बड़ी खबर: उत्तराखंड में राज्य योजना आयोग समाप्त, ‘सेतु’ (Setu) का किया गठन, शासन की ओर से जारी किए आदेश, राज्यपाल ने दी मंजूरी
देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड की धामी सरकार ने केंद्र सरकार की नीति आयोग की तर्ज पर अब राज्य योजना आयोग को समाप्त कर ‘सेतु’ का गठन किया है।
मंगलवार को उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर इंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) के गठन को राज्यपाल गुरमीत सिंह ने मंजूरी दे दी है।
राज्यपाल की मंजूरी के बाद सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले कैबिनेट बैठक के दौरान सेतु गठन के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी थी। सेतु प्रदेश सरकार की नीति व नियोजन में थिंक टैंक की तरह काम करेगा। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। साथ ही नियोजन मंत्री उपाध्यक्ष और तीन सलाहकार भी नियुक्त होंगे।
सेतु के संगठनात्मक ढांचे के मुताबिक, मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। यदि वह नियोजन मंत्री हैं, तो उपाध्यक्ष पद पर वह किसी मंत्री को नामित करेंगे। मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुक्त बाजार से लिया जाएगा। प्रकोष्ठ, केंद्र सरकार संचार प्रकोष्ठ, व्यय वित्त प्रकोष्ठ, तकनीकी सलाहकार समिति एवं बजट प्रकोष्ठ सम्मिलित हैं।
यह आर्थिक व सामाजिक विकास केंद्र कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों, उद्योगों, एमएसआइ, आरडी, पर्यटन सहित रोजगार सृजन की संभावना वाले ग्रोथ ड्राइवर क्षेत्रों की पहचान करेगा। पब्लिक पालिसी एवं सुशासन केंद्र सरकारी योजनाओं और नीतियों को प्रभावी रूप से डिजाइन और क्रियान्वित करने में योगदान देगा।
जनाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उपयुक्त प्रशासनिक एवं संस्थागत सुधार सुनिश्चित करेगा। साथ में शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों के लिए भी नियोजन करेगा। साक्ष्य आधारित योजना के लिए केंद्र सांख्यिकीय के बेहतर उपयोग एवं डाटा के विश्लेषण, शोध एवं अनुश्रवण का कार्य करेगा।
आर्थिक सलाहकार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सलाहकार के लिए पात्रता शर्तें भी तय की गई हैं। साथ ही विभागों की योजनाओं में समय और जरूरत के अनुसार, संशोधन करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।
साक्ष्य आधारित योजना केंद्र के तहत सलाहकार उपलब्ध डाटा का विश्लेषण, डाटा इको सिस्टम विकास, सर्वेक्षण और अध्यक्ष में तकनीकी मार्गदर्शन करेंगे। राज्य के युवाओं के लिए अवसरों की समानता। पर्यावरण को बचाते हुए सतत विकास।
सरकार के प्रत्यक्ष और उत्तदायी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। राज्य के संसाधनों के कुशल और प्रभावी उपयोग के लिए समन्वय, सामुदायिक भागीदारी व नेटवर्किंग पर जोर देगा।