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उत्तराखंड में विरोध : बद्रीनाथ धाम पर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बयान पर भाजपा-कांग्रेस, तीर्थ पुरोहितों और साधु-सतों में रोष

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उत्तराखंड में विरोध : बद्रीनाथ धाम पर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के बयान पर भाजपा-कांग्रेस, तीर्थ पुरोहितों और साधु-सतों में रोष

सपा नेता ने भी किया पलटवार

देहरादून/मुख्यधारा

समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के बद्रीनाथ धाम पर दिए गए विवादित बयान के बाद उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक भारी विरोध शुरू हो गया है। सपा नेता के बयान पर साधु-संतों ने भी कड़ी नाराजगी जताई है।

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बाद कांग्रेस और बद्रीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने भी बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। ‌स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा बद्रीनाथ मंदिर सनातन संस्कृति का प्राचीन मंदिर है। उन्होंने कहा बदरीनाथ मंदिर उस समय का है जब बौद्ध धर्म था ही नहीं।

उन्होंने कहा तब महात्मा बुद्ध पैदा नहीं हुए थे। बदरी विशाल मंदिर सतयुग काल का माना जाता है। ऐसे में ये बौद्ध मठ हो ही नहीं सकता। सतपाल महाराज ने कहा इतना जरूर है कि यहां आक्रमण होते रहे हैं। तमाम मंदिरो में बुद्ध की मूर्ति रखी गई। महाराज ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस भी मौर्य के बयान को अस्वीकार्य बता रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा स्वामी प्रसाद मौर्य को हिंदू धर्म ग्रंथों के अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा है मौर्य का बयान किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि यह मौर्य का अल्प ज्ञान है।

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विष्णु पुराण में उल्लेख है कि बदरीनाथ धाम नर-नारायण का स्थान है। महाभारत में भी इसका उल्लेख है। इससे साबित होता है कि सनातन काल से ही यह स्थान हिंदू धर्मस्थल रहा है। बदरिकाश्रम क्षेत्र में अन्य किसी का प्रवेश वर्जित रहा है, ऐसे में उसे बौद्ध धर्मस्थल बताना सरासर गलत है।

श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अपनी दल-बदलू और मौकापरस्त नीति के कारण मौर्य राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुके हैं। इसलिए स्वयं को चर्चा में लाने के लिए वह यह सब कर रहे हैं। उनकी बेसिर-पैर की बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। वहीं दूसरी और उत्तर प्रदेश के बनारस में तमाम हिंदू संगठनों और वकीलों ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए दीवारों पर पोस्टर भी चिपकाए हैं।

सीएम धामी के बयान पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बोला हमला

बता दें कि पिछले दिनों समाजवादी पार्ट के नेता और महासचिव स्वामी प्रसाद ने हाल ही में विवादित बयान दिया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वे को लेकर कहा है कि देश के मंदिरों का भी सर्वे कराया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि मंदिरों का सर्वे हो तो सामने आएगा कि वो किसी बौद्ध मठ पर बना हुआ है। उन्होंने इतना तक कहा है कि ज्यादातर पुराने मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। इस दौरान मौर्य ने चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के बारे में कहा है कि ये मंदिर भी आठवीं शताब्दी तक बौद्ध मठ हुआ करता था।

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मौर्य के बयान पर शुक्रवार दोपहर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी विरोध जताते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से की गई टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही सीएम धामी ने सपा और विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि ये उनकी धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। सीएम ने लिखा है इन पार्टियों की विचारधारा में एसआईएमआई और पीएफआई की झलक दिखती है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने सीएम धामी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुंचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है। सीएम धामी के अलावा बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि सपा हमेशा हिंदू विरोधी विचारधारा रखती है।

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बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में बदरीनाथ का वर्णन मिलता है। बदरीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर बनवाया था। वैदिक काल में भी बदरीनाथ मंदिर के मौजूद होने का जिक्र पुराणों में मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भू-बैकुंठ कहे जाने वाले भगवान विष्णु की देवडोली शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर स्तिथ योग ध्यान बदरी मंदिर में प्रवास करती है। इसके साथ ही हर साल अप्रैल- मई महीने में पूरे विधिविधान के साथ ब्रह्म मूहर्त में बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं।

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