यमकेश्वर/मुख्यधारा
तीन दिवस पूर्व उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा (Disaster) की भयावह तस्वीरें आई। इस दौरान काफी जान माल की हानि हुई, किंतु एक अस्थाई राजधानी देहरादून से मात्र 60 किमी. व ऋषिकेश से मात्र 25 किमी. की दूरी पर बसा एक गांव ऐसा भी है, जहां की कोई सुध नहीं ले रहा है। गांव तक पहुंंचने वाला मार्ग व पुल आपदा की भेंट चढ़ गया है। ऐसे में ग्रामीण संकट में जीने को मजबूर हैं।
यहां बात की जा रही है यमकेश्वर विधानसभा के क्षेत्र पंचायत बूंगा के अंतर्गत ग्राम सभा बूंगा का खंड ग्राम वीर काटल का। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि पूर्व सैनिक क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा सुदेश भट्ट मुख्यधारा को बताते हैं कि जहां सड़क से लगते गांवों की सुध लेने छोटे बड़े नेता, कर्मचारी, अधिकारी और यहां तक कि मीडिया कर्मी भी तेजी से पहुंंच रहे हैं, किंतु वीर काटल जो कि पूर्ण रुप से चारों ओर से संपर्क मार्गों से कट (Disaster) चुका है, यहां पर बच्चे स्कूल जाने मे असमर्थ हैं।
गांव में कई बुजुर्ग बीमार हैं, लेकिन दवा लेने मोहन चट्टी अस्पताल तक भी नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि वीर काटल को जोडऩे वाला नाई गधेरा पुल पूर्ण रुप से आपदा की भेंट चढ़ चुका है।
इसके अलावा गांव को जोडऩे वाला बाकी रास्ता, जिसे लौकडाउन में क्षेत्र पंचायत बूंगा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मिलकर श्रम दान से बनाया था। यह मार्ग आधा किमी. से अधिक अपना अस्तित्व खो (Disaster) चुका है व रास्ते के नाम पर एक गहरी व भयावह खाई बन चुकी है। जिस कारण रोजमर्रा के काम से या अपनी आजीविका को लेकर रोजगार की तलाश में घोड़े खच्चर वाले, वाहन चालक, और ध्याड़ी मजदूरी करने वाले ग्रामीण गांव में ही फंस गये हैं। जिस कारण उनकी आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
सुदेश भट्ट बताते हैं कि लोगों के घरों में रसद सामग्री खत्म होने लगी है और गांव को जोडऩे वाले संपर्क मार्ग पूर्ण रूप से जमींदोज हो चुके हैं।
गांव के तीन-चार मकान मलबे की जद में आए हुए हैं, जिस कारण उन घरों के लोग दूसरे घरों में शरण लिए हुए हैं।
सुदेश भट्ट आक्रोश जताते हुए कहते हैं कि प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के प्रति अनदेखी की जा रही है। ऐसे में ग्रामीण स्वयं को असहाय महसूस कर रहे हैं। भट्ट ने कहा कि प्रशासन को शीघ वीर काटल में राहत एवं आपदा मे हुये नुकसान की भरपाई व काश्तकारों को उचित मुवावजे के लिये अपनी टीम भेजनी चाहिए।
सुदेश भट्ट कहते हैं कि बूंगा के नावधार तोक में अमीर चंद का मकान आपदा की जद (Disaster) में आ गया। जिससे घर के आगे लगभग 25 मीटर की खाई बन गयी है। ऐसे में अमीर चंद अपने परिवार के साथ जू.हा. स्कूल शक्तिखाल में रात काटने को मजबूर है।
सुदेश भट्ट ने बताया आपदा के इस दौर में वह निरंतर प्रशासन के सहयोग में तत्पर हैं। वे अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से ही एवं कोविड से लेकर किसी भी प्राकृतिक आपदाओं में हमेशा प्रशासन को सहयोग करते रहे हैं। वर्तमान आपदा में भी वह लगातार अपने स्तर से प्रशासन को सहयोग कर रहे है, किंतु उनका क्षेत्र बुरी तरह आपदाग्रस्त होने के बावजूद प्रशासन का रवैया निराशाजनक रहा है।
बताते चलें कि वर्ष 2014 की आपदा में भी वीर काटल आपदा का दंश झेल चुका है।