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मोरी पीएचसी व पुरोला सीएचसी के उच्चीकरण से स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities) की जगी उम्मीद

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मोरी पीएचसी व पुरोला सीएचसी के उच्चीकरण से स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities) की जगी उम्मीद

नीरज उत्तराखंडी/मोरी (उत्तरकाशी)

मोरी पीएचसी व पुरोला सीएचसी के उच्चीकरण से स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद जगी है, लेकिन विकासखंड के सीमांत गांव लिवाड़ी व गंगाड़ एलोपैथिक अस्पतालों में डाक्टर व फार्मेसिस्ट के अभाव में लगे ताले नहीं खुल पाये हैं। वहीं अटैचमेंट व्यवस्था समाप्त होने के बाद भी ऊंची पहुंच रखने वाले डाक्टर व फार्मेसिस्ट सुरक्षित जनक स्थल पर डटे हैं।

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जनपद उत्तरकाशी के सीमांत मोरी विकास खंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उच्चीकरण का शासनादेश जारी होने से निकट भविष्य में क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलने की उम्मीद जगी है।

सब कुछ योजनाओं व स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप धरातल पर पहल हुई तो सीमांत ब्लाक के वांशिदों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए देहरादून, रोहडू,उत्तरकाशी या विकास नगर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

बतातें चलें कि वर्तमान समय में मोरी विकास खंड मुख्यालय स्थित पीएचसी मोरी 92 राजस्व गांवों की40491जनसंख्या के स्वास्थ्य का जिम्मा सम्भाले हैं। मोरी ब्लाक में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है। आलम यह है संबद्धता व्यवस्था समाप्त होने के बावजूद भी यहां अटैचमेंट व्यवस्था बरकरार है।

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मोरी ब्लाक में यदि स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर डालें तो ब्लाक मुख्यालय में पीएचसी सहित लिवाड़ी, गंगाड़, नैटवाड़, टिकोची व आराकोट में ऐलोपैथिक अस्पताल खोले गये हैं।अब यदि हम सिलसिलेवार इन अस्पतालों में मान संसधान की बात करें तो सीमांत गांव लिवाड़ी में खोले गये ऐलोपैथिक अस्पताल में विगत कई वर्षों से ताला लटका है। सरकारें आई और मुख्य मंत्री बदले गये लेकिन लिवाड़ी ऐलोपैथिक अस्पताल में लगा ताला नहीं खुल पाया।

यहां न तो डाक्टर हैऔर न ही फार्मेसिस्ट। इससे पूर्व जो भी डाक्टर यहां कागजों में तैनात रहे ज्वाइन के बाद कभी वापस नहीं लौटे।हालत यह है वर्तमान समय में यहां जो फार्मेसिस्ट नियुक्त है उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मोरी में अटैच किया गया है। महीने में एक आध बार कभी गांव में उनके दर्शन होते है। विभाग का यहां अपना कोई भवन नहीं है ढांचागत सुविधाओं के अभाव में अस्पताल किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है।

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यही हाल गंगाड़ ऐलोपैथिक अस्पताल के है। यहां नियुक्त डाक्टर गौरव जोशी पीजी करने के बाद एमबीबीएस से एमडी बनें और अपना स्थानांतरण पीएचसी रूद्र प्रयाग करवाने में सफल रहे। गंगाड़ में फार्मेसिस्ट का पद भी खाली चल रहा है व्यवस्था के तौर पर गड्डूगाड एएनएम सेंटर में तैनात फार्मेसिस्ट वासुदेव राणा को 15 दिन की व्यवस्था में गंगाड़ ऐलोपैथिक अस्पताल में भेजने की बात प्रभारी चिकित्सक अधिकारी मोरी डाक्टर नितेश रावत कहते है। बहरहाल यहां भी ताला लटका है।

प्रभारी चिकित्सक अधिकारी मोरी से ली गई जानकारी के मुताबिक ऐलोपैथिक नैटवाड़ में विगत कुछ माह पूर्व से डाक्टर अजीत चौहान अपने सेवाएं दे रहे हैं जबकि यहां पर तैनात फार्मेसिस्ट राजेन्द्र प्रकाश सेमवाल अपनी उंची पहुंच के चलते वर्ष 2019 से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सहसपुर में अटैच करने में सफल रहे। इसे कहते सेटिंग नियुक्ति दुर्गम में सेवा देने के नाम पर और सुविधाओं का मेवा मैदान में।

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प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डाक्टर नितेश रावत का कहना है कि लगातार अनुपस्थित रहने के चलते उनका चार माह का वेतन रोका गया है।
इसी प्रकार टिकोची ऐलोपैथिक अस्पताल में विगत कुछ माह से डाक्टर विभोर जैन अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।यहां फार्मेसिस्ट का पद खाली चल रहा है लेकिन एक वार्ड वाय तैनात है।
वही आराकोट ऐलोपैथिक अस्पताल में डाक्टर जसपाल चौहान नियुक्त है। तो फार्मेसिस्ट के पद पर महावीर राणा अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
मोरी ब्लाक में 13 एएनएम केन्द्र है। जिनमें मोरी,आराकोट,ठडियार,गोकुल, भुटाणू,चींवा,नैटवाड़,दोणी, सांकरी, जखोल,गंगाड़,तालुका व गड्डूगाड कुल 13 एएनएम सेंटर है।

अस्पताल में कार्यरत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी में 3 चिकित्सक, 2 फार्मेसिस्ट,1एएनएम तथा 4 स्टाफ नर्स कार्यरत है। विकास खंड के मोरी की जनता के स्वास्थ्य का जिम्मा सम्भालने पीएचसी मोरी में एक वर्ष में 16000 से ऊपर ओपीडी है। लेकिन जरूरी चिकित्सा उपकरणों एवं सुविधाओं के अभाव में मरीजों का उचित उपचार नहीं मिल पाता है। एक्सरे मशीन खराब होने मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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बहरहाल उच्चीकरण करने के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं और संसाधन बढ़ाने पर भी ध्यान देना होगा। तभी जनता को स्वास्थ्य सेवाओं का उचित लाभ मिलने का सपना साकार होगा ।

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