कोरोना जैसी राष्ट्रीय विपदा के समय कतरा रहे ड्यूटी से
मुख्यधारा ब्यूरो
हरिद्वार। चंपावत जिले में जिलाधिकारी ने जहां पशु चिकित्सकों को भी प्राथमिक प्रशिक्षण देकर कोरोना के इलाज के लिए टीम खड़ी कर दी है, वहीं आयुर्वेद चिकित्सक तैयार करने वाले ऋषिकुल कालेज प्रशासन का रवैया सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है। यानि कि वह कोरोना जैसी राष्ट्रीय विपदा के समय भी ड्यूटी से कतरा रहे हैं, ऐसे में उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हरिद्वार के सबसे बड़ा क्वारंटाइन सेंटर ऋषिकुल आयुर्वेद कालेज एवं चिकित्सालय है, जहां सौ से अधिक लोगों को क्वारंटाइन पर रखा गया है। कालेज के पास ढाई दर्जन से अधिक पेशेवर शिक्षक व चिकित्सक हैं, जो महामारी के दौर में जब देश का हर नागरिक अपना योगदान दे रहा है और बढ़ -चढ़ कर आगे आ रहा है, आयुर्वेद के शिक्षक-चिकित्सक मुंह मोड़ रहे हैं।
यूजीसी वेतनमान के साथ मोटी तनख्वाह लेने वाले आयुर्वेद कालेज प्रशासन ने अपने संवर्ग को ड्यूटी से अलग रख पीजी छात्रों को क्वारंटाइन केंद्र की ड्यूटी पर लगा दिया था, जो नियमानुसार इलाज करने के लिए अधिकृत भी नहीं हैं।
यही नहीं फार्मेसिस्टों के साथ दरियादिली दिखाते हुए उन्हें भी घर में बैठा रखा है। कालेज प्रशासन ने केवल नर्सेज संवर्ग के कार्मिकों को क्वारंटाइन केन्द्र में ड्यूटी पर झोंक रखा है। भारत सरकार ने महामारी से बचाव में आयुष चिकित्सकों की भूमिका को रेखांकित किया है।
आयुर्वेद चिकित्सक-शिक्षक प्राय: अपनी उपेक्षा का रोना रोते रहे हैं, लेकिन जब राष्ट्रधर्म को निभाने और मानवता की सेवा में परीक्षा की घड़ी आई तो ड्यूटी से बच रहे हैं। कालेज प्रशासन के इस रवैये से नाराज पीजी छात्रों ने भी आज ड्यूटी से इन्कार कर दिया है। अपने संवर्ग को ड्यूटी से बचाने के लिए चिकित्सा अधीक्षक ओपी सिंह न ने छात्रों को हर प्रकार से मनाने की कोशिश की, लेकिन वे विधा के पेशेवर शिक्षक चिकित्सक के बिना ड्यूटी के लिए राजी नहीं हैं।
सवाल यह है कि आयुर्वेद कालेज के जो अन्य कार्मिक सेवाएं दे रहे हैं, क्या वे गलत हैं? सरकारी कार्मिकों का सामूहिक बीमा आलरेडी होता है। राजकोष से वेतन लेने वाला सेवा से इनकार नहीं कर सकता। सरकार जो काम हो, ले सकती है। चुनाव व मेला ड्यूटी में भी लगाया जाता है। कोरोना ड्यूटी में बीमा देना अतिरिक्त प्रोत्साहन है, ताकि जोखिम में काम करने के प्रति उत्साह बना रहे।
कोई भी सरकारी सेवक ड्यूटी से इसलिए इन्कार नहीं कर सकता है कि उसे अतिरिक्त बीमा पैकेज आफर नहीं किया गया है। शासनादेश वैसे सभी प्रकार के कार्मिकों को कवर दे रहा है। ड्यूटी से बचने के लिए उसका गलत इंटरपिटेशन किया जा रहा है।