मुख्यधारा/यमकेश्वर
विधानसभा चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, गहमागहमी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी अभी तक अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर पाई है। अलबत्ता आम आदमी पार्टी व उत्तराखंड क्रांति दल अधिसंख्य सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। बताया जा रहा है कि प्रदेश की कुछ ऐसी सीटें हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जिताऊ प्रत्याशियों पर दांव लगाने में चूक रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यमकेश्वर विधानसभा सीट भी ऐसी ही सीट है, जिस पर कांग्रेस 2017 जैसी गलती दोहराने जा रही है।
पौड़ी जनपद की यमकेश्वर सीट पर ऐसा ही असमंजस बना हुआ है, जहां कांग्रेस व भाजपा को प्रत्याशी घोषित करने में खासा पसीना बहाना पड़ रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के दो प्रत्याशी तैयारी कर रहे हैं, जिनमें द्वारीखाल ब्लॉक प्रमुख महेंद्र सिंह राणा प्रबल दावेदार हैं। वहीं इस सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव लड़कर तीसरे स्थान पर आने वाले शैलेंद्र रावत भी दावेदारी कर रहे हैं।
बताते चलें कि कांग्रेस ने 2017 में शैलेंद्र सिंह रावत को यम्केश्वर सीट पर चुनाव मैदान में उतारा था। कांग्रेस को तब पूरी उम्मीद थी कि शैलेंद्र भाजपा के किले को ध्वस्त कर सकते हैं, किंतु ऐसा नहीं हो सका और कांग्रेस को तब करारा झटका लगा था, जब उन्होंने रेनू बिष्ट जैसी जनाधार वाली प्रत्याशी को नजरअंदाज करते हुए शैलेंद्र रावत पर दांव लगाया। रेनू बिष्ट 2017 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही, जबकि शैलेंद्र रावत तीसरे स्थान पर आ सके। हालांकि भुवनचंद्र खंडूरी की पुत्री रितु खंडूरी यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने में तब सफल रही थी।
चुनाव के उपरांत कांग्रेस के मंथन में यह बात सामने आई थी कि यदि पार्टी द्वारा तब शैलेंद्र रावत की बजाय रेनू बिष्ट पर दांव लगाया जाता तो यह सीट कांग्रेस की झोली में आ सकती थी।
ठीक इसी तरह के समीकरण यमकेश्वर विधानसभा सीट पर इस बार भी बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। द्वारीखाल से ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा अपने करीब 2 साल के कार्यकाल में यमकेश्वर विधानसभा सीट पर बड़े जनाधार वाले नेता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। इसके पीछे उनके विकास कार्यों को इसका पूरा श्रेय जाता है।
क्षेत्रवासियों का मानना है कि जब एक ब्लॉक प्रमुख अपने इस छोटे से कार्यकाल में इतने अधिक विकास कार्य कर सकता है तो यदि उन्हें विधायक के रुप में क्षेत्र से मौका दिया जाए तो विधानसभा क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू सकता है। कई मौकों पर महेंद्र राणा ने स्वयं को साबित भी किया है कि वे कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी हो सकते हैं, जो चार बार से भाजपा विधायक वाली सीट पर यमकेश्वर में कांग्रेस का झंडा लहरा सकते हैं।
एक मतदाता पवन कुमार बताते हैं कि यम्केश्वर से इस बार कांग्रेस द्वारा महेंद्र राणा की उपेक्षा की जाती है तो इस सीट पर कांग्रेस को 2017 जैसा हश्र एक बार फिर से देखने को मिलेगा।
वहीं भाजपा के समक्ष भी इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने की बड़ी चुनौती है। सिटिंग विधायक को लेकर भी क्षेत्र में अच्छा फीडबैक नहीं है। वहीं 2017 में निर्दलीय चुनाव लड़ कर दूसरे स्थान पर रहने वाली रेनू बिष्ट अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। ऐसे में भाजपा भी इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने में असमंजस की स्थिति में है।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि इस सीट पर कांग्रेस इस बार जिताऊ प्रत्याशी पर दांव लगाती है या फिर 2017 जैसी गलती ही दोहराती है!
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