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इस गढ़वाली गीत में कवि ने सत्तासीनों पर किए हैं करारे कटाक्ष

admin
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इस गढ़वाली गीत में कवि ने सत्तासीनों पर किए हैं करारे कटाक्ष

बीस साल के हो चुके उत्तराखंड को लेकर रुद्रप्रयाग निवासी भगवती प्रसाद नौटियाल ने हाल ही में धूमधाम से मनाए गए राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर गढ़वाली में रचित एक गीत के माध्यम से अब तक उत्तराखंड में राज करने वाले सत्तासीनों पर करारे कटाक्ष किए हैं।

उन्होंने अपने इस गीत में सवाल उठाया है कि उत्तराखंड उन्नीस वर्ष पूर्ण कर बीसवें वर्ष में प्रवेश कर गया है, लेकिन आज भी उत्तराखंड जैसे का तैसा ही है। न तो यहां के नौजवानों को रोजगार मिला और न ही जिस सपने को लेकर उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था कि यहां से पलायन रुक जाएगा, ऐसा भी उत्तराखंड में आज कहीं नहीं दिखाई दे रहा है, क्या इसीलिए बना था उत्तराखंड? आप भी गीत को पढ़कर महसूस कीजिए कि एक गीतकार ने उत्तराखंड के आम जनमानुष की पीड़ा को अपने शब्दों में किस तरीसे से उकेरा है।

न त रोजगार मिलि, अर न पलायन रुकि

भगवती प्रसाद नौटियाल

क्यांकु बणै उत्तराखण्ड
बोला दिदों भुलो मेरा,
क्यांकु बणै उत्तराखण्ड।
खालि होन गौं का गौं,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!

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सोचि तोलि मन तैं पूछा,
क्यांकु बणै उत्तराखण्ड।
पहाड़ बसलु देरादून,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!

न त खुलिन उद्योग यख,
न त मिलणूं रोजगार।
डिगरियों की गडोलि धरीक,
बण्यां हम बेरोजगार।
भूखा रेक दिन कट्योन,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

पुरखों की डंड्यलि तिवरी,
सबि खन्द्वार ह्वेगिन।
नाता रिश्ता पितर कूणा,
अब ख्वज्यण्यां ह्वेगिन।
बांजा पणुन गौं गुठ्यार,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

पहाणि देखी घींण ह्वे त,
हमुन बणै उत्तराखण्ड।
अब त अपणा बी घिंणैग्या,
क्यांकु बणै उत्तराखण्ड।
पहाणि रौंन हम सदनि,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

न त दवै च न त डाक्टर,
मना छन त मन रा।
भूखा रोला हम, तुम त,
ठाट-बाट कना रा।
दारू की दुकनि खुलुन,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

पुछदरू नि क्वे बि यख त,
केमु पूछण अपणि छ्वीं।
जखि जा त न बै-न बै,
सबि बोग मना छन।
धक्का मुक्का खाणा रौंन,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

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नियम तीन ताक पर च,
मन मर्जि कना छन।
जथ्या द्या सो कमे कम च,
मुर्दाबाद का नारा छन।
हड़तलि परदेश बणु ,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

कनके मिललु भोट हमतैं,
यांकि गुणतगांण च।
कुर्सी नि मिलि दल बदला,
यांकि तणमताण च।
रोजि यख पुतला फुक्योन,
क्य यांकु बणैं उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

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कख बि मिललु कनके मिललु,
रात दिन स्वच्यणूं च।
आज बणैं भोल रौंणि,
यनु विकास होंणु च।
जनता चुप चणीं रौ,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!
बोला दिदों…

क्यांकु बणै उत्तराखण्ड
बोला दिदों भुलो मेरा,
क्यांकु बणै उत्तराखण्ड।
खालि होन गौं का गौं,
क्य यांकु बणै उत्तराखण्ड!!

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