देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड देहरादून से बड़ी खबर आ रही है। यहां वर्ष 2015 में आयोजित की गई दरोगा (sub-inspector) भर्ती परीक्षा की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है। इस संबंध में गत दिवस बुधवार को सतर्कता समिति की बैठक की गई। जिसमें काफी मंथन के बाद सीएम धामी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। बताया जा रहा के इस बैच के दारोगाओं में हड़कंप की स्थिति है।
बताते चलें कि वर्तमान में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक प्रकरण के उजागर होने के बाद इसकी जांच stf कर रही है। इस मामले में अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी दौरान एसटीएफ की पकड़ में उत्तरकाशी के चर्चित जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह भी आ गए।
वर्ष 2015 में दरोगा भर्ती के दौरान दो लोगों को दरोगा (sub-inspector) भर्ती के लिए परीक्षा केंद्र में छोड़ने जा रहे हाकम सिंह के साथ एक फोटो वायरल हुआ, जिसमें हाकम सिंह ने एक फोटो उक्त दोनों लोगों के साथ सोशल मीडिया में शेयर करते हुए बताया था कि अपने दो भाइयों को भर्ती के लिए छोड़ने गया तो उनके साथ एक तस्वीर तो बनती ही है। पड़ताल की गई तो पता चला कि वह दोनों लोग अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हुए।
इस दौरान हाकम सिंह व और लोगों ने भी दरोगा भर्ती के संबंध में कई तथ्यों का खुलासा किया, जो धांधली के संबंध में। stf को मजबूत साक्ष्य लगे।
इसके बाद पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड ने शासन को विजिलेंस जांच का प्रस्ताव भेजा। जिसके बाद गत दिवस सीएम पुष्कर धामी की अध्यक्षता में सतर्कता समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें गहन विचार विमर्श हुआ। तत्पश्चात मुख्यमंत्री श्री धामी ने दरोगा भर्ती में विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए।
बताते चलें कि वर्ष 2015 में आयोजित हुई दरोगा (sub-inspector) भर्ती की परीक्षा पंतनगर विश्वविद्यालय ने कराई थी। यह परीक्षा 339 दरोगाओं के लिए निकाली गई थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस भर्ती में कुछ लोग गलत तरीके से पास होकर दरोगा बन बैठे। यह भी एक तथ्य है कि यह परीक्षा पुलिस विभाग से संबंधित है। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के अंतर्गत आने वाली कोई एजेंसी इसकी जांच नहीं कर सकती थी। ऐसे में पीएचक्यू ने इसके लिए विजिलेंस जांच की सिफारिश की।
बहरहाल, अब दरोगा (sub-inspector) भर्ती मामले में विजिलेंस जांच की मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि इस भर्ती में कौन-कौन से चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं!