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दिल्ली-एनसीआर की आबो-हवा में कोई सुधार नहीं, जानलेवा प्रदूषण से हाल-बेहाल, कांग्रेस सांसद ने कहा- क्या इसे देश की राजधानी रहना चाहिए

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दिल्ली-एनसीआर की आबो-हवा में कोई सुधार नहीं, जानलेवा प्रदूषण से हाल-बेहाल, कांग्रेस सांसद ने कहा- क्या इसे देश की राजधानी रहना चाहिए

एक्यूआई बहुत खराब

मुख्यधारा डेस्क

पिछले कई दिनों से उत्तर भारत में राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में जानलेवा प्रदूषण से हाल बेहाल है। राजधानी की खराब आबो-हवा देशभर में सुर्खियों में बनी हुई है। आम लोगों से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं का भी यहां रहना मुश्किल हो गया है।

दिल्‍ली में हर दिन हालात खराब होते जा रहे हैं। राजधानी में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार दिल्ली सरकार को दिशा निर्देश जारी कर चुका है। लेकिन स्थित जस की तस बनी हुई है।

दिल्ली में मंगलवार तड़के से ही घना कोहरा छाया हुआ है जिससे विजिबिलिटी बहुत कम हो गई है। सड़कों पर वाहनों को लाइट जलाकर चलना पड़ रहा है। रेलवे और उड़ानों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।

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दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई की स्थिति बहुत खराब है। कोहरे के कारण ट्रेनें देरी से चल रही हैं और उड़ानों को डायवर्ट करना पड़ रहा है। दिल्ली के सभी स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस चल रही है। एनसीआर में दमघोंटू हवा चल रही है। न सिर्फ सांस लेने बल्कि देखने में भी परेशानी हो रही है। स्मॉग के कारण दृश्यता इतनी कम हो गई कि सैकड़ों विमानों पर भी इसका असर दिखा। लेकिन यह मान कर चलिए कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एक्यूआई 500 से अधिक नहीं दिखाएगा। दरअसल, सीपीसीबी ने सिद्धांत बना लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए आंकड़ा 500 के पार नहीं दिखाएंगे। हालांकि उनके पास 999 तक मापने की क्षमता है। तो फिर यह कैसे माना जाए कि स्विस एक्यूएअर समेत कई निजी एजेंसियों को ओर से दिल्ली का जो आंकड़ा हजार के आसपास दिखाया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है।

सोमवार को भी इन कंपनियों ने दिल्ली में प्रदूषण का आंकड़ा हजार के आसपास दिखाया और सीपीसी ने 494 का आंकड़ा। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी दिल्ली की जहरीली हवाओं पर चिंता जाहिर की है।

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उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट लिखते हुए कहा, “दिल्ली आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है, जो खतरनाक स्तर से 4 गुना अधिक है और दूसरे सबसे प्रदूषित शहर ढाका से लगभग पांच गुना अधिक खराब है। यह अमानवीय है कि हमारी सरकार वर्षों से इस दुःस्वप्न को देख रही है और इसके बारे में कुछ नहीं करती है। मैंने 2015 से सांसदों सहित विशेषज्ञों और हितधारकों के लिए वायु गुणवत्ता गोलमेज का आयोजन किया है, लेकिन पिछले साल इसे छोड़ दिया क्योंकि कुछ भी नहीं बदला और किसी को भी इसकी परवाह नहीं थी। यह शहर नवंबर से जनवरी तक अनिवार्य रूप से निर्जन है और बाकी साल में मुश्किल से रहने लायक है। क्या इसे देश की राजधानी भी रहना चाहिए।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है। इसे देखते हुए कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय ने 23 नवंबर तक और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने 22 नवंबर तक ऑनलाइन कक्षाएं चलाने की घोषणा की है।

वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को खराब मौसम में निम्न दृश्यता के कारण दिल्ली हवाई अड्डे पर 15 विमानों का मार्ग परिवर्तित किया गया जबकि 100 से अधिक उड़ानों में देरी हुई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दिल्ली में खराब मौसम के कारण दृश्यता घट गई जिसके चलते विमानों के परिचालन पर इसका असर पड़ा।

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