देहरादून। रानीखेत निवासी सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने ‘उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग’ के वर्तमान निदेशक पर भ्रष्टाचार (horticulture department curruption) के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री, उद्यान मंत्री, पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान देहरादून, मुख्य सचिव उत्तराखंड और सचिव उद्यान विभाग से इसकी शिकायत करते हुए कठोर कार्यवाही की मांग की है।
दीपक करगेती ने रविवार 3 जुलाई को देहरादून स्थित प्रैस क्लब में पत्रकारों के सम्मुख अपनी पूरी बातें रखी। उन्होंने बिंदुवार साक्ष्य के साथ विभाग में की जा रही सभी अनियमितताओं से अवगत कराया।
दीपक करगेती ने आरोप लगाते कहा कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार से भ्रष्टाचार (horticulture department curruption) करते हुए सरकार तथा जनता को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाते हुए उत्तराखंड में औद्यानिकी को नष्ट करने का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2021-22 में मनमाने तरीके से 6 माह के भीतर कीवी पौध कटिंग की दरें क्रमश: रु. 35.00 से रु. 75.00 एवं रु. 75 से रु. 225 तथा कीवी ग्राफ्टेड पौध की दर क्रमश: रु. 75 से रु. 175 एवं रु. 175 से रु. 275 कर बढ़ाए हुए दरों पर लगभग 77000 पौधोंं को क्रय कर भारी अनियमितता करते हुए राजकीय धनराशि का गबन किया गया है। यह समस्त प्रक्रिया बिना निविदा की प्रोक्योरमेंट नियमावली का अनुपालन किए बिना की गई है (विभागीय दरों की प्रति 2018 से 2021 तक की दरें भी उपलब्ध है)। जबकि हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग द्वारा इसी वर्ष 2021-22 में किवी के कटिंग की दर रु. 80 प्रति पौध तथा किवी ग्राफ्टेड की दर रु. 100 प्रति पौध निर्धारित की गई।
उन्होंने कहा कि यदि उद्यान विभाग उत्तराखंड, उद्यान विभाग हिमाचल के माध्यम से भी पौधों की खरीद करता तो इन्हें कीवी कटिंग रु. 80 प्रति पौध तथा किवी ग्राफ्टेड रु.100 प्रति पौध की दर पर पौधे उपलब्ध हो जाते।
दीपक करगेती ने कहा कि निदेशक डॉ बवेजा द्वारा विभिन्न मदों (बागवानी मिशन/पीएमकेएसवाई (PMKSY) एवं प्रधानमंत्री सूक्ष्म उद्यम उन्नयन योजना) जिनकी धनराशि उपरोक्त योजनाओं के क्रियान्वयन कराने हेतु व्यय की जानी होती है, को चार विभिन्न विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं प्रदर्शनी (क्रमश: अंतर्राष्ट्रीय सेब महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय मसाला/सब्जी महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय मौन पालन महोत्सव) का नाम देकर लगभग रु. 2 करोड़ 60 लाख से भी अधिक धनराशि का अपव्यय कर पद का दुरुपयोग किया गया।
MIDH (Mission for integrated development of horticulture) के निर्देशानुसार 4 दिन तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के लिए अधिकतम 7.50 लाख रु. की धनराशि का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन इनके द्वारा सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए मानक से कई गुना अधिक धनराशि का उपयोग इस मद से केवल 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में कर दिया गया।
बागवानी मिशन योजना को छोड़कर अन्य योजनाओं में व्यय की गई धनराशि को अंतर्राष्ट्रीय महोत्सवों में व्यय करने हेतु स्वीकृति भी सरकार द्वारा नहीं ली गई है।
दीपक करगेती ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसी प्रकार डा. बवेजा द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए मनमाने तरीके से उत्तराखंड में अदरक बीज एवं हल्दी बीज की दरों को बढ़ा दिया गया तथा बेचने के लिए उनके क्रय का माध्यम एनएससी (NSC) को बना दिया गया। उनके द्वारा यह भ्रम फैला दिया गया कि एनएससी द्वारा सर्टिफाइड बीज काश्तकारों को उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि अदरक एवं हल्दी के बीज का सर्टिफिकेशन ही नहीं किया जाता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि यह कृत्य केवल धनराशि अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि निर्धारित दरें प्राइवेट फर्म से ढाई से तीन गुना अधिक (अदरक बीज रु 90.80 प्रति किलो0 एवं हल्दी बीज रु 39.80 प्रति किलो0) कर दी गई और 7 जिलों में दबाव बनाकर क्रय भी करवाई गई, जबकि प्राइवेट फर्म द्वारा कृषकों में परिचालित/विज्ञापित दरें (अदरक बीज रु. 44.75 प्रति किलो एवं हल्दी बीज रु 19.10 प्रति किलो पर उत्तराखंड के 6 जनपदों में कृषकों को आपूर्ति की गई और उत्तराखंड के 7 जनपदों में एनएससी से निदेशक द्वारा दबाव में क्रय कराए गए अदरक बीज और हल्दी बीज में काश्तकारों द्वारा लगातार घटिया बीज एवं कम मात्रा में होने की शिकायतें की जाती रही है।
दीपक करगेती ने सरकार व विजिलेंस से मांग की है कि तत्काल वर्तमान निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा को पद से हटाते हुए यदि उच्च स्तर से उपरोक्त भ्रष्टाचारों (horticulture department curruption) की जांच की जाती है तो अन्य कई अन्य अनियमित्ताओं का खुलासा हो सकता है। उन्होंने कहा कि औद्यानिकी भ्रष्टाचार मुक्त हो सके तथा उद्यानिकी के क्षेत्र में उत्तराखंड को भी अन्य राज्यों की तरह आत्मनिर्भर बनाना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ठोस साक्ष्यों के बाद भी इस प्रकरण पर कार्यवाही नहीं करती है तो उन्हें देवभूमि को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए मजबूर होकर न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा।
दीपक करगेती द्वारा विजिलेंस से की गई शिकायती पत्र
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