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Dussehra : अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक : दशहरा पर पूरे देश में छाया खुशियों का उल्लास, तीन शुभ योग के साथ मनाया जा रहा यह पर्व

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दशहरा (Dussehra) पर पूरे देश में छाया खुशियों का उल्लास, तीन शुभ योग के साथ मनाया जा रहा यह पर्व

शंभू नाथ गौतम

आज दशहरा (Dussehra) पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। विजयदशमी पर्व को लेकर पूरे देश में उल्लास का माहौल छाया हुआ है।

सोशल मीडिया पर सुबह से ही एक दूसरे को विजयदशमी की बधाई संदेश शुरू हो गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत तमाम राजनीतिक दलों ने देशवासियों को विजयदशमी पर्व पर शुभकामनाएं दी हैं।

यह एक ऐसा पर्व है जो असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रति के रूप में मनाया जाता है। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा(Dussehra) का पर्व मनाया जाता है।

साल में विजयादशमी की तिथि ऐसी है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त के शुभ कार्य किए जा सकते हैं क्योंकि ये तिथि अबूझ मुहूर्त है। खासकर खरीदारी के लिए ये बहुत शुभ दिन माना जाता है। दिवाली और शादियों की शॉपिंग दशहरा से शुरू हो जाती है। विजयादशमी पर वाहन खरीदने का ज्यादा महत्व है।

विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपना स्थापना दिवस मना रहा है। संघ मुख्यालय नागपुर में आज सुबह पथ संचलन भी किया गया। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित भी किया।

भारत के सभी हिस्सों में दशहरा(Dussehra) पर्व पर रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन करने की परंपरा है। देश में कर्नाटक के मैसूर और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा विश्व प्रसिद्ध है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कुल्लू दशहरा(Dussehra) उत्सव में पहुंच रहे हैं। यहां पर दशहरा देखने के लिए देश विदेश से हर साल लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे ही उत्तराखंड के अल्मोड़ा का दशहरा भी प्रसिद्ध है। अल्मोड़ा में रावण कुल के पुतलों को फूंकने की परंपरा है। यहां के लोगों ने इस विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को बचाए रखा है। दूर-दूर से लोग दशहरा महोत्सव को देखने के लिए अल्मोड़ा पहुंचते है।

ऐसे ही राम नगरी अयोध्या में भी विजयदशमी पर्व पर दशहरा(Dussehra) धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बता दें कि दशहरा या विजयादशमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं।‌‌ दशहरा के दिन रवि, सुकर्मा और धृति योग बनने से इस दिन का महत्व दोगुना हो रहा है। इन योगों का ज्योतिष में विशेष महत्व है। इन योगों में किए गए उपाय सिद्ध हो जाते हैं।

भगवान श्रीराम के रावण का वध करने के बाद यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है

दशहरा को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को रावण पर भगवान राम की जीत का दिन माना जाता है और बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं। रावण ने श्री राम की पत्नी देवी सीता को बंधक बना लिया था।

ऐसा माना जाता है कि युद्ध के लिए रवाना होने से पहले, भगवान राम ने अपनी जीत के लिए देवी दुर्गा की पूजा की थी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। रावण के खिलाफ युद्ध दस दिनों तक चला। दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और जिस दिन उन्होंने रावण का वध किया था। जिसके बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरम माता सीता को वापस लेकर आए थे, जिसकी खुशी में हर दशहरे का त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा(Dussehra) त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय को बताता है। इस दिन देशभर में रावण दहन होगा। लोग धूमधाम से इस उत्सव को मनाते हैं और खुशियां बांटते हैं। साथ ही लोग दशहरे के शुभ अवसर पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों का शुभकामना संदेश भेजते हैं।

देशभर में विजयादशमी पर दिन में अस्त्र-शस्त्र, शमी और अपराजिता की पूजा की जाती है और प्रदोषकाल में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला दहन कर खुशियां बांटी जाती है।

वहीं दूसरी ओर मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी महादेव का प्रतिनिधित्व करता है।‌‌ पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई।

कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलने लगती है।

 

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