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उत्तराखंड में तीर्थ स्थल के कपाट बंद होने की शुरुआत हो चुकी है। आज सबसे पहले सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट पूरे विधि विधान के साथ बंद किए गए। बता दें कि उत्तराखंड में कई दिनों से लगातार मौसम खराब होने की वजह से बर्फबारी भी हो रही है।
हेमकुंड साहिब में बर्फबारी होने की वजह से धाम पूरी तरह ढंका हुआ है। इसके बावजूद हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के आखिरी दिन भी सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री मौजूद रहे।
शीतकाल के लिए हेमकुंड साहिब के कपाट आज सोमवार को विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए है। कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह दस बजे से शुरू हुई थी।
सोमवार सुबह 10 बजे सुखमणी पाठ शुरू होगा। 11:15 से 12:30 बजे तक शबद कीर्तन और 12:30 से एक बजे तक इस साल की अंतिम अरदास पढ़ी गई।
दोपहर एक बजे हुकुमनामा किया गया और पवित्र गुरुग्रंथ साहिब को 418 इंजीनियर कोर सेना के बैंड की मधुर धुन के बीच पंच प्यारों की अगुवाई में दरबार साहिब से सचखंड में स्थापित किया गया।
बता दें कि हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। हेमकुंड साहिब विश्व भर में सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारा है, जो समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
इस पावन स्थल के पास हिंदू धर्म का भी एक प्रमुख मंदिर है, जो हेमकुंड साहिब की बर्फीली वादियों व हेमकुंड झील के तट पर बसा लक्ष्मण मंदिर है, जो लोकपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हिमालय की गोद में बसे हेमकुंड साहिब में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
हेमकुंड साहिब चारों ओर से पथरीले पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा है। यहां का सफर काफी मुश्किल है। हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है।