यमकेश्वर/मुख्यधारा
जहां देश अगले वर्ष बड़े धूमधाम से स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है, जिसमें करोड़ों रुपये 75 साल की बड़ी उपलब्धियों व खुशहाल भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को बढा चढाकर पेश किया जायेगा, वहीं देश के उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत पौड़ी जनपद में यमकेश्वर बिकासखंड की एक गौरवशाली क्षेत्र पंचायत बूंगा की ग्राम सभा कुमार्था का वो गांव, जिसने देश की आजादी में अपना सर्वस्व त्याग करने वाला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. चंदन सिंह बिष्ट जैसा महान योद्धा दिया, जिनका गांव आज भी मूलभूत समस्याओं से किस कदर जूझ रहा है, उसकी बानगी ये तस्वीरें बयां कर रही है।
गांव की मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिये ग्रामीणों ने अपनी ग्राम सभा कुमार्था मे एक बैठक आहुत कर सरकार से गांव को जोड़ने के लिये सड़क की मांग रखी, जिसमें गांव के रैबासी प्रवासी व पंचायत प्रतिनिधियों ने बढ चढकर हिस्सा लिया।
क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा व पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांवों को एक ओर सरकार मूलभूत सुविधायें प्रदान करने की घोषंणायें करती हैं, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के गांव में चहुंमुखी बिकास को बयां करने के लिये ये तस्वीर काफी है, जिसमें कंधे पर ग्रामीण नौजवान चिकित्सा लाभ हेतु एक मरीज को कुर्सी मे बिठाकर चार किमी दुर्गम पगडंडियों के सहारे सड़क मार्ग तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
नौजवानों के कंधे पर सवार ये मरीज कोई और नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. चंदन सिंह के ज्येष्ठ पुत्र बिजय सिंह बिष्ट हैं, जिनका गांव के प्रति अथाह प्रेम ही है कि वो सड़क की मांग को लेकर बैठक में हिस्सा लेने एक दिन पहले ही गांव पहुंच गये थे, लेकिन सड़क विहीन अपने पैतृक गांव कुमार्था पहुंचने से पहले ही दुर्गम पगडंडियों पर गांव तक पहुंचने से पहले ही फिसलने से एक गहरी खाई में जा गिरे। जिसके कारण उनका एक पैर टूट गया। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व मूलभत सुविधाओं से जूझ रहे ग्रामीण युवाओं ने संघर्ष के साथ जूझते हुये मीलों पैदल चलकर बिजय विष्ट को किसी तरह मुख्य सड़क मोहन चट्टी तक पहुंचाया व ढाई घंटे इंतजारी के बाद वाहन द्वारा उन्हें ऋषिकेश अस्पताल पहुंचाया गया।
स्व. चंदन सिंह बिष्ट वो महान योद्धा, देश की आजादी के लिये जिन्होंने प्रथम पंक्ति में आकर अपना जीवन समर्पित किया, जिनकी देशभक्ति को अंग्रेजी हुकुमत ने देशद्रोही करार देते हुये जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर तब 1500 का ईनाम भी रखा और पकड़े जाने पर जिनको साढे चार साल जेल की चारदीवारी मेः सश्रम कठोर कारावास की सजा देते हुये कुमार्था में उनकी पैतृक संपत्ति को कुर्क कर दिया गया।
अफसोस कि ऐसे महान योद्धा का गांव आज भी सड़क मार्ग से अछूता है। एक ओर सरकारें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांवों को सड़क व मूलभूत सुविधायें प्रदान कर उनके सम्मान का दिखावा करती है, दूसरी ओर कुमार्था का ज्वलंत उदाहरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति सरकार की अनदेखी का संदेश देते हुये उन समस्त घोषणाओं की पोल खोलती है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट व ग्राम प्रधान रीना रावत ने बताया कि ढांगू व उदयपुर के बीच स्थित कुमार्था गांव को तहसील व ब्लाक मुख्यालय से जोड़ने के लिये देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के ईस गांव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से सड़क मुहैय्या करवाये और ये सरकार की उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी !
ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र के साथ स्वतंत्रता के बाद से लेकर राज्य निर्मांण के बीस साल बाद भी सरकारों व जन प्रतिनिधियों द्वारा निरंतर अनदेखी व उदासीनता के चलते स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व चंदन सिंह बिष्ट क्षेत्र विकास संघर्ष समिती का गठन भी किया गया, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं को उठाकर उनका समाधान करवाना भी है और समिति का सबसे पहला लक्ष्य इस महत्वपूर्ण सड़क को लेकर संघर्ष करना है!
सुदेश भट्ट ने बताया कि जल्द ही समिति का एक शिष्टमंडल सरकार व जिम्मेदार प्रतिनिधियों से मिलकर बातचीत कर इस समस्या के समाधान की गुजारिश करने पर बिचार कर रही है। यदि तब भी सरकार के रव्वैय्ये में बदलाव नहीं आता तो स्वतंत्रता दिवस के दिन क्षेत्र पंचायत बूंगा व आस पास के ग्रामीण देश के महान योद्धा व अपनी माटी के सपूत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.चंदन सिंह बिष्ट को श्रद्धांजलि के रुप में स्वत: ही सड़क निर्मांण में जुट जायेंगे।
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