उत्तराखंड: कांवड़ियों के सैलाब में चरमरा गई थी शहर की व्यवस्था, 4 करोड़ से अधिक कावड़िए (kanwariyas) पहुंचे कांवड़ लेने - Mukhyadhara

उत्तराखंड: कांवड़ियों के सैलाब में चरमरा गई थी शहर की व्यवस्था, 4 करोड़ से अधिक कावड़िए (kanwariyas) पहुंचे कांवड़ लेने

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उत्तराखंड: कांवड़ियों (kanwariyas) के सैलाब में चरमरा गई थी शहर की व्यवस्था

4 करोड़ से अधिक कावड़िए पहुंचे कांवड़ लेने

  • डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

गंगा की गोद में आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है। कदम-कदम पर कांवड़ियों की चहलकदमी है। इस बार कांवड़ जितने आकर्षक ढंग से सजे हैं, उतने ही अंदाज भी निराले हैं। शिवभक्ति में लीन कांवड़िये पुनीत लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं। कहीं चार मंजिला कांवड़ है तो किसी दल ने दस मंजिला कांवड़ भी बनाया है। कोई अकेले कांवड़ लेकर चल रहा है तो कोई टोली में कांवड़ ला रहा है।

कांवड़ मेले का स्वरूप दस सालों में बेहद बदल गया है। इन दस सालों में जहां कांवड़ मेले में भीड़ तो बढ़ी ही है, साथ ही मेला क्षेत्र का आकार भी बढ़ गया है। 2012 तक कावड़ मेला उत्तरी हरिद्वार तक फैला था, जो आज पूरे हरिद्वार क्षेत्र में फैल गया है। ग्रामीण क्षेत्रों तक कांवड़ मेला फैल गया है।

कांवड़ पटरी और बैरागी कैंप की पार्किंग चलने के कारण ही मेला पूरे शहर में बढ़ता चला गया। पुलिस की तैयारियां भी पहले ऋषिकुल से लेकर सप्तऋषि तक की होती थी, लेकिन अब पूरे जिलेभर के अलावा बहादराबाद से लेकर हरिद्वार तक तैयारियां की जाती है।

1775 फीसदी कांवड़ की दुकानें पिछले 50 सालों में बढ़ गई हैं। धर्मनगरी में डाक कांवड़ियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। देहरादून- दिल्ली हाईवे डाक कांवड़ियों के वाहनों से पैक हो गया, जबकि हरकी पैड़ी से लेकर आसपास के बाजार और पूरा इलाका फुल हो गया है।

वहीं, डाक कांवड़ के दूसरे दिन लाखों कांवड़ियों की भीड़ के आगे पुलिस की व्यवस्थाएं धरी की धरी रह गई। हाईवे से लेकर शहर के अंदर डाक कांवड़ियों का कब्जा हो गया है। लक्सर की तरफ से बैरागी कैंप पहुंच रहे डाक कांवड़ियों के वाहन शंकराचार्य चौक की तरफ से हाईवे पर भेजे जा रहे हैं।

इसके साथ ही दुपहिया वाहनों पर आने वाले डाक कांवड़िये कांवड़ पटरी और शहर के अंदर से गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंच रहे हैं।

  • पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक पहले दिन पहले दिन एक लाख 10 हजार, दूसरे दिन 8 लाख 50 लाख, तीसरे 10 लाख 50 हजार, चौथे दिन 15 लाख 20 हजार पांचवें दिन 22 लाख 25 हजार, छठे दिन 32 लाख 40 हजार, सातवें दिन 45 लाख 10 हजार, आठवें दिन 57 लाख 20 हजार, नौवें दिन 67 लाख कांवड़िए गंगाजल भरकर रवाना हुए थे। एसएसपी ने बताया कि अब तक 3 करोड़ 28 लाख शिवभक्त हरिद्वार से रवाना हो चुके हैं। वहीं अब यह आंकड़ा 4 करोड़ के पार पहुंच गया है।

हर-हर महादेव, बम-बम भोले के जयघोष लगाते हुए डाक कावड़िए और पैदल कांवड़ लेकर शिवभक्त रवाना होते रहे। शिव भक्त कंधे पर जल और डीजे पर बजने वाले भक्ति गीतों पर जमकर झूम रहे हैं। बाईपास भक्ति गीतों से गुंजायमान होने के साथ ही भगवामय नजर आ रहा है।

दिल्ली से हरिद्वार जाने वाले कांवड़ियों की भीड़ भी बढ़ गई है। इसे देखते हुए पुलिस ने नगला इमरती से होते हुए लक्सर से हरिद्वार इन वाहनों को गुजार रही है। कांवड़ मेले के तीन दिन शेष बचे हैं। लाखों डाक कांवड़ियों का रैला हरिद्वार में पहुंच चुका है। अभी हाईवे की एक पूरी साइड डाक कांवड़ियों के हवाले हैं। डाक कावड़ियों की भीड़ को संभालते हुए आगे भेजना चुनौती भरा रहेगा। ऐसे में मेले के तीन दिन तक पुलिस की अग्निपरीक्षा होगी।

कांवड़ियों के सैलाब से पट गया हरिद्वार, आंकड़ा पहुंचा 4 करोड़ के पार

पिछले साल की तुलना में इस साल भोले के भक्त कांवड़ियों का हुजूम ज्यादा देखने को मिल रहा है। पूरी धर्मनगरी भगवामयी हो गई है। क्षेत्र के हाईवे हो या सड़कें कांवड़ियों से भरी नजर आ रही हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

डाक कावड़ियों का अधिक दबाव होने से हाइवे और संपर्क मार्ग पैक हो गए। शहर के अंदरूनी इलाकों में स्थिति विकट हो गई, जिससे स्थानीय लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

डाक कांवड़ यात्रा के चरम पर पहुंचने पर धर्मनगरी में कांवड़ यात्रियों के वाहनों का शोर जोरों से सुनाई पड़ रहा है। बिना साइलेंसर वाले वाहन और प्रेशर हॉर्न हाइवे से गली और मोहल्लों में रहने वाले लोगों के कान फोड़ रहे हैं। इससे धर्मनगरी के लोगों की रात की नींद उड़ी हुई है।

हैरत की बात यह है कि नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले कांवड़ियों पर कार्रवाई का साहस पुलिस प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है, जिससे तीर्थ नगरी की मुख्य सड़कों से लेकर गली मोहल्लों में भी कान फोडू साइलेंसर विहीन दो पहिए वाहन बेखौफ हो कर दौड़ रहे हैं, जिन्होंने स्थानीय नागरिकों की शांति भी भंग कर दी है।

कांवड़ यात्री भी यहां पर भोजन ग्रहण करने के साथ ही विश्राम कर रहे थे। अब क्योंकि पैदल कांवड़ यात्रियों की संख्या कम हो गई है, ऐसे में कांवड़ पटरी मार्ग पर लगाए गए।

उधर, गुरुवार को कांवड़ पटरी से कम संख्या में कांवड़ यात्री गुजरते दिखाई दिए।

(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)

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