भाजपा सरकार अपनी नीतियों को लेकर स्पष्ट नहीं : यशपाल आर्य (Yashpal Arya)
देहरादून/मुख्यधारा
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा एक बार और नोटबंदी करने से सिद्ध हो गया है कि भाजपा सरकार अपनी नीतियों को लेकर स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि, जनता जानना चाहती है कि, सरकार 2016 में क्यों 2000 रुपए के नोट लायी थी और अब क्यों उन्हें प्रचलन से हटाया जा रहा है?
यशपाल आर्य ने बताया कि , नवंबर 2016 में नोट बंदी करते समय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किये गए सभी बड़े-बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने उस समय 500 रुपये से 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करते हुए दावा किया था कि उनका यह निर्णय देश से काले धन और आतंकवाद को जड़ से समाप्त कर देगा । नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , आंकड़े बता रहे हैं कि हुआ उल्टा , इन सालों में देश में काला धन और बड़ा है।
उन्होंने कहा कि , उस समय सरकार ने एक और दावा किया था।
प्रधानमंत्री ने तब कहा था कि , इन दोनों करेंसी के रूप में देश में बड़ी मात्रा में काला धन छुपा है इन को प्रचलन से बाहर करने पर काला धन बरबाद हो जाएगा । यशपाल आर्य ने कहा कि , लेकिन बाद में आर बी आई की रिपोर्ट से ये सिद्ध हुआ कि देश में उस समय प्रचलन में रही लगभग सारे करेंसी नोट वापस आ गया थे ।
नेता प्रतिपक्ष ने आश्चर्य व्यक्त किया कि , देश तब यह समझ नही पाया था कि अगर 500 और 1000 के बड़े नोटों से देश में काला धन बड़ता है तो उससे बड़े नोट 2000 के प्रचलन में लाने से काला धन कैसे कम होगा?
यह सरकार की विफलता की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है,मुख्य सवाल ये है की दो हज़ार के नोट को मार्किट में लाया ही क्यों गया था? पहले भी जो मार्किट में पैसा था लगभग उतना ही पैसा वापस भी आ गया था तो बीजेपी यह बताये की उसका क्या फ़ायदा हुआ था?
सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए की क्या यह नवंबर 2016 की विमुद्रीकरण आपदा के बाद किया गया एक और आर्थिक प्रयोग है, जिसने देश को कोई ठोस लाभ नहीं दिया
यशपाल आर्य ने कहा कि, भाजपा सरकार देश जनता का ध्यान भटकाने के लिए तरह-तरह के प्रपंच रचती है।
कांग्रेस ने तब भी नोटेबन्दी का विरोध करते हुए 500 और 1000 के नोटों को प्रचलन से बाहर करते समय इसे तुगलकी फैसला बताया था । समय के साथ कांग्रेस की आशंका सच साबित हुई।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि , भाजपा सरकार की विफलताओं और देश के ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए किसी हद तक गिर कर देश को नुकसान , जनता को परेशान और अर्थशास्त्रियों को हैरान करने वाले निर्णय लेती है।
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उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि , इस समय भी देश जब महंगाई , बेरोजगारी और गिरती अर्थव्यवस्था से परेशान है तब एक बार फिर भारी गर्मी में भाजपा सरकार जनता को नोट बदलने की लाइन पर लगवा कर मरवाना चाहती है। सरकार को देश की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र लाया जाना चाहिए ताकि नोटबंदी के प्रभाव को दिखाया जा सके।