-2019’ (प्रारम्भिक शिक्षा में द्विवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम)
प्रारम्भिक शिक्षा में प्राथमिक शिक्षक तैयार करने हेतु द्विवर्षीय डिप्लोमा (डी0एल0एड0) प्रशिक्षण कार्यक्रम डायट्स के माध्यम से संचालित किया जाता है। प्रशिक्षुओं हेतु डी0 एल0 एड0 पाठ्यचर्या का विकास एस0 सी0 ई0आर0 टी0, उत्तराखण्ड द्वारा राज्य स्तर पर किया जाता है। पाठ्यचर्या 2019 में वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में ई0 सी0 सी0 ई0 को एक विषय के रूप में तथा विद्यालयों में संचालित नवाचारी गतिविधियों सम्मिलित किया गया है।

4. ‘दक्ष’ (प्री-नैस अभ्यास पुस्तिका)
उत्तराखण्ड राज्य के नैस (NAS)-2017 के परिणाम में जिन सीखने के प्रतिफलों में उपलब्धि का स्तर कम रहा उनमें सुधार एवं राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की रैंक में सुधार हेतु राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण कार्यक्रम (Post NAS Program) संचालित किया गया। इसके तहत निर्धारित गतिविधियों के अन्तर्गत छात्रों के अपेक्षित दक्षताओं में सुधार करने हेतु दक्षता आधारित प्रश्नों से सम्बन्धित ‘दक्ष’ अभ्यास प्रश्न कोष का निर्माण किया गया।

5. जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम (शिक्षा सम्बन्धी सूचना एवं संचार सामग्री)
जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य जनसंख्या को स्वस्थ एवं उत्पादक बनाना भी है, भारत सरकार द्वारा 1980 में राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा योजना प्रारम्भ की गई। एस.सी.ई.आर.टी. में यह कार्यक्रम वर्ष 2015 से प्रारम्भ किया गया। इसका उददेश्य किशोर किशोरियों में जीवन कौशल विकास करना, महिला सशक्तीकरण, लैंगिक समानता एवं संवेदनशील मुदों पर जागरूकता पैदा करना है। उक्त मुदों के प्रचार-प्रसार हेतु सामग्री विकसित कर यथा फोल्डर, टेबल कलैण्डर, सूचना पत्रक वितरण हेतु प्रकाशित की गई।

 

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