मुख्यधारा/देहरादून
देहरादून के शिक्षित छात्र समूह, मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड ) ने रविवार 27 मार्च 2022 को रिस्पना नदी के किनारे ‘एक मुलाकात रिस्पना से’ ट्रेकिंग श्रृंखला की शुरुआत करते हुए अपने रिस्पना नदी कायाकल्प जागरूकता कार्यक्रम को जारी रखा। ट्रेकिंग के माध्यम से मैड संस्था का उद्देश्य रिस्पना (rispana river) की मौजूदा स्थिति, नदी की विविधता और रहवासी क्षेत्रों में दूषित होने के कारणों को समझ उसका दस्तावेजीकरण करना है।
एक दर्जन से अधिक छात्रों और स्वयंसेवकों ने पुराना राजपुर क्षेत्र से होते हुए नदी के ऊपरी तटवर्ती क्षेत्र में ट्रेकिंग श्रृंखला का आरंभ किया।
ट्रैकिंग के दौरान सदस्यों ने आज शहंशाही आश्रम से लेकर काठबांग्ला क्षेत्र का भ्रमण पूरा किया तथा इस साप्ताहिक ट्रैकिंग के द्वारा मैड संस्था का उद्देश्य रिस्पना के सभी क्षेत्रों कवर करना है।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 से ही देहरादून की पर्यावरण प्रेमी संस्था मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस(मैड) रिस्पना (rispana river) पुनर्जीवन के लिए निरंतर कार्यरत रही है। पूर्व में मैड संस्था द्वारा रिस्पना को फिर से जीवंत करने के लिए उत्तराखंड के मुख्य सचिव की अगुवाई में उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष एक विशेष रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी, जिसके माध्यम से 2014 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की, द्वारा रिस्पना नदी में सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसमें रिस्पना नदी को एक बारहमासी धारा के रूप में चिह्नित किया था और आगे शोध जारी रखने तथा रिस्पना नदी के कायाकल्प को आरंभ करने हेतु एक संक्षिप्त रोडमैप तैयार किया गया था। मैड संस्था इस रिपोर्ट पर विचार और कार्यान्वयन की निरंतर मांग करती आई है।
मैड संस्था ने यह भी सुझाव दिया था कि चूंकि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने स्वीकार किया था कि रिस्पना और बिंदाल गंगा नदी बेसिन का एक हिस्सा हैं, इसलिए उनका पुनरुद्धार नमामि गंगे कार्यक्रम के एक अभिन्न अंग के रूप में किया जाना चाहिए।
वर्ष 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल के दौरान मैड द्वारा रिस्पना (rispana river) पुनर्जीवन अभियान के चलते सीएम हाउस में ‘रिस्पना रिटर्ंस’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। ऐसे ही संस्था द्वारा रिस्पना नदी पर समय-समय पर रिस्पना वॉक व सफाई अभियान भी आयोजित किये गये हैं। हालांकि करोनाकाल के दौरान यहां गतिविधियां निरंतर जारी रखना कठिन रहा।
ट्रेकिंग को आगे बढ़ाते हुए, सदस्यों को अभियान की विशिष्ट नीतियों से अवगत कराया गया। विशेष रूप से नए सदस्यों के लिए यह जिवंत रिस्पना (rispana river) नदी से पहले परिचय जैसा था, जिसे शहर में मृत माना जाता है। ट्रेक के दौरान, सदस्यों ने चारों ओर फैले प्लास्टिक के कचरे की समस्या को देखते हुए युवाओं के बीच आकर एक गहन जागरूकता अभियान शुरू करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रिस्पना नदी आने वाले समय में इस स्थिति में न रहे। इस ट्रेक के दौरान सदस्यों ने रिस्पना नदी और जल दूषित करने वाले पदार्थों की जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश की।
मैड संस्था ने आने वाले प्रत्येक सप्ताह में रिस्पना (rispana river) उन्मुख गतविधियों को जारी रखने की योजना बनाई है, ताकि रिस्पना पुनर्जीवन अभियान को न केवल सक्रिय नागरिक सहयोग के साथ, बल्कि सक्रिय युवा भागीदारी के साथ आगे बढ़ाया जाए।
संस्था की सप्ताहिक एक्टिविटी रिस्पना ट्रेक 1 सुबह 6:30 बजे शुरू होकर 11:30 बजे तक जारी रही।
अभियान के दौरान देवयश, आर्यन, शार्दुल, दिव्यांशी, अग्रिमा, कार्तिकेय, दारिश, सौरभ, यश, आशुतोष आदि सदस्य मौजूद रहे।
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