सरकार के प्रवक्ता के स्ट्रॉक से भंवर में फंसी उत्तराखंड कांग्रेस - Mukhyadhara

सरकार के प्रवक्ता के स्ट्रॉक से भंवर में फंसी उत्तराखंड कांग्रेस

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देहरादून। कोरोना महामारी से लड़ने के लिए विधायकों के वेतन भत्तों में कटौती के मामले में प्रदेश सरकार ने कांग्रेस को भंवर में फंसा दिया है। सरकार ने कहा है कि यदि कांग्रेस चाहती है कि उनके विधायक आपदा से निपटने के लिए अपने वेतन भक्तों में कटौती करवाने में सक्षम नहीं है तो इसके लिए वह लिखित में सरकार को उपलब्ध करा दें।
बताते चलें कि राष्ट्रीय विपदा कोरोना से बचाव और रोकथाम के लिए सभी राज्यों की सरकारों के विधायक और मंत्रियों के वेतन भत्तों से कटौती की जा रही है। इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी विधायकों के वेतन भत्तों में कटौती की जानी थी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना से निपटने के लिए विधायकों से उनकी एक साल तक के वेतन का 30 फीसदी कटौती करवाने का अनुरोध किया था। बकायदा इसके लिए कैबिनेट बैठक में आगामी 1 साल के लिए टाइम पीरियड भी निर्धारित कर दिया गया था, लेकिन इसे लेकर कांग्रेस ना-नुकुर कर रही है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के मात्र 11 विधायक हैं, जबकि अभी भी 20 से ज्यादा विधायकों ने अपने वेतन भत्ते काटने के लिए स्वीकृति नहीं दी है। जाहिर है कि कांग्रेस के अलावा कुछ ऐसे भाजपा विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक अपने वेतन भत्ते काटने के लिए स्वीकृति नहीं दी है।
 कांग्रेस का रुख इस पर स्पष्ट न होने के कारण सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा है कि कांग्रेस यदि नहीं चाहती है कि उनके वेतन भत्तों में कटौती हो तो वह नेता प्रतिपक्ष के माध्यम से लिखित में सरकार को पत्र प्रेषित कर दें। तब उनके वेतन भत्ते नहीं काटे जाएंगे।
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 मदन कौशिक ने कहा कि महामारी के मौके पर स्पष्ट होता है कि कांग्रेस कहां खड़ी है। ऐसे में उन्हें तय करना है कि वह राष्ट्र हित में क्या योगदान देना चाहते हैं।
 वहीं दूसरी ओर वेतन-भत्तों में कटौती को लेेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि जब वेतन भत्ता काटना है तो हमसे संवाद भी  किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र सरकार हिटलरशाही की तरह काम कर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस के विधायक वेतन भत्तों में कटौती पर सहमति नहीं दे रहे। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के कांग्रेस विधायकों से विचार विमर्श के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि इस मामलेे में क्या रणनीति होगी।
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 बहरहाल उत्तराखंड कांग्रेस की स्थिति भंवर में फंसने जैसी बन गई है। अब कांग्रेस चाह कर भी लिखित में ऐसा नहीं दे सकती है कि उनके विधायक कोरोना महामारी से निपटने के लिए अपनेेे वेतन भत्ते मे से कटौती नहीं कर सकते और यदि वह जल्द लिखित में नहीं देते हैं तो उनके विधायकों के वेतन-भत्ते कटने शुरू हो जाएंगे। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अब इस मामले में क्या स्टैंड लेती है?
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