समापन दिवस पर पांडव मंडाण के साथ ही हाथी नृत्य कर किया समापन
नीरज उत्तराखण्डी/पुरोला
विकासखण्ड के कमल सिराईं पट्टी के करड़ा गांव में नौ दिवसीय पांडव नवरात्रों का सोमबार सांय को पांडव मंडाण लगाकर हाथी स्वांग के साथ पांडव नवरात्रों का पूजा अर्चना के साथ समापन किया गया।
मंगशीर की दीपावली के दूसरे दिन बलिराज से सुरु हुए पांडव नवरात्रों का सोमबार देर सांय तक चले हाथी स्वांग,पांडव मंडाण व हवन पूजन कर गांव की सुख, समृद्धि की मंगल कामनाओं के साथ समापन किया गया।
बताते चले कि रंवाई घाटी के नॉगांव व पुरोला विकासखण्ड में मुख्यतः सभी गांवों में थात पूजन के साथ साथ पांडव नवरात्रों की भी एक धार्मिक व अनूठी लोक परम्परा सदियों से चली आ रही है।
क्षेत्र में लगभग सभी गांवों में मुख्यतः पांडव नवरात्रों का आयोजन मंगशीर माह में होने वाली बग्वाल व देवलांग पर्व के बाद बलिराज के दिन से शुरू किए जाते हैं जो लगातार नौ दिनों तक चलता है, आठवें दिन यमुना स्नान कर रात्रि भर जागरण किया जाता है पांडव मंडाण के साथ साथ पारम्परिक लोक गीत लगाकर ग्रामीण पांडव देवताओं से खुशहाली की मन्नतें मांगते हैं।
सोमवार को क्षेत्र के करड़ा गांव में भी नौ दिनों तक चले पांडव नवरात्रों का पांडव मंडाण व हाथी स्वांग के साथ ही भंडारे का आयोजन कर समापन किया गया। गांव के स्याणा जगमोहन रावत,प्रधान अंकित रावत,पंडित शांति राम रतूड़ी आदि ने कहा कि गांव में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। हर तीसरे वर्ष पांडव नवरात्र किये जाते हैं जो मंगशीर बग्वाल के दूसरे दिन शुरु होते हैं तथा नवें दिन मंडाण के साथ ही हाथी स्वांग बनाकर पांडव पशवा मंडाण लगाते हैं और इसी के साथ गांव की सुख समृद्धि के लिए हवन पूजन कर पांडव नवरात्रों का समापन होता है उन्होंने कहा कि खाती,भीम, नकुल, द्रोपदी आदि पांडव पशवाओं के साथ साथ अन्य देवताओं के पशवा भी अवतरित होकर मंडाण लगाते हैं व ग्रामीणों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
समापन दिवस पर गांव के धीरपाल रावत, विनोद रतूड़ी, मनोज रतूड़ी, जबर सिंह भंडारी, रामप्रकाश रतूड़ी,प्रताप रावत, सरदार सिंह, जगत राम, प्रकाश लाल, दीपक कुमार आदि सैकड़ों ग्रामीण थे।