यमकेश्वर/मुख्यधारा
जीने को क्या चाहिए… रोटी, कपड़ा और मकान। वर्षों पहले बहुचर्चित इस फिल्मी डॉयलॉग की छवि जब उत्तराखंड की ग्रामीण गरीब जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री आवास योजना के शुरू होने के बाद महसूस की तो उन्हें आभास हुआ कि अब तो उनकी नैया पार हो ही जाएगी। छत देने का काम केंद्र सरकार द्वारा कर दिए जाने के बाद रोटी और कपड़े का इंतजाम वे दिहाड़ी-मजदूरी करके कर ही लेंगे, किंतु यमकेश्वर के अनेकों जरूरतमंदों की दीनहीन दशा बयां कर रही है कि इस योजना को आज भी सही योजनाबद्ध तरीके से धरातल पर नहीं उतारा जा सका है। स्थिति यह है कि इन गरीब और जरूरतमंद ग्रामीणों की आंखें प्रधानमंत्री आवास की राह देखते देखते अब पथराने लगी हैं।
क्षेत्र की ज्वलंत समस्याओं को उजागर करने वाले यमकेश्वर ब्लाक के क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा एवं पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट बताते हैं कि सरकार ने गरीबों के लिये आवास योजना के नाम पर कई बार क्षेत्र मे गरीबों के मकानों के जियो टैग करवाये व आश्वासन दिया कि प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत आपको छत मुहैय्या करवायी जायेगी! सुदेश भट्ट ने बताया कि उनकी क्षेत्र पंचायत बूंगा की ग्राम सभा बूंगा के वीर काटल मे बुजुर्ग दंपत्ति जो कि अंतोदय की श्रेणी मे हैं जिनकी आय का कोई सहारा नही सरकार की आवास योजना का कई सालों से ईंतजार कर रहे हैं।
विभागीय कर्मचारियों द्वारा आवास के नाम पर हर बार आश्वासन देना कोरी घोषंणायें साबित हुयी है।
क्षेत्र पंचायत बूंगा ने सरकार की इस योजना को चुनावी घोषणा करार देते हुये गरीबों के साथ छलावा व वोट बैंक की ठगी करार देते हुये आरोप लगाया कि हर पंचवर्षीय योजना मे इन गरीबों के साथ आवास के नाम पर विभागीय कार्यवाही की जाती है, लेकिन वो सब कागजों तक सिमट कर रह गयी व इस तरह के जरुरतमंद सैकडों परिवारों की प्रधानमंत्री आवास योजना की आस में आंखे पथरा गयी, लेकिन हर बार की तरह आज भी जरुरतमंद गरीब स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है।
जनता की आवाज को हमेशा प्रखरता व बुलंदी से उठाने वाले पूर्व सैनिक क्षेत्र पंचायत बूंगा सुदेश भट्ट ने बताया कि यदि सरकार इन गरीबों की आवाज नही सुन सकती तो गरीबी के नाम पर इस तरह की योजनाओं का संचालन जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, जिसको लेकर वो ऐसे सैकडों छले गये आवास विहीन गरीबों को लेकर ब्लाक में धरना देकर तालाबंदी को मजबूर होंगे। गरीब अपने हक हकूकों के लिये सडकों पर उतरने को मजबूर होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रसाशन की होगी।
सुदेश भट्ट के अनुसार बूंगा में घनानंद भट्ट, घायखाल में घनस्याम सिंह, चुब्यांणी में सुषमा देवी व मौन मेथ प्रकाश सिंह जैसे सैकडों जरुरतमंद गरीब आज भी आवास की योजना में भरी बर्षात में पन्नी डालकर जंगली जानवरों के भयावह माहौल में दिन काटने को मजबूर हैं।