बड़ी खबर: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नहीं थम रहा विवाद। अब कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा ने वित्त अधिकारी व शासन को भेजा ये पत्र - Mukhyadhara

बड़ी खबर: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में नहीं थम रहा विवाद। अब कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा ने वित्त अधिकारी व शासन को भेजा ये पत्र

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देहरादून/मुख्यधारा

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद पर डा. मृत्युंजय मिश्रा की पुनर्नियुक्ति के बाद आया उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने कुलसचिव मिश्रा को कोई भी पत्रावली न दिखाने को लेकर निर्देश जारी किए। जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि मृत्युंजय मिश्रा को उनके मूल विभाग में भेज दिया जाएगा, किंतु अब कुल सचिव पद पर तैनात मृत्युंजय मिश्रा ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के मुख्य वित्त अधिकारी को आहरण वितरण को लेकर पत्र प्रेषित किया है।

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7 जनवरी 2022 को कुलसचिव डा. मृत्युंजय मिश्रा द्वारा हस्ताक्षरित जारी किए गए उक्त पत्र में कहा गया है कि

पूर्व में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 में वित्त अधिकारी को विश्वविद्यालय निधियों के आहरण हेतु अधिकृत किया गया था, जिसे वर्ष 2014 में संशोधित अधिनियम के माध्यम से एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिनियमावली 2015 के माध्यम से पूर्व में आवंटित डी०डी०ओ० कोड के साथ समाप्त करते हुए शासन द्वारा आहरण वितरण का कार्य अन्य विश्वविद्यालयों की भाँति कुलसचिव को दिया गया है।
संज्ञान में आया है कि आप द्वारा मा० कुलपति महोदय के निर्देशों / दबाव में आहरण वितरण का कार्य कर रहें है, यह शासन के नियमों का उल्लंघन है। इस सम्बन्ध में अधोहस्ताक्षरी द्वारा अपको दूरभाष पर सम्पर्क भी किया परन्तु आप द्वारा फोन नहीं उठाया गया। आपको WhatsApp के माध्यम से सुचित कर दिया गया है तथा यह पत्र भी प्रेषित किया जा रहा है।
अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त के सम्बन्ध में उचित होगा की आप शासन से मार्गदर्शन प्राप्त कर लें। यह पत्र आपको सचेत किये जाने हेतु प्रेषित किया जा रहा है। अन्यथा की किसी भी प्रतिकुल स्थिति में अघोहस्ताक्षरी का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।

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मृत्युंजय मिश्रा द्वारा एक और पत्र सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा को प्रेषित किया गया है, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलसचिव कार्यालय एवं रिकार्ड रूम को कुलपति द्वारा ताला बंद किए जाने के कारण कार्मिकों को वेतन भुगतान न होने एवं विश्वविद्यालय की बंद ईमेल आईडी के स्थान पर नवीन ईमेल आईडी के माध्यम से पत्राचार किए जाने संबंधी सूचना भेजने के संबंध में कहा गया है।

पढ़ें पूरी डिटेल

उपर्युक्त विषयक शासन के आदेश संख्या 2712/XL-1 / 2021-19/2020 TC-II दिनांक 28 दिसम्बर, 2021 के अनुपालन में अधोहस्ताक्षरी द्वारा दिनांक 28 दिसम्बर, 2021 को शासन में कार्यभार ग्रहण करने के उपरान्त दिनांक 29 दिसम्बर, 2021 को विश्वविद्यालय में उपस्थिति दर्ज की गयी। अवगत कराना है कि दिनांक 31 दिसम्बर, 2021 को कुलपति महोदय द्वारा विश्वविद्यालय के कुलसचिव कार्यालय एवं रिकॉर्ड रूम में ताला लगवा दिया गया तथा डॉ० शैलेन्द्र प्रधान, असिस्टेन्ट प्रोफेसर ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार द्वारा अपने मूल दायित्व को छोड़ते हुये उपकुलसचिव के पद पर अनाधिकृत रूप से कार्य किया जा रहा है तथा विश्वविद्यालय की ई-मेल आई०डी० [email protected] का पासवर्ड परिवर्तन कर अपने स्तर से संचालन किया जा रहा है रिकॉर्ड रूम में नियुक्ति सम्बन्धी संवेदनशील पत्रावलियां होने के दृष्टिगत पत्रावलियों से छेड़छाड़ / गायब किये जाने की प्रबल सम्भावना है जिस हेतु मेजिस्ट्रेट के माध्यम से उक्त रूम को खुलवाया जाना आवश्यक है अथवा उक्त रूम को शील किया जाना उचित है। इस प्रकार डॉ० प्रधान द्वारा अन्य अज्ञात लोगों के साथ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है जिस हेतु आई०पी०सी० की धारा 34,120,149,186,503 के तहत एफ0आई0आर दर्ज किये जाने की सम्भावना बनती है।
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिनियमावली की धारा-36 के विपरीत जाकर कई लोगों द्वारा उपकुलसचिव के पद का कार्य किया जा रहा है।
उपरोक्त के अतिरिक्त यह भी अवगत कराना है कि कुलसचिव कार्यालय बन्द होने के कारण दिनांक 8 जनवरी, 2022 तक भी विश्वविद्यालय के कार्मिकों को माह दिसम्बर, 2021 का वेतन भुगलन नहीं किया जा सका है संज्ञान में आया है कि कुलपति महोदय द्वारा मुख्य वित्त अधिकारी को अपने हस्ताक्षर से आहरण वितरण का कार्य करते हुये कार्मिकों को वेतन निर्गत किये जाने के निर्देश दिये गये जिसके क्रम में अधोहस्ताक्षरी द्वारा पत्र संख्या 16 / उ० आ०वि० / 2021-22 दिनांक 7 जनवरी, 2022 के माध्यम से शासन के नियमों का उल्लंघन ना किये जाने तथा शासन से मार्गदर्शन प्राप्त किये जाने हेतु मुख्य वित्त अधिकारी को सचेत पत्र प्रेषित किया गया (प्रति संलग्न) अधोहस्ताक्षरी द्वारा मुख्य वित्त अधिकारी को भौखिक रूप से भी वेतन सम्बन्धी पत्रावली तैयार करवाकर अधोहस्ताक्षरी के कैम्प कार्यालय अथवा शासन में लाकर वेतन भुगतान की कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।
वर्तमान में प्रदेश में कोरोना वायरस ओमिक्रोन वेरिएंट के तेज गति से विस्तार किये जाने के फलस्वरूप कार्मिकों को अविलम्ब वेतन भुगतान किया जाना न्यायोचित होगा।
विश्वविद्यालय में कुलसचिव कार्यालय में ताला लगाये जाने के कारण अधोहस्ताक्षरी द्वारा कैम्प कार्यालय से विश्वविद्यालय का कार्य सम्पादित किया जा रहा है तथा विश्वविद्यालय की ई-मेल आई०डी० बाधित किये जाने के कारण अधोहस्ताक्षरी द्वारा नवीन ई-मेल आई०डी० [[email protected] बनाकर एवं मोबाईल संख्या 9412052888 के माध्यम से विश्वविद्यालय के समस्त पत्राचार किये जा रहे हैं।
अतः उपरोक्त से अवगत होते हुये विश्वविद्यालय में अनाधिकृत रूप से लगाये गये तालों को खुलवाये जाने हेतु एवं कार्मिकों को अविलम्ब वेतन भुगतान किये जाने के दृष्टिगत शासन स्तर से मार्गदर्शन / अग्रेत्तर कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित करने का कष्ट करें।

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बताते चलें कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आजकल कुल सचिव पद पर तैनात किए गए मृत्युंजय मिश्रा को लेकर घमासान चल रहा है। कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने कुलसचिव डा. मृत्युंजय मिश्रा के समक्ष कोई भी पत्रावली किसी भी दशा में प्रस्तुत नहीं किए जाने के आदेश जारी किए थे।

डा. मृत्युंंजय मिश्रा को वित्तीय गड़बडिय़ों के आरोप में 3 दिसंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था। वे बीते अगस्त 2021 में जमानत पर जेल से रिहा हुए थे।
अभी कुछ दिन पहले ही मृत्युंजय मिश्रा को आयुर्वेद विश्वविद्यालय का कुलसचिव बना दिया गया, किंतु उनका मूल विभाग उच्च शिक्षा विभाग है। यही कारण है कि मिश्रा के उनके मूल विभाग में न भेजकर उन्हें विवि में पुन: नियुक्ति देने पर विश्वविद्यालय में उबाल आ गया है। उनका कुलपति डा. सुनील जोशी मुखर होकर विरोध कर रहे हैं और उन्होंने इसको लेकर एक आदेश भी जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि मृत्युंजय मिश्रा को कोई भी फाइल न दिखाई जाए। हालांकि
चुनाव से ऐन पहले मचे इस बवाल को शांत करने के लिए मृत्युंजय मिश्रा को उनके मूल विभाग में भेजने की संभावना बनती दिखाई दे रही थी, किंतु ऐसा हुआ नहीं और अब कुलसचिव डॉ मृत्युंजय मिश्रा ने वित्त अधिकारी एवं सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा को पत्र भेजकर अपना दबदबा बनाए रखने का पैंतरा अपना लिया है।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि आयुर्वेद विवि में मचा यह घमासान आखिर क्या नया मोड़ लाता है!

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