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कांग्रेस में हलचल : गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) ने 1973 से शुरू की सियासी पारी, इंदिरा-राजीव के साथ कर चुके हैं काम

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शंभू नाथ गौतम

दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने आज कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उसके बाद कांग्रस पार्टी में फिर हलचल शुरू हो गई है। वहीं दूसरी ओर सियासत के जानकार गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) की अब अगली पारी की अटकलें लगा रहे हैं।

बता दें कि जम्मू कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। घाटी में होने जा रहे चुनाव को लेकर भाजपा भी मुकाबले के लिए तैयार हो रही है।

गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) आजाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मधुर रिश्ते जगजाहिर हैं। करीब डेढ़ साल पहले जब राज्यसभा से कार्यकाल पूरा होने के बाद सदन में गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) आजाद की विदाई हो रही थी तब उस दौरान पीएम मोदी ने आजाद को अपना सबसे खास दोस्त बताया था।

इस दौरान पीएम मोदी और आजाद दोनों ही भावुक हो गए थे। वहीं गुलाम नबी आजाद के भाजपा में भी जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं, हालांकि आजाद ने फिलहाल भाजपा ज्वाइन करने की खबरों को विराम दे दिया है।

यह भी चर्चा है कि गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) आजाद नई पार्टी भी बना सकते हैं। 2 साल से आलाकमान के फैसले से नाराज चल रहे गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे में जमकर भड़ास निकाली।

सोनिया गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे में आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी को जमकर कोसा है।

अपने पत्र में आजाद ने लिखा है, सोनिया गांधी केवल नाम की अध्यक्ष हैं। सभी फैसले राहुल गांधी लेते हैं। वह बचकाना हरकत करते हैं। उन्होंने मेरे सुझावों को नजरंदाज किया।आजाद लंबे समय से कांग्रेस की नीतियों से नाराज चल रहे थे। हाल ही में उन्होंने जम्मू में पार्टी से मिली जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया था। वह गांधी परिवार के बेहद करीबी नेताओं में से एक माने जाते रहे हैं।

गुलाम (Gulam Nabi Azad) कांग्रेस संगठन के बड़े पदों पर काम कर चुके है। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ काम कर चुके हैं। लेकिन समय के साथ कांग्रेस में बदलावों के बाद वह पार्टी में जी-23 के मुख्य नेता के रूप में उभरे।

राजनीति में उनके अनुभव और कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर सहित देश के करीब सभी राज्यों में उनकी सक्रियता रही है।

मार्च 2022 में गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) आजाद को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद्म भूषण मिला। 1973 में गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) आजाद ने भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के रूप में राजनीति की शुरुआत की थी।

इसके बाद उनकी सक्रियता और शैली को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना। उन्होंने महाराष्ट्र में वाशी निर्वाचन क्षेत्र से 1980 में पहला संसदीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1982 में उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया गया।

डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली दूसरी यूपीए सरकार में, आजाद ने भारत के स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का विस्तार किया। साथ ही झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले शहरी गरीबों की सेवा के लिए एक राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन भी शुरू किया।

गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) के राजनीतिक जीवन में 2005 में वो स्वर्णिम समय भी आया, जब उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर की सेवा की।

मनमोहन सरकार में गुलाम नबी आजाद ने कई मंत्रालय संभाले। 18 महीने पहले उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस ने उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा। उसके बाद से ही गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) पार्टी में अलग-थलग पड़ गए थे।

इसके साथ हाईकमान के कई फैसलों पर भी गुलाम नबी आजाद की राय नहीं बन पाई। वे लगातार पार्टी में सुधार की मांग कर रहे थे।

गुलाम नबी (Gulam Nabi Azad) के इस्तीफे के बाद भाजपा नेता टॉम वडक्कन ने कहा कि यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है। मां, बेटे और बेटी ने पार्टी को इस हालत में पहुंचा दिया कि वरिष्ठ नेता कांग्रेस से दूर हो रहे हैं। कांग्रेस को ‘भारत जोड़ो’ अभियान बाद में चलाना चाहिए, पहले उसे खुद को जोड़ना चाहिए।

 

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