सीमांत के शख्स ने अहम भूमिका निभाई प्रधानमंत्री की’मन की बात’ में
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के जीवन में वैसे भी कठिनाइयों की कोई कमी नहीं होती है पर मैदानों में आकर जीवन यापन करना सबसे कठिन निर्णय होता है। ये निर्णय लेना मुनस्यारी के मनोहर सिंह रावत के लिए भी आसान नहीं था लेकिन विकल्प भी कोई नहीं था। परिवार के संस्कार, काम के प्रति समर्पण, सच्चाई और ईमानदारी के साथ मनोहर सिंह रावत ने प्रसारण निष्पादक के रूप में कार्य आरंभ किया। मनोहर सिंह रावत ने सितंबर 1987 में देवभूमि उत्तराखंड के सुदूर भारत चीन सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ से आकर देश की राजधानी दिल्ली में आकर पहली बार एक महानगर की जिंदगी देखी। साधारण पृष्ठभूमि और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे मनोहर सिंह रावत, गाँव मुनस्यारी के मूल निवासी हैं।
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यह क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है, जहां शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति आज भी देश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा बहुत पिछड़ी हुई है। ऐसी विषम और विकट परिस्थितियों में एक कड़ा संघर्ष करने के उपरांत मनोहर सिंह रावत ने देश की सर्वोत्तम सांस्कृतिक संस्था में प्रवेश किया प्रसारण निष्पादक के रूप में 1987 में इस महानगर में ना कोई आशियाना था, ना कोई आसरा, ना ही किसी से कोई विशेष परिचय। पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के जीवन में वैसे भी कठिनाइयों की कोई कमी नहीं होती पर मैदानों में आकर जीवन यापन करना सबसे कठिन निर्णय होता है। ये निर्णय लेना मनोहर सिंह रावत के लिए भी आसान नहीं था लेकिन विकल्प भी कोई नहीं था। परिवार के संस्कार, काम के प्रति समर्पण, सच्चाई और ईमानदारी के साथ मनोहर सिंह रावत ने प्रसारण निष्पादक के रूप में कार्य आरंभ किया। क्योंकि अभी तक का जीवन
संघर्ष और कठिनाइयों से भरा था तो कठिन परिश्रम की आदत भी थी तो इन्होंने ऑफिस के विभिन्न कार्यों में भी सहयोग देना आरंभ किया और जल्द ही महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के निर्माण में, विशिष्ठ कार्यक्रमों के आयोजनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे।
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ये वो समय था जब आकाशवाणी में कार्यक्रमों के format में और तकनीक में परिवर्तन हो रहे थे। -‘मन की बात प्रोग्राम ऑफ ऑल इंडिया रेडियो : द स्टडी ऑफ इट्स कंटेंट एंड इफेक्टिवनेस’। इस शोध के मुताबिक, रेडियो सुनने वाले श्रोताओं में से करीब 78 प्रतिशत ना सिर्फ मन की बात सुनते थे, बल्कि उसका इंतजार भी करते थे। साफ है कि रेडियो की दुनिया में इस प्रसारण ने एक तरह से क्रांति लाने में भूमिका निभाई है। मन की बात की रिकॉर्डिंग की जिम्मेदारी आकाशवाणी के दिल्ली केंद्र की है। केंद्र की ओर से मनोहर सिंह रावत ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने चार एपिसोड छोड़कर हमेशा रिकॉर्डिंग की है। प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व और विनम्रता के वे कायल हैं। प्रधानमंत्री मन की बात की रिकॉर्डिंग के दौरान कभी लिखित स्क्रिप्ट नहीं पढ़ते, बल्कि उनके सामने वे बोलने वाले विषयों की हल्की सी जानकारी रखते हैं। रिकॉर्डिंग के बाद हर बार वे रिकॉर्डिंग करने गए अधिकारियों और साउंड इंजीनियरों से फीडबैक लेते हैं और कभी कोई गड़बड़ी लगी तो बिना संकोच दोबारा रिकॉर्डिंग करने से नहीं हिचकते।
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मन की बात में प्रधानमंत्री अब तक 700 से अधिक प्रतिष्ठित व्यक्तियों और लगभग 270 संगठनों का उल्लेख कर चुके हैं। इनमें 37 व्यक्ति और 10 संगठन विदेशी हैं। स्पष्ट है कि जिन लोगों का उल्लेख किया गया, इनमें से ज्यादातर लोगों और संगठनों ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में बड़ा काम किया है। बेशक यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री का वैचारिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तक्षेप है, लेकिन इसमें देश का आम नागरिक भी समान रूप से भागीदार है। लेह से पुनः आकाशवाणी दिल्ली आने पर मनोहर रावत को एक अलग तरह की भूमिका मिली जो तत्कालीन केंद्र निदेशक की दृष्टि में केंद्र सबसे महत्वपूर्ण अनुभाग था और जिसका दायित्व केंद्र के सबसे परिश्रमी और सबसे मेधावी कार्यक्रम अधिकारी को ही दी जा सकती थी और उनकी पहली पसंद बने मनोहर सिंह रावत। रावत जो स्वभावतः भारत सरकार के
कर्त्तव्य निष्ठ सेवक रहे हैं उन्होंने भी केंद्र निदेशक को निराश नहीं किया बल्कि उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप Hindi Talks Section को नई उछाल दी।
अखिल भारतीय कार्यक्रमों में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों, मंत्रालय के सचिवों, संस्थाओं के महानिदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की भागीदारी होने लगी और विषय भी वो रखे गए जिनका सम्बन्ध अंतिम जन से था, एक आम भारतीय से था। Sports कार्यक्रमों में अधिक रुचि रखने वाले अधिकारी का Hindi Talks में जाना वास्तव में वर्तमान के साथ भविष्य की भी आवश्यकता थी जिसके बारे में केवल विधाता जानता था या समय। वर्ष 2014 में देश को प्रधानमंत्री के रूप में मिले युगपुरुष नरेंद्र मोदी, जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से देश को विकसित करने का कार्य आरम्भ किया और विश्व पटल पर देश का मान सम्मान बढ़ाया देश और इसी क्रम में आकाशवाणी की लोकप्रियता बढ़ी प्रधान मंत्री की मन की बात से। अक्टूबर 2014 में जब प्रधानमंत्री ने मन की बात के माध्यम देशवासियों से आकाशवाणी के माध्यम से सीधे संवाद का निर्णय किया तो आकाशवाणी में इस कार्यक्रम के संयोजन का संपूर्ण दायित्व भी पहले ही अपने कार्यों की सफलता से अपनी क्षमता सिद्ध कर चुके मनोहर सिंह रावत को ही देना उचित समझा गया।
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प्रधानमंत्री का निजी कार्यक्रम होने के कारण और आकाशवाणी का अति विशिष्ठ कार्यक्रम होने के कारण इसमें मनोहर सिंह रावत की भूमिका के बारे में अधिक विस्तार से तो नहीं बताया जा सकता किन्तु आकाशवाणी के लिए यह गर्व की बात है कि अक्टूबर 2014 से लेकर फरवरी 2024 तक केवल लोकसभा चुनाव के दौरान (2019 और 2024)आचार संहिता का पालन करते हुए प्रधानमंत्री मन की बात के 110 Episode आकाशवाणी के माध्यम से प्रसारित किए हैं। मनोहर सिंह रावत 37 साल आकाशवाणी की सेवा करने के उपरांत 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनका कार्यकाल आकाशवाणी के इतिहास में सदैव एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, याद किया जाएगा। दूरदर्शन की सहयोगी सेवा है।
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अखिल भारतीय कार्यक्रमों में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों, मंत्रालय के सचिवों, संस्थाओं के महानिदेशक, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की भागीदारी होने लगी और विषय भी वो रखे गए जिनका सम्बन्ध अंतिम जन से था, एक आम भारतीय से था।देश की 99 प्रतिशत आबादी तक पहुँचने वाली और 92 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करने वाली रेडियो सेवा के रूप में, 23 भाषाओं और 179 बोलियों में कार्यक्रमों के साथ, आकाशवाणी एकमात्र रेडियो सेवा है जिसे समाचार प्रसारित करने की अनुमति है।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)