नीरज उत्तराखंडी
पुरोला। केंद्र व राज्य सरकार स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने और छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर लाख दावे किए जा रहे हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो सरकारी विद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। इसकी बानगी उत्तरकाशी के पुरोला में भी देखी जा सकती है।
सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार स्कूल चलो अभियान के तहत मिड-डे मील, नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और मेडिकल सुविधा दी जा रही है. बावजूद इसके इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।
पुरोला विकासखंड में 119 प्राथमिक स्कूल और 63 जूनियर स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिनमें कुल 2,696 बच्चे अध्ययनरत है। इन बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार ने 182 अध्यापक नियुक्त किये हैं। जिनका एक माह का वेतन 1 करोड़ 21 लाख 83 हजार 330 रुपये सरकार वहन करती है। इस हिसाब से हर बच्चे पर प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपये खर्च हो रहे है।
गौरतलब है कि प्राइमरी स्तर पर साल 2016 में कुल छात्रों की संख्या 3400, साल 2017 में 3169, साल 2018 में 2919 और 2019-20 में यह संख्या घटकर महज 2669 रह गई है।
इतना ही नहीं माध्यमिक स्तर पर भी छात्र संख्या में लगातार गिरावट हो रही है।
पूरे ब्लॉक में कुल 5 इंटर कॉलेज तथा 2 हाई स्कूल संचालित हो रहे है. वहीं, माध्यमिक स्तर पर साल 2016 में 2549 छात्र, साल 2017 में 2560, साल 2018 में 2478, साल 2019 में 2426 छात्र ही रह गये हैं।
बहरहाल, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र संख्या बढ़ाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं। वह तमाम योजनाओं के संचालन के बावजूद नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में उन कारणों का पता लगाना भी आवश्यक है, जिसके कारण साल दर साल सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटती जा रही है।