उत्तराखंड: राज्य में एसएसबी गुरिल्लाओं (SSB Guerillas) ने भरी हुंकार, वर्षों से मांगें पूरी न होने से हैं आक्रोशित - Mukhyadhara

उत्तराखंड: राज्य में एसएसबी गुरिल्लाओं (SSB Guerillas) ने भरी हुंकार, वर्षों से मांगें पूरी न होने से हैं आक्रोशित

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उत्तराखंड: राज्य में एसएसबी गुरिल्लाओं (SSB Guerillas) ने भरी हुंकार, वर्षों से मांगें पूरी न होने से हैं आक्रोशित

नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

गुरिल्ला को एकजुट करने और एसएसबी गुरिल्लाओं की महत्ता सरकार को बताने के उद्देश्य से प्रदेश गुरिल्ला संगठन द्वारा जनजागरण रथ यात्रा निकाली जा रही।

अल्मोड़ा से शुरू हुई रथ यात्रा का आज त्यूनी पहुंचने पर गुरिल्ला द्वारा भव्य स्वागत किया गया। उसके बाद वन विभाग के विश्राम भवन परिसर में गोष्ठी का आयोजन कर संगठन की मजबूती के लिए विचार–विमर्श किया गया।

बताते चलें कि एसएसबी गुरिल्ला विगत कई वर्षों से पूर्वोत्तर राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी सरकारी नौकरी एवं पेंशन देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश एवं केंद्र सरकार द्वारा इसमें कोई भी कार्रवाई न करने पर गुरिल्लाओं में भारी आक्रोश है। उपरोक्त मांग को लेकर 23 जून को अल्मोड़ा से शुरू की गई गुरिल्लाओं की जन जागरण रथयात्रा पुरोला और फिर त्यूनी पहुंची।

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ब्लॉक अध्यक्ष एलम सिंह पंवार ने जनजागरण रथयात्रा के साथ आए सभी गुरिल्लाओं का स्वागत किया तथा 20 जुलाई को उत्तरकाशी में जिलास्तरीय रैली में सभी गुरिल्लाओं से भाग लेने की अपील की है।

बैठक में सत्यापन से वंचित गुरिल्लाओं का शीघ्र सत्यापन करने की मांग भी की गई।

इस अवसर पर जगवीर लाल, केशव प्रसाद, जगदीश प्रसाद, जगदेव, भरत सिंह, बिमला देवी, ज्ञान माला, शशि आदि मौजूद थे।

सभा में संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी ने संगठन की मजबूती पर बल देते हुए कहा कि कमजोर होती संगठन शक्ति के कारण ही गुरिल्लाओं की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस जनजागरण रथयात्रा के माध्यम से गुरिल्लाओं को जागरूक और संगठित किया जा रहा है। उन्होंने सभी गुरिल्लाओं से आगामी कार्यक्रमों में अधिक से अधिक भागीदारी का आह्वान किया।

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बैठक में सत्यापन से वंचित गुरिल्लाओं का शीघ्र सत्यापन करने की मांग भी की गई।

कुमुदेश्वर महादेव मंदिर में पूजा–अर्चना करने के बाद संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि 5000 दिनों से हमारी बात नहीं सुनी गई। राह चलते लोगों की सलाह भी महत्वपूर्ण है, उन्होंने 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद उनकी अनदेखी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि इस जनजागरण रथयात्रा के माध्यम से गुरिल्लाओं को जागरूक और संगठित किया जा रहा है।

संगठन के जिलाध्यक्ष जयेन्द्र रावत ने सभी गुरिल्लाओं से आगामी कार्यक्रमों में अधिक से अधिक भागीदारी का आह्वान किया।

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