गजब : ...जब वृद्ध मां-बाप को डोली में बिठाकर कांवड़ लेने पहुंच गया ये श्रवण कुमार (Shrawan kumar)! इस अद्भुत नजारे पर टिकीं हर किसी की निगाहें - Mukhyadhara

गजब : …जब वृद्ध मां-बाप को डोली में बिठाकर कांवड़ लेने पहुंच गया ये श्रवण कुमार (Shrawan kumar)! इस अद्भुत नजारे पर टिकीं हर किसी की निगाहें

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मुख्यधारा

आप सभी ने बचपन में श्रवण कुमार (Shrawan kumar) की कहानी अवश्य पढी होगी। कहानी ये थी कि श्रवण कुमार के माता-पिता जन्मजात अंधे थे। श्रवण कुमार उनका अकेला पुत्र था। बताया जाता है कि श्रवण कुमार जब किशोर अवस्था में पहुंचे तो एक दिन उन्हें ज्ञात हुआ कि उनके माता-पिता की 40 तीर्थों के दर्शन करने की इच्छा थी।

इस पर श्रवण कुमार (Shrawan kumar) एक साथ उन्हें डोली पर बिठाकर तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। इसी यात्रा की राह में राजा दशरथ का वर्णन भी है। जिसमें भूलवश राजा का वाण श्रवण पर लग जाता है और उनकी मौत हो जाती है। इस पर श्रवण के माता-पिता राजा को शाप देते हैं कि आपकी मौत भी पुत्र वियोग में ही होगी। तत्पश्चात राजा दशरथ भी भगवान राम के वनगमन के दौरान उनके वियोग में अपने प्राण गंवा देते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि श्रवण कुमार (Shrawan kumar) की कहानी का तात्पर्य क्या है। तो आइए आपको कलियुग में एक ऐसे ही मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार से रूबरू करवाते हैं, जो उन्हें डोली में बिठाकर कांवड़ यात्रा पर निकल गया।

देखें video :

21वीं सदी के इस अत्याधुनिक युग में आज कोई भी संयुक्त परिवारों में नहीं रहना चाहता। यही नहीं जिस मां-बाप ने पाल-पोसकर अपने बच्चों को बड़ा किया, आज वही बच्चे उन्हें वृद्ध आश्रमों में छोड़ दे रहे हैं।

एकांकी परिवार की इस होड़ के बीच आज कल चल रही कांवड़ यात्रा के दौरान कलियुग में एक श्रवण कुमार (Shrawan kumar) ऐसा भी दिखा, जो अपने वृद्ध मां-बाप को कंधे में डोली पर बिठाकर कांवड़ यात्रा पर ला रहा है। यह अद्भुत दृश्य देख हर किसी की आंखें नम हो जा रही हैं तो किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि भला आज भी कोई श्रवण कुमार हो सकता है।

यह दृश्य उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को भी खूब भाया और उन्होंने आज के इस मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की जमकर सराहना करते हुए इसे शेयर किया है।

उन्होंने लिखा है कि जहां आजकल बूढे मां-बाप का तिररस्कार होता है, उन्हें घर से निकाल दिया जाता है या अपने साथ रहने नहीं दिया जाता, वहीं आज इसका विपरीत दृश्य देखने को मिला।

अशोक कुमार कहते हैं कि लाखों शिव भक्तों के बीच एक श्रवण कुमार (Shrawan kumar) भी है, जो पालकी में अपने बुजुर्ग माता-पिता को लेकर कांवड़ यात्रा पर आया है। उन्होंने ऐसे श्रवण कुमार को नमन किया है।

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सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस अद्भुत वीडियो को देख तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं। यूजर कमेंट कर रहे हैं इन वृद्ध माता-पिता के अच्छे कर्म रहे होंगे, जिन्हें आज के कलियुग में भी पितृ भक्त श्रवण कुमार जैसा पुत्र मिला।

कुल मिलाकर आज की नई पीढ़ी के लिए यह वीडियो प्रेरणास्रोत के रूप में देखा जा रहा है।

 

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