शंभू नाथ गौतम
उड़ीसा में सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है। इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। उड़ीसा में हर साल निकाले जाने वाली भगवान #जगन्नाथ रथ यात्रा (#Jagannath Rath Yatra) शुक्रवार को पूरे विधि विधान के साथ शुरू हो गई। यह रथयात्रा उड़ीसा के धार्मिक नगरी पुरी से निकाली जाती है।
कोरोना महामारी की वजह से पिछले 2 साल जगन्नाथ रथ यात्रा बिना श्रद्धालुओं के ही निकाली गई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था। इसके बावजूद कोर्ट ने श्रद्धालुओं को रथ खींचने की इजाजत नहीं दी। उन्हीं लोगों को रथ यात्रा खींचने की इजाजत थी, जो भगवान #जगन्नाथ मंदिर कमेटी(#Jagannath Rath Yatra) से जुड़े हुए हैं। तभी से देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस साल निकाले जाने को लेकर बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे।
आखिरकार शुक्रवार को उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से भगवान #जगन्नाथ की रथ यात्रा (#Jagannath Rath Yatra) धूमधाम के साथ निकाली गई, लेकिन सबसे ज्यादा उड़ीसा के पुरी से निकाली जाने वाली रथयात्रा में भक्तों का सैलाब उमड़ता है।
शुक्रवार को धार्मिक नगरी पुरी में भगवान #जगन्नाथ रथ यात्रा (#Jagannath Rath Yatra) को लेकर देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। 2 साल बाद हजारों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी हो गई। पुरी में भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने में भक्तों में होड़ लगी रही।
इस मौके पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पहुंचे और उन्होंने भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (#Jagannath Rath Yatra) को हाथ से खींच कर आगे बढ़ाया। बता दें कि रथ यात्रा से पहले इसकी रस्में सुबह मंगला आरती से शुरू हुईं। रथयात्रा में सबसे आगे बलभद्र, बीच में बहन सुभद्रा और आखिर में भगवान #जगन्नाथ का रथ था। पुरी के राजा दिव्य सिंह देव ने छोरा पोहरा की परंपरा निभाई और सोने की झाड़ू से रास्ता साफ किया। शाम 6 बजे तक भगवान जगन्नाथ भाई-बहन सहित तीन किलोमीटर दूर मौजूद गुंडिचा मंदिर पहुंच गए, यहां वे सात दिन रहेंगे।
#जगन्नाथ रथ यात्रा (#Jagannath Rath Yatra) का 11 दिनों तक उड़ीसा में चलता है धार्मिक आयोजन
उड़ीसा राज्य में यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा के समय हजारों लोग जो बाहर रहते हैं वे उड़ीसा आ जाते हैं।
बता दें कि 1 जुलाई से शुरू हुई रथ यात्रा 12 जुलाई तक चलेगी। जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का विश्व प्रसिद्ध त्योहार है जिसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यह यात्रा भगवान जगन्नाथ(#Jagannath Rath Yatra) को समर्पित मानी जाती है, जो भगवान विष्णु जी के अवतार हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस रथ यात्रा में भाग लेता है वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर निकाली जाती हैं। सबसे आगे बलभद्र का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे #जगन्नाथ का रथ होता है।
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई। तब #जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। तभी से जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है। नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है है।
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