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गोमूत्र (Cow urine) के वैज्ञानिक महत्व से भारत बनेगा आत्मनिर्भर

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गोमूत्र (Cow urine) के वैज्ञानिक महत्व से भारत बनेगा आत्मनिर्भर

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

दिव्य गुणों की स्वामिनी गौ माता गौ या गाय हमारी संस्कृति की प्राण है। यह गंगा, गायत्री, गीता, गोव‌र्द्धन और गोविंद की तरह पूज्य है। शास्त्रों में कहा गया है-मातर: सर्वभूतानांगाव:, यानी गाय समस्त प्राणियों की माता है। इसी कारण आर्य-संस्कृति में पनपे शैव, शाक्त, वैष्णव,गाणपत्य, जैन, बौद्ध, सिख आदि सभी धर्म-संप्रदायों में उपासना एवं कर्मकांड की पद्धतियों में भिन्नता होने पर भी वे सब गौ के प्रति आदर भाव रखते हैं। गाय को गोमाता कहकर संबोधित करते हैं। मान्यता है कि दिव्य गुणों की स्वामिनी गौ पृथ्वी पर साक्षात देवी के समान हैं। अंगों में देवी-देवता सनातन धर्म के ग्रंथों में कहा गया है-सर्वे देवा: स्थितादेहेसर्वदेवमयीहि गौ:। गाय की देह में समस्त देवी-देवताओं का वास होने से यह सर्वदेवमयी है। संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद हैं और वेदों में भी गाय की महत्ता और उसके अंग-प्रत्यंग में दिव्य शक्तियां होने का वर्णन
मिलता है।

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पद्मपुराणके अनुसार, गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं। उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है इसलिये इसके गोबर और मूत्र को भी पवित्रता कि नज़र से देखा गया है। आयुर्वेद में गौमूत्र के प्रयोग से दवाइयां भी तैयार की जाती हैं। गौमूत्र का नाम सुनकर कई लोगों की नाक- भौं सिकुड़ जाती हैं, लेकिन वे ये नहीं जानते कि गौमूत्र के नियमित सेवन से बडे़-बडे़ रोग तक दूध हो जाते हैं। गाय का मूत्र स्‍वाद में गरम, कसैला और कड़क लगता है, जो कि विष नाशक,जीवाणु नाशक, शक्‍ती से भरा और जल्‍द ही पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्‍फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्‍लोराइड और सोडियम पाया जाता है। गौमूत्र से लगभग 108 रोग ठीक होते हैं। इस बात का दावा किया गया है कि गर्भवती गाय का मूत्र सबसे अच्‍छा होता है क्‍योंकि उसमें विशेष हार्मोन और खनिज पाया जाता है। गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, चर्म रोग, श्वास रोग,आंत्रशोथ, पीलिया, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।

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हमारे एक पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की ख्याति का एक कारण उनका स्वमूत्र का सेवन भी था। इतना ही नहीं वे लोगों को भी मूत्र को औषधि के रूप में व्यवहार करने की सलाह देते थे। मोरारजी की सलाह आप मानें न मानें पर गौमूत्र की उपयोगिता पर लगातार खोजों ने बताया कि गौमूत्र संजीवनी रसायन है। वैसे तो संसार गाय गोमूत्र व गोबर एक सस्ता और श्रेष्ठ उर्वरक के रूप में सर्वश्रेष्ठ खाद है। यह भूमि का प्राकृतिक आहार है, भूमि की उर्वरा शक्ति को प्राकृतिक स्थिति में बनाए रखती है। प्रदूषण रहित एवं सस्ती है, इसके लिए किसान को परावलंबी नहीं रहना पड़ता। गोबर व गोमूत्र की खाद से उत्पादित खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं। रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के प्रयोग से नष्ट हुई भूमि की उर्वरा शक्ति का एकमात्र विकल्प गोबर और गोमूत्र की खाद है। इसके उपयोग से भूमि के सूक्ष्म लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं। भूमि का प्राकृतिक रूप बना रहता है। जो खराब भूमि है, वह ठीक हो जाती है। सिंचाई के लिए कम पानी लगाना पड़ता है, क्योंकि भूमि की जल ग्रहण एवं रोकने की क्षमता बढ़ जाती है।

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वर्षा का जल सोखने तथा रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। खेत और गाँव के कूड़े-कचरे का उपयोग होता है, वह प्राकृतिक चक्र में आ जाता है। किसानों तथा बैलों को अधिक काम मिलता है। पर्यावरण में सुधार होता है, खाद्यान्नपौष्टिक और सुस्वाद होता है। कीटनाशकों के जहर का अंश हमारे शरीर में नहीं जमता, ग्रामीणों को रोजगार मिलता है, उनका अपना स्वावलंबी तंत्र स्वावलंबी कृषि का आधार बनता है। विदेशी मुद्रा की बचत होती है, देश संपन्नता की ओर बढ़ता है। एक देसी गाय से एक दिन में सामान्यत: पांच से सात लीटर दूध मिल सकता है। इसमें से दो लीटर अपने पास रखें बाकि के तीन या चार लीटर बेचें। हम कोशिश कर रहे हैं कि देश में गाय रखने वाले लोगों को प्रति लीटर दूध पर 45 से 50 रुपए मिले। अभी उनकों 30 रुपए मिलते हैं। इससे किसानों की आमदानी में वृद्धि होगी।

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‘अगर कोई किसान ज्यादा गाय रखकर व्यवसाय करना चाहता है तो सरकार की तरफ से लोन और सब्सिडी की सुविधा भी दी जा रही है। इससे एक छोटा किसान दूध, छाछ, घी और अन्य सामाग्री बेचकर एक दिन में तीन से चार हजार रुपए दिन के कमा सकता है। गांव में छोटी बड़ी गौशाला खुलने से कई लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसमें डॉक्टर गाय का इलाज कर सकेंगे।चारा बेचने वाली गौशाला में चारा बेच सकेंगे।’ आत्मनिर्भर भारत अभियान में अब गाय भी शामिल हो गई है। गायों के जरिए किसानों और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने का दावा किया जा रहा है। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग इस मामले में आगे आया है।आयोग का लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में हर किसानों के घर में गायें पहुंचाई जाएं। गाय के गोबर, गोमूत्र, दूध के जरिए आत्मनिर्भर भारत तैयार किया हैं।

(लेखक उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक पद पर कार्य कर चुके हैं वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)

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