रमेश पहाड़ी
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में वापस लौटने वाले बेरोजगारों तथा स्थानीय आर्थिकी को गति देने के लिए सुझाव देने के लिए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। वर्तमान स्थिति में अपने कार्यों से उजड़ चुके लोगों को त्वरित राहत देने के लिए तात्कालिक स्तर पर निम्न कार्य तुरन्त आरम्भ करने चाहिए:-
कृषि, बागवानी, पशुपालन, ग्रामोद्योग जैसे छोटे लेकिन त्वरित आर्थिक लाभ देने वाले कार्यक्रमों को शुरू करने की व्यापक कार्ययोजना बनानी चाहिए और इसके लिए आर्थिक पैकेज उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसमें :-
(1) 50 प्रतिशत अनुदान पर 3 लाख रु तक का ब्याजमुक्त व्यक्तिगत ऋण, 5 से 10 लाख रुपए तक का सामूहिक (सहकारी संस्थाओं या उत्पादक समूहों को) ऋण आसानी से उपलब्ध कराने
(2) उनके द्वारा उत्पादित सामग्री के विक्रय की व्यवस्था उत्पादन-स्थलों से ही सुनिश्चित करने
(3) उत्पादक गतिविधियों को बीमा कवच उपलब्ध करा कर, उनको होने वाली किसी भी प्रकार की क्षति की भरपाई सुनिश्चित करने
(4) सारे सम्बंधित विभागों को इन गतिविधियों में जुटने के लिए मानसिक एवं भौतिक रूप से तैयार करने
(5) सरकारी तंत्र को लोकोन्मुखी बनाकर, प्रशासक नहीं, बल्कि मार्गदर्शक व सहयोगी के रूप में स्थापित करने
जैसी व्यवस्थाएं की जायें तो पहाड़ों का हताश, निराश जनमानस पलायन की बजाय रचनात्मकता की दिशा में प्रवृत्त हो सकता है। पहाड़वासियों के खून में रचनात्मकता का जो स्वाभाविक गुणधर्म है, उसे उपयोग करने का यह एक अवसर हो सकता है और त्रिवेंद्र सरकार इसका श्रेय ले सकती है।
बहरहाल, अब देखना यह है कि उपरोक्त सुझावों को सरकार अमल में लाती है या नहीं।