पुरोला/मुख्यधारा
देव डोखरी बनाल में आयोजित रवांल्टी कवि सम्मेलन में उत्तराखंड के लब्ध प्रतिष्ठित युवा साहित्यकार महावीर रवांल्टा के सानिध्य में जौनसारी बावरी देवघारी बोली में कविता पाठ करने का अवसर देने व सम्मानित करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि नीरज उत्तराखण्डी ने आयोजन समिति को आभार जताते हुए धन्यवाद दिया है।
पढें युवा कवि नीरज उत्तराखण्डी की ये कविता
तू मेरी
कुपड़ा की बाती !
हाऊं तेरो अकचाण
जीय को साथी !!
तांऊ पाणै खै
कई दूस ओछाए
कई बियाई राती !!!
तू मेरी
कोरली शाकरी !
जीय के गोबली दी
थऊं आकरी !!
तू मेरो जादरो
हाऊं तेरी कानल !
तू मेरे हाथ
हाऊं तेरी आनल !!
हाऊं तेरो घरट
तू मेरो चाण !
तू मेरी बंठाई
हाऊं तेरो ठाण !!
हांऊ तेरा रांच
तू मेरी खाड़ी !
हांऊ तेरी गोरनी
तू मेरी जाड़ी !!
तू मेरो ओखर
हांऊ तेरा हाड़ा !
तू मेरा दीवा
हांऊ तेरा भाड़ा !!
तू मेरी पचाण
हाऊं तेरी जाण!
तू मेरी इज्जत
हाऊं तेरा मान सम्मान !!
हांऊ तेरा
गृहस्थी का नाड़ा
तू मेरे
स्वामिमानै की शमाई !
तेरी बंठाई सचाई
मेरे जीयेंदी समाई !!
तेरी हंसी खुशी
मेरे जीवन की कमाई !
तू मेरी चड़ी
हांऊ तेरी पागेई !!
तू मेरी दातरी
हांऊ तेरा थअर !
तू मेरी इच्छा
हांऊ तेरा बअर !!
हांऊ तेरी धणु
तू मेरा पणज!
तू मेरी कूल
हांऊ तेरा हअज !!
तू मेरी जीवन साथी !
हांऊ तेरे हाथै की लाठी !!
तू मेरा सुर
हांऊ तेरा राग !
तू मेरी तकदीर
हांऊ तेरे भाग !!
बुढापेंदी जबै
सभी लागे खरे बुरे!
आपणैंई घुंडै लागै
आपणी छाती पारै !!
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