अलविदा उस्ताद : लंबे-घुंघराले बाल, तबले पर थिरकतीं उंगलियां थम गईं, मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन नहीं रहे, संगीत के क्षेत्र में शोक
मुख्यधारा डेस्क
संगीत और कला के क्षेत्र में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए बड़ी क्षति हुई है। लंबे-घुंघराले बाल, तबले पर थिरकतीं उंगलियां अब थम गईं । पूरे विश्व में मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन नहीं रहे। संगीत के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया। जाकिर हुसैन ने लंबी बीमारी के बाद अमेरिका में भारतीय समय अनुसार रविवार देर रात अंतिम सांस ली। वह 73 वर्ष के थे। वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे और बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था।
जाकिर हुसैन के परिवार के अनुसार, हुसैन की मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। उनके निधन पर बॉलीवुड समेत संगीत के क्षेत्र में लाखों प्रशंसकों में शोक का माहौल है। उनके निधन के बाद अब सोशल मीडिया पर उनके फैंस ने दुख व्यक्त किया है।
जाकिर हुसैन के पिता अल्ला रक्खा भी विश्व प्रसिद्ध तबला वादक थे। तीन दशक पहले पिता-पुत्र ने “ताजमहल चाय” के विज्ञापन में भी दोनों एक साथ दिखाई देते थे। जाकिर हुसैन के निधन पर तमाम राजनीति और फिल्मों से जुड़ी हस्तियों ने शोक प्रकट किया है।
जाकिर का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वो भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक थे । जाकिर हुसैन तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा कुरैशी के बेटे थे। मां का नाम बावी बेगम था। जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता, उस पर हाथ फेरने लगते थे।
संगीत की विरासत को रगों में संजोए जाकिर हुसैन देश के उन फनकारों में से एक थे, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर न सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत के सम्मान में चार चांद लगाए, बल्कि ताल वाद्यों की दुनिया में तबले को प्रमुख स्थान भी दिलवाया। जाकिर का बचपन पिता की तबले की थाप सुनते ही बीता था। 3 साल की उम्र में जाकिर को भी तबला थमा दिया गया था। जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था।
हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। सदी के सबसे महान सितारवादकों में से एक पंडित रविशंकर के साथ उस्ताद जाकिर हुसैन की जुगलबंदी की पूरी दुनिया मुरीद है।
1983 में जाकिर हुसैन ने फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद 1988 में ‘द परफेक्ट मर्डर’, 1992 में ‘मिस बैटीज चिल्डर्स’ और 1998 में ‘साज’ फिल्म में भी उन्होंने अभिनय किया। हुसैन ने कथक नृत्यांगना और शिक्षिका अन्तोनिया मिन्नेकोला से विवाह किया, जो उनकी मैनेजर भी थीं। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी। अनीसा ने यूसीएलए से स्नातक किया है और वह एक फिल्म निर्माता हैं। इसाबेला मैनहट्टन में नृत्य का अध्ययन कर रही हैं।
जाकिर हुसैन तीन भाई थे। तौफीक कुरैशी एक तालवादक और फजल कुरैशी भी एक तबला वादक थे। उनके भाई मुनव्वर की कम उम्र में ही एक पागल कुत्ते के हमले में मौत हो गई थी।
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भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक तबलावादक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण मिला था। महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई। हुसैन ने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे।
वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर दुख व्यक्त किया है और कहा है कि देश ने अपने सबसे प्रिय और पोषित सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक को खो दिया है। उनके परिवार ने कहा कि 73 वर्षीय हुसैन की इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई। अपने शोक संदेश में, राज्यपाल ने संगीतकार को एक समर्पित शिष्य और महान उस्ताद अल्ला रक्खा का पुत्र बताया, जिन्होंने तबले को वैश्विक प्रमुखता तक पहुंचाया। गवर्नर ने कहा, उनके असाधारण प्रदर्शन ने उन्हें शास्त्रीय शुद्धतावादियों और व्यापक दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया, उन्होंने अपने गहन लेकिन चंचल और आकर्षक प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। राधाकृष्णन ने कहा, हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक घरेलू नाम बन गए थे।एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हुसैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, प्रसिद्ध तबला वादक पद्म भूषण उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर हृदय विदारक है। जाकिर हुसैन भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक के रूप में जाने जाते थे, एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। पवार ने कहा, उन्होंने भारतीय संगीत के वाद्ययंत्र तबले को विश्व मंच पर स्थापित किया। कला जगत की एक महान हस्ती का आज निधन हो गया।
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