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साइबर क्राइम : विदेशी व्यापारियों द्वारा भारत के बैंक खातों से इस तरह की जा रही ठगी। अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का एक सदस्य गिरफ्तार

admin
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देहरादून/मुख्यधारा
यदि आप भी गूगल प्ले स्टोर या अन्य किसी इंटरनेट ब्राउजर, एप या ईमेल पर लुभावने ऑफर या पैसे डबल करने की इच्छा पाले हुए हैं तो जरा सावधान हो जाइए। कहीं ऐसा न हो कि पलभर में ही आपकी जीवनभर की कमाई साइबर ठग हड़प लें और फिर आप बैंकों या पुलिस के चक्कर काटते रहें। ऐसे ही मामले में आम जनता को गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद पावर बैंक नामक एप में निवेश कर पैसे दोगुना करने का लालच देकर ठगी करने वाले अंतराष्ट्रीय गिरोह का सदस्य गिरफ्तार करने में पुलिस ने सफलता पाई है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स, देहरादून से प्राप्त जानकारी के अनुसार साइबर अपराधी आम जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने हेतु नित नये-नये तरीके अपना रहे हैं। वर्तमान में ऐसे कई प्रकरण प्रकाश में आ रहे हंै, जिसमे साइबर अपराधियों द्वारा पावर बैंक नामक एप के माध्यम से पैसे इन्वेस्ट करने पर 15 दिन में पैसे दोगुने करने का लालच देकर आम जनता से धनराशि जमा कराकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हंै।
एक मामला साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुआ, जिसमें पीडि़त रोहित कुमार निवासी श्यामपुर जनपद हरिद्वार द्वारा साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून तथा राहुल कुमार गोयल निवासी कनखल हरिद्वार द्वारा प्रार्थना पत्र दिए गये। जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हे उनके दोस्त ने बताया कि पावर बैंक नामक एप के माध्यम से पैसे इन्वेस्ट करने पर 15 दिन में पैसे दोगुने हो जाते हैं। उसकी बातों में आकर शिकायतकर्ता द्वारा प्ले-स्टोर से पावर बैंक नामक ऐप डाउनलोड कर भिन्न-भिन्न तिथियों में क्रमश: 91,200/- (इकानब्बे हजार दो सौ) एवं 73,000/- (तिहत्तर हजार) रुपये जमा कराकर उनके साथ धोखाधड़ी की गयी।
शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र के आधार पर साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन देहरादून में मु0अ0सं0 18/21 धारा 420 भादवि व 66(सी), 66(डी) आईटी एक्ट एवं मु0अ0सं0 19/21 धारा 420 भादवि व 66(सी), 66(डी) आईटी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया तथा विवेचना निरीक्षक महेश्वर पुर्वाल के सुपूर्द कर एसटीएफ एवं साइबर थाने की संयुक्त टीम का गठन किया गया। उक्त प्रकार के अपराध के सम्बन्ध में जनपद टिहरी में भी एक अभियोग पंजीकृत है।
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पुलिस टीम द्वारा अभियोग में अभियुक्तगणों द्वारा प्रयुक्त किये गये मोबाइल फोन नंबर व वादी से धनराशि जिन बैंक खातों एवं ऑनलाईन मर्चेंट/वॉलेट में प्राप्त की गयी, उनकी सम्बन्धित दूरभाष कंपनी, बैंक व वॉलेट नोडल अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर विश्लेषण किया। तकनीकि विश्लेषण में पाया गया कि समस्त धनराशि विभिन्न वॉलेट के माध्यम से अलग-अलग बैंक खातों में भेजा जा रहा था। अभियोग में RAZORPAY एवं PAYU के माध्यम से पैसा आईसीआईसीआई बैंक के खाते तथा पेटीएम बैंक में स्थानान्तिरित कराये गये।
यह भी पता चला कि प्रतिदिन करोड़ों का लेन देन उक्त बैंक खातों में किया जाता है। साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन द्वारा इन खातों का तकनीकी विश्लेषण करने पर देखा गया कि पेटीएम बैंक का खाता प्रमुख संदिग्ध खाता है, जिसका संचालन पवन कुमार पाण्डेय निवासी नोयडा उ0प्र0 के द्वारा किया जा रहा है। यह भी सामने आया है कि यह पावर बैंक एप फरवरी 2021 से 12 मई 2021 तक संचालन में रही, जिसमें साइबर थाने द्वारा वित्तीय लेनदेन का अध्ययन किया गया तो विभिन्न खातों में करीब 250 करोड़ धनराशि की धोखाधड़ी प्रकाश में आयी तथा अनुमानित और भी अधिक धनराशि की धोखाधड़ी सम्भावित है। गौरतलब है कि इस एप को संभावित 50 लाख लोगों द्वारा पूरे भारतर्ष में डाउनलोड किया गया है।
साइबर थाने एवं एसटीएफ की संयुक्त पुलिस टीम का गठन किया गया। अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु उ0प्र0, दिल्ली एनसीआर हेतु रवाना किया गया। एसटीएफ/साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन की टीम द्वारा देश भर में धनराशि दोगुना करने से सम्बन्धित संचालित ऐप के नाम पर लोगों का विश्वास जीतकर उनकी मेहनत की कमाई की ठगी करने वाले संगठित गिरोह के सदस्य को नोयडा सैक्टर 99 से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की। अभियोग में अभियुक्त द्वारा पावर बैंक एप के माध्यम से धनराशि निवेश करने तथा एक सदस्य से अन्य सदस्यों को जोडऩे पर अधिकतम लाभ का लालच देकर बहुत बड़ी धनराशि एकत्र की गयी, जिस पर अभियुक्त के विरुद्ध धारा 3/21, 4/22 Banning of unregulated deposit Scheme act 2019 का अपराध कारित करना भी पाया गया ।
अपराध का तरीका
 अभियोग में प्रकाश मे आया है कि कुछ विदेशी Businessman भारत में कुछ निवेशकों से दोस्ती कर उनको भारत में विभिन्न व्यापार के नाम पर अपने साथ कमीशन देने के नाम पर जोड़ते है। इसी क्रम में इस अभियोग में प्रकाश में आया कि इस प्रकार विभिन्न ऑनलाईन एप पूर्व में लोन प्रदान करती थी। अब अपराध के तरीके में बदलाव कर ये लोगों का विश्वास जीतकर रिचार्ज एवं पैसा दोगुना करने का प्रलोभन देकर धनराशि निवेश करवाते हैं। भारत के नागरिकों के ही बैंक खाते और उनके मोबाईल नम्बर का प्रयोग किया जाता है।
प्रारम्भ में कुछ व्यक्तियों को पैसे वापस भी किये जाते हैं, जिससे सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार प्रसार से इनका यह अंतराष्ट्रीय संगठित अपराध पूरे देश मे पैर पसार सके। प्रतिदिन करोड़ों धनराशि एक खाते से दूसरे खाते और उसके आगे विभिन्न खातों में स्थानान्तरित कराकर पुलिस को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। अपराध में प्रयोग बैंक खाते विभिन्न फर्जी कम्पनियों के नाम से Registrar of Companies (ROC) में पंजीकृत है। इसी प्रकार 25 एप जो संदिग्ध कार्य मे लगी है, उनकी सूची प्राप्त हुयी है। यह भी पाया गया कि इस धनराशि को क्रिप्टो करेंसी मे बदलकर यह विदेश राष्ट्रों में भेजी जा रही है, जहां इसको स्थानीय मुद्रा में परिवर्तित कर दिया जाता है। इस प्रकार भारत के पैसे को अन्य राष्ट्र की मुद्रा में परिवर्तित करने का एक बहुत बड़ा संगठित अंतर्राष्ट्रीय गिरोह चल रहा है और इस प्रकार इसके अपराध का तरीका प्रकाश में आ चुका है। इस तरह के प्रकरण में 20 अन्य शिकायतें भी प्राप्त हुई है, जिनका परीक्षण किया जा रहा है।
गिरफ्तार अभियुक्त
1. पवन कुमार पाण्डेय पुत्र बनवारी पाण्डेय, निवासी सी-7 एचआईजी फ्लैट, ग्रीन व्यू अपार्डमेंट सैक्टर 99 नोयडा उ0प्र0।
बरामदगी 
1-  19 लैपटॉप
2-  592 सिम कार्ड
3- 5 मोबाइल फोन विभिन्न कम्पनियों के
4- 4 ए0टी0एम0 कार्ड
5- 1 पासपोर्ट
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