द्वारीखाल/मुख्यधारा
भरोसा फाउंडेशन ने आज ग्रामसभा च्वारा (तोल्यु) पट्टी डबरालस्यू विकासखंड द्वारीखाल का दौरा किया, जहां ग्रामीणों ने अपने गांव और क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया। इस दौरान ग्रामीणों को स्वरोजगार की राह अपनाने की ओर जागरूक किया गया।
इस दौरान सामने आया कि ग्रामीणों को पीने का पानी काफी दूर से लाना पड़ता है। यानि यह गांव पेयजल की विकट समस्या से जूझ रहा है। यहाँ लोग अपनी जीविका चलाने के लिए पूर्व में बड़ी मात्रा में खेती करते थे, लेकिन सिंचाई के लिए पानी की कमी और जंगली जानवरों के भय से लोगों ने खेती करना छोड़ दिया।
इस मौके पर आशा देवी (राधे आजीविका महिला स्वयं सहायता समूह) एवं समूह की महिलाओं से बात करके उनको जैविक खेती के लिए प्रेरित किया गया। इस विषय पर उपस्थित सभी महिलाओं ने भरोसा फाउंडेशन के साथ जुडऩे व काम करने की इच्छा जताई।
इस मौके पर गांव की सभी मातृशक्ति और ग्रामीणों ने अपनी सभी समस्याओं को व्यक्त किया है और गांव के पलायन का दर्द भी बताया, जो कि पूरे उत्तराखंड की एक गंभीर समस्या है। इसमें क्षेत्र में खेती योग्य भूमि कई सालों से बंजर पड़ी है, जिसमें अनाज, बागवानी, सब्जियां, फल बहुत अच्छी मात्रा में पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा बकरी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन की भी अपार संभावनाएं हैं, जो स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों के लिए स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।
इस मौके पर गांव की सभी मातृशक्ति और ग्रामीणों ने अपनी सभी समस्याओं को व्यक्त किया है और गांव के पलायन का दर्द भी बताया, जो कि पूरे उत्तराखंड की एक गंभीर समस्या है। इसमें क्षेत्र में खेती योग्य भूमि कई सालों से बंजर पड़ी है, जिसमें अनाज, बागवानी, सब्जियां, फल बहुत अच्छी मात्रा में पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा बकरी पालन, मुर्गी पालन, मछली पालन की भी अपार संभावनाएं हैं, जो स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों के लिए स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।
इस मौके पर ग्रामीणों को कोविड से बचाव एवं रोकथाम को लेकर जागरूक भी किया गया। तोलियू च्वरा के जीएस नेगी ने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए जब भी घरों से बाहर निकलें तो फेस मास्क अवश्य पहनें और सरकार द्वारा दी जा रही वैक्सीन को अपनी बारी आने पर अवश्य लगाएं। उन्होंने कहा कि इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है। साथ ही श्री नेगी ने ग्रामीणों को आह्वान किया कि अभी भी समय है, सभी एकजुट होकर हिम्मत के साथ स्वरोजगार की राह पकड़ें तो हम सबकी आय के नए और बेहतर स्रोत विकसित हो सकते हैं। इससे जहां हम अपने भी घर-गांवों में रह सकेंगे, वहीं हमारी आर्थिकी भी संवरेगी और फिर अपने बच्चों को भी ग्रामीण अच्छी शिक्षा दिला सकते हैं।