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प्लास्टिक (plastic) रहेगा कांवड़ यात्रा में मिलेगी ​एंट्री?

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प्लास्टिक (plastic) रहेगा कांवड़ यात्रा में मिलेगी ​एंट्री?

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

विछले दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते प्रतिबंधित कांवड़ यात्रा इस बार पूरी छूट और तैयारी के साथ संचालित की जाएगी। बता दें कि इस समय चार धाम यात्रा चल रही है। इसके बीच ही सावन में कांवड़ यात्रा शुरू होगी। पश्चिमी उप्र और इससे सटे राज्यों में कांवड़ यात्रा बड़ी ही हर्ष और उल्लास के साथ निकलतीहै। हिंदू धर्म में पवित्र माने जाने वाले सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है। गोमुख से गंगा जल लेकर जाने वाले कांवड़ यात्रियों की चहल पहल शुरू हो गई है। गोमुख में गंगा जल भरने को जाने वाले कांवड़ यात्रियों के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क ने एक दिन में संख्या अधिकत्तम 150 रखी गई है। एक दिन में केवल150 कांवड़ यात्री ही गोमुख से जल लेने के लिए जा सकेंगे। वहीं पुलिस और प्रशासन ने भी कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। आने वाले दिनों में कांवड़ यात्रा में भीड़ उमड़ने की उम्मीद की जा रही है। इसी दिन से बाबा भोले नाथ के भक्तों की कांवड़ यात्रा भी शुरु हो जाती है जोकि सावन के अंतिम दिन 31अगस्त 2023 तक जारी रहती है। वहीं इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है वहीं हरिद्वार-नजीबाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर चौड़ीकरण का काम हो रहा है। जिसके चलते हाईवे के बीच खड़े बिजली के खंबे कांवड़ यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ऐसे में यातायात पुलिस के लिए भी ये एक चुनौती बन सकती है। वहीं इसको लेकर अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को जल्द से जल्द खंबे हटाने के लिए पत्र लिखा गया है। अनुमान है कि सावन माह के दौरान करीब ४ करोड़ कांवड़िये हरिद्वार और गोमुख से भगवान भोले नाथ पर अर्पित करने के लिए जल उठाएंगे. इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के मद्देनजर कुछ नए नियमों को लागू करने जा रहा है. इस पवित्र यात्रा में ​​​​पुलिस ​​​कांवड़ियों की ढ्ढष्ठ देखकर ही प्रवेश देगी। इसके अलावा पुलिस डीजे पर कौन सा गाना बजेगा यह भी तय करेगी. यात्रा के दौरान डीजे के गीत और आवाज की भी जांच होगी। इस बार प्लास्टिक फ्री इंडिया की तर्ज पर कावंड़ यात्रा को
प्लास्टिक से मुक्त रखने की कोशिश की जाएगी।

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मीडिया रिपोर्टस के अनुसार प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इसे लेकर कहा कि, ज्ज्सिंगल यूज प्लास्टिक, थर्माकोल पूरी तरह बैन रहेगा। मिट्‌टी, लकड़ी, पत्ते के बर्तनों को शिविरों में यूज किया जाएगा इस बार कांवड़ियों की निगरानी ड्रोन से की जाएगी। वहीं, सुरक्षा के
लिए सिर्फ हरिद्वार में ही 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। साथ ही कावड़ यात्रा मार्ग में सीसीटीवी कैमरे और बढ़ाई जा रहे हैं जिससे किसी भी तरह की कोई गतिविधि पुलिस की नजर में रहे। इसके साथ ही कांवड यात्रियों के लिए भी नियम तय किए गए है।  हर कांवड़ियां अपनी आईडी साथ लेकर आना अनिवार्य होगा। साथ ही कांवड़ की हाइट 12 फुट से ऊपर नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं यात्रा में डीजे पर प्रतिबंध नहीं होगा लेकिन नियंत्रण रहेगा।बताया जा रहा है कि बैठक की अध्यक्षता डीजीपी ने  की। बैठक में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश हरियाणा दिल्ली पंजाब जम्मू कश्मीर राजस्थान के अधिकारी भाग लेने के लिए देहरादून पहुंचे हैं। बैठक में इंटेलिजेंस के अधिकारी भी मौजूद रहे साथ ही रेलवे से संबंधित अधिकारी और अर्धसैनिक बलों के आला अधिकारी भी मौजूद रहे। प्लास्टिक अब मात्र प्रकृति और पर्यावरण के लिए ही हानिकारक नहीं है, बल्कि अब यह हमारे शरीर के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुका है। प्लास्टिक शरीर पर सदी का सबसे बड़ा आक्रमण कर रहा है।

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21 मई से लेकर 30 मई तक चली 76 वीं हेल्थ एसेंबली में यह गंभीर मुद्दा बना कि प्लास्टिक से फैल रहा प्रदूषण स्वास्थ्य पर कैसे सीधा असर डाल रहा है।पेरू, कनाडा, कोलंबिया, इक्वाडोर, मैक्सिको, स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया कि आज प्लास्टिक हमारे जीवन व स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन चुका है। एक आंकड़ा सामने आया है कि एक व्यक्ति 5 ग्राम प्लास्टिक हर हफ्ते में किसी न किसी कारणों से अपनी आंतों को सौंप देता है। यह बहुत बड़ा मुद्दा है, जिस पर शायद अभी भी शोध की आवश्यकता है। लेकिन, जो वैज्ञानिक तथ्य सबके सामने आ रहे हैं, उनमें अपंगता, प्रीमेच्योर डेथ जैसे मामलों का जिक्र है। प्लास्टिक के जहरीले पदार्थ हमसे जुड़ चुके हैं और वे कैंसर का कारण भी बन रहे है। प्लास्टिक मात्र हमारे पेट का ही रास्ता नहीं ढूंढ रहा है, बल्कि हवा के रास्ते भी यह हमारे हृदय ओर फेफड़ों में जगह बना रहा है। यह बड़ा खतराहै।

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अध्ययन में सामने आया है कि प्लास्टिक से उत्पन्न बीमारियों पर 2015 में दुनिया ने करीब 250 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। सिर्फ अमरीका में यह खर्च 920 बिलियन डॉलर था। इसका कारण भी है कि अमरीका उन देशों में से एक है, जो सबसे ज्यादा प्लास्टिक का उपयोग करता है। सवाल यह पैदा होता है कि आखिर हम इस बड़ी विपदा से कैसे मुक्त हो सकते हैं? यह बड़ी चुनौती दुनिया भर के सामने आ चुकी है, क्योंकि अब जो बातें सामने आई हैं और जो शोध में निकला है, उसमें माइक्रोप्लास्टिक सबसे बडी समस्या है। यह कई रास्तों से शरीर में प्रवेश कर रहा है। प्लास्टिक लोगों की रक्त वाहिनियों में भी पहुंच चुका है।जाहिर है कि प्लास्टिक को मात्र सड़क के किनारे जमा कचरे के रूप में ही नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में प्रवेश कर चुका है। अब हमें यह बात समझनी होगी कि प्लास्टिक मानव के जीवन के लिए भी खतरनाक है और इससे मुक्ति पाने में ही हमारा भला है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को उत्तराखंड में गंगा के किनारे गोमुख से हरिद्वार तक प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और नदी में कचरा फैलाने के आरोपी आतिथ्य क्षेत्र पर कड़ा जुर्माना भी लगाया।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को उत्तराखंड में गंगा के किनारे गोमुख से हरिद्वार तक प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और नदी में कचरा फैलाने के आरोपी आतिथ्य क्षेत्र पर कड़ा जुर्माना भी लगाया। कांवड़ यात्रा में बाहरी राज्यों से आने वाले हर यात्री को अपने साथ पहचान पत्र रखना अनिवार्य होगा उत्तराखंड को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए लगातार अभियान जारी है। मूल रूप से जरूरी यह है कि कांवड़ शासन-प्रशासन के तौर-तरीकों को बदला जाए।

(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)

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