यमकेश्वर विधानसभा में बूंगा क्षेत्र पंचायत सीट के अंतर्गत वीर काटल के वाशिंदे वाकई किसी वीर से कम नहीं हैं। नहीं तो ये लोग जान जोखिम में डालकर इस तरह नदी आर-पार करने में कभी समर्थ नहीं हो पाते और उनकी जिंदगी ज्यों की त्यों थम सी जाती। लेकिन क्या करें, जिस यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में विगत दो दशक से या यूं कहें कि उत्तराखंड गठन के बाद से ही लगातार बीजेपी का डंका बजता रहा है, ऐसी विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों को आज भी दैनिक मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है। ऐसे में क्षेत्रवासी अपने को ठगे से महसूस कर रहे हैं।
भाजपा के द्वारा चहुंमुखी विकास की यह स्याह हकीकत सच बयां करने के लिए काफी है।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य बंूगा सुदेश भट्ट दगड़्या बताते हैं कि क्षेत्रीय विधायकद्वारा आश्वासन दिए साल गुजर गए हैं। अभी पिछले लोकसभा चुनाव का दौर था। मेरे क्षेत्रवासी हकीकत समझ बैठे कि उनके लिए पुलिया रातोंरात बन जायेगी। इसलिए वह चुनावी सपनों पर सवार होकर कमल खिला बैठे। लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुआ, उनके सपने भी सपना ही रह गया और आज भी सौतेले व्यवहार का सामना करने को मजबूर हैं।
सुदेश भट्ट अंदेशा जताते हुए कहते हैं कि यदि भगवान न करे कोई आते-जाते इस पुल से नीचे गिर गया तो अंजाम का अनुमान लगाने में भी रूह कांप जाती है। यदि यहां पर कोई दुर्घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?
आज स्थिति यह है कि आपदा में बहे बिजली के खम्भों को जोड़कर युवाओं ने गांव को संपर्क मार्ग से जोड़ा हुआ है। यदि बिजली विभाग कल इन खंभों को कहीं अन्यत्र ले गया तो क्षेत्रवासी एक बार फिर काले पानी की सजा भुगतने को विवश हो जायेंगे। हालात यह हैं कि आज भी क्षेत्र पंचायत बूंगा सड़क, स्वास्थ्य व शिक्षा की बुनियादी समस्याओं से जूझ रही है।
भट्ट ने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अभी भी दो साल शेष हैं। पुरानी कमियों को दबाने के लिए विकास के बुनियादी ढांचे को सुधारा जा सकता है। यदि ऐसा नहीं होगा 731 वोटरों की ग्रामसभा बूंगा की मत पेटी में एक-एक वोट को तरसते हुए नजर आओगे और इसकी जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय प्रतिनिधियों सहित शीर्ष नेतृत्व की होगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि कहीं ऐसा न हो कि आपकी नाकामयाबी की मलाई २०22 के विधानसभा चुनाव में कोई और ही खा जाए।
सुदेश भट्ट ने उन मित्रों को भी संदेश दिया है, जो उनके क्षेत्र हित मुद्दों को भाजपा या क्षेत्रीय विधायक का विरोध बताते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि ऐसा विरोध बार-बार करूंगा। उन्हें जनता ने अपनी आवाज वहां तक पहुंचाने के लिये चुना है। और यदि किसी को उनके द्वारा उठाए गए सवालों से परेशानी हो रही है तो आगे आएं और अपने निजी फंड से मेरे क्षेत्र के विकास कार्यों में मदद करें।