अनदेखी: चमोली (Chamoli) के इस प्लांट में पहले भी तीन बार उतरा करंट, लेकिन दबा दी गईं घटनाएं, उठ रहे कई सवाल? - Mukhyadhara

अनदेखी: चमोली (Chamoli) के इस प्लांट में पहले भी तीन बार उतरा करंट, लेकिन दबा दी गईं घटनाएं, उठ रहे कई सवाल?

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अनदेखी: चमोली (Chamoli) के इस प्लांट में पहले भी तीन बार उतरा करंट, लेकिन दबा दी गईं घटनाएं, उठ रहे कई सवाल?

Harishchandra Andola

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

चमोली में जिस एसटीपी प्लांट में इतना बड़ा हादसा हुआ, वहां किसी न किसी स्तर से तो चूक हुई है। लेकिन इससे संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व में भी तीन बार प्लांट में करंट की घटनाएं सामने आई। कई कर्मी झुलसे, लेकिन घटना को दबा दिया गया। अब बड़ा हादसा होते ही सभी विभाग पल्ला झाड़ रहे हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से मामले की जांच की जा रही है, जिसके बाद वास्तवितक स्थिति का पता चल पाएगा। नमामि गंगे परियोजना के जिस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में यह हादसा हुआ उसमें कर्मियों की तैनाती व मेंटिनेंश का काम कांफिडेंट इंजीनियरिंग कंपनी व जयभूषा कंपनी संयुक्त रूप से करती है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट पर सीवर की सप्लाई जल संस्थान के अंतर्गत संचालित होती है। जबकि बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी ऊर्जा निगम की है। बुधवार को हुए हादसे को लेकर तीनों जिम्मेदार एजेंसी पल्ला झाड़ रहे हैं, सभी अपने स्तर से किसी तरह की चूक से इनकार कर रहे हैं सबसे बड़ा सवाल यह है कि डेढ़ साल में तीन बार यहां करंट आने की बात सामने आ रही है।

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स्वयं जल संस्थान के ईई संजय श्रीवास्तव ने बताया कि एसटीपी के ठीक पीछे बिजली का ट्रांसफार्मर है। एक वर्ष पूर्व फाल्ट आने से ऊर्जा निगम ने ट्रांसफार्मर बदला था, और कंपनी ने प्लांट की केबल बदली थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी तीन बार यहां करंट की
घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन हादसों को दबा दिया गया।जब पहले से यहां पर तैनात युवक की मौत करंट लगने से होने की बात कही जा रही थी। तब इसको लेकर विभाग गंभीर क्यों नहीं हुए। यदि किसी भी स्तर से गंभीरता बरती जाती तो हादसा नहीं होता। एक तरफ प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी के अधिकारी इसके लिए पूरी तरह से ऊर्जा निगम को जिम्मेदार बता रहे हैं। जबकि ऊर्जा निगम का स्पष्ट कहना है कि बीती रात को बिजली लाइन में फाल्ट आया था। लेकिन प्लांट में युवक की करंट से मौत की उन्हें सूचना नहीं दी गई। न ही किसी ने शटडाउन के लिए कहा था। जबकि जल संस्थान के ईई अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ऊर्जा निगम को हादसे के बारे में जानकारी दे दी थी और बिजली काटने के लिए कह दिया था। अब सवाल यह है कि इसके लिए किस स्तर से चूक हुई। तीनों में से ही कोई इसके लिए जिम्मेदार है। किस स्तर की गलती से इतने परिवार उजड़ गए। प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की दुर्घटनाओं में कई बार बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। लेकिन, इस दुर्घटना के बारे में हर कोई यही बात कह रहा है कि ऐसा न कभी देखा न सुना।

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चमोली से लेकर राजधानी देहरादून तक हर कोई करंट लगने से मारे 16 लोगों की खबर सुनकर गए स्तब्ध था। शुरूआत में किसी को यकीन तक नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है। कार्यदायी संस्था ने वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए थे। यूपीसीएल विद्युत विभाग के अधिकारियों ने साफ कहा कि इस हादसे के लिए विद्युत विभाग जिम्मेदार नहीं है। विद्युत विभाग के तार इत्यादि बिल्कुल सही है बल्कि उस स्थान पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम कर रही परियोजना के कार्यस्थल पर कुछ तार छूटने के कारण यह हादसा हुआ है। चूंकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरा टीन से बना है, तो सभी जगह करंट फ़ैल गया, जिससे यह हादसा हुआ। आम तौर पर बरसात के दौरान बिजली यंत्रों के सही रख रखाव ना होने के कारण यह स्थिति पैदा होती है।

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मुख्यमंत्री ने डीएम के कंधों पर जवाबदारी सौंपी है। कहा गया है कि जांच करके रिपोर्ट सौंपी जाए। अब इस रिपोर्ट के आने के बाद दोषियों
के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और उजड़े परिवारों के जख्मों पर किस प्रकार से मरहम लगाया जाता है, यह देखने वाली बात होगी। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!

(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)

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