Gaurikund Disaster: गौरीकुण्ड आपदा क्षेत्र का केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत ने लिया जायजा। बोले- बड़ी तबाही हुई, किंतु सही आंकलन किसी के पास नहीं
केदारनाथ/मुख्यधारा
केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत ने गौरीकुंड आपदा का घटनास्थल पहुंचकर वहां का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने अपने अनुभव सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया।
पूर्व विधायक मनोज रावत ने सरकार से अनुरोध करते हुए मांग की है कि समस्त संभावित गायब लोगों की सूची बनाई जाए। स्थानीय लोगों के अलावा नेपाली और यात्रियों के बारे में भी व्यापक प्रचार -प्रसार किया जाय।
कानूनी प्रक्रिया से गायब लोगों को न्यायिक रूप से मृत घोषित करने में 7 साल लगेंगे , इसलिए 2013 की आपदा की तरह गायब लोगों को मृत घोषित करने की प्रक्रिया को पुनर्जीवित किया जाय।
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गायब लोगों को फौरी सहायता और मुआवजा कैसे दिया जाय, इसका रास्ता तलाश किया जाए।
केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत ने मुख्यधारा को बताया कि कांग्रेस के साथियों के साथ गौरीकुंड के आपदा ग्रस्त स्पॉट को देखकर आया। ऐसा लग रहा है कि वहां से एक शातिर मौन बर्बादी गुजरी है, जिसकी चपेट में आने वालों की संख्या, जितने मुंह हैं उतनी है। कोई 19 बताता है कोई 22 तो कुछ लोगों का मानना है कि 25 से ऊपर हैं। जिन 3 अस्थाई दुकानों और एक स्टोर का नामोनिशान अचानक हुए भूस्खलन से मिट गया। उनके भीतर उस रात 11.18 मिनट पर कितने लोग थे, कोई नहीं बता पा रहा है।
उन्होंने बताया कि अब तक घटनास्थल के पास से जो 3 शव मिले हैं, वे नेपाली मूल के प्रतीत होते हैं, पर वे प्रशासन की पहली वाली गिनती में नहीं थे। वे सूची से हटकर हैं। कुछ स्थानीय लोग भी गायब हैं और यात्री भी उस रात चल रहे थे। नेपालियों की संख्या भी अभी कोई नही बता पा रहा है, क्योंकि आजकल कुछ नए नेपाली मजदूर भी आ रहे थे।
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कुल मिलाकर बड़ी तबाही और नुकसान हुआ है, जिसका सही आंकलन किसी के पास नहीं है। स्थानीय की बात करें तो अभी तक रुद्रप्रयाग जिले के 4 निवासियों के लापता होने की पुख्ता सूचना है, यह संख्या भी बढ सकती है।
इस बर्बादी के ऊपर प्रशासन ने मुख्यमंत्री के दौरे से पहले कुछ दर्जन अस्थाई दुकानों को उजाड़ दिया है। इनमें से अधिकांश के मालिक आजकल यात्रा कम होने के कारण अपनी दुकानें नौकरों के भरोसे छोड़ कर अपने घरों गए थे। उनका लाखों का सामान बर्बाद हो गया है । उनके आंसू थम नहीं रहे हैं।
पूर्व विधायक मनोज रावत मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami आपकी इंतजारी थी, पर आप नहीं आ पाए। आप आते तो अपने अनुभव से आपसे कुछ निवेदन करते। सुना है कि कोई नौकरशाह आ रहे हैं। इन स्टील के फ्रेम वाले फौलादी दिल के नौकरशाहों से क्या कहें? आपदा के दर्द को नियम-कानून और शासनादेशों से काम करने वालों को नहीं समझाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पक्ष विपक्ष का भाव छोड़कर पूर्व मुख्यमंत्री Harish Rawat की सलाह लें तो अच्छे नतीजे आएंगे। हमसे भी सरकार और प्रशासन जो सहयोग चाहेगा, हम उसके लिए तैयार हैं।
उन्होंने इससे बड़ी तीव्रता और नुकसान वाली 2013 की आपदा के बाद केदारघाटी को फिर से बसाया-संवारा और यात्रा के लायक बनाया था।
पीड़ितों की नेता प्रतिपक्ष Yashpal Arya से भी बात करवाई गई। नेता प्रतिपक्ष ने आश्वासन दिया कि जल्दी मुख्यमंत्री से मिलकर पीड़ितों की पीड़ा रखेंगे और इन सभी तकनीकी समस्याओं का हल खोजेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे कई वरिष्ठ साथी और जिला पंचायत सदस्यगण जिले से बाहर हैं। उन्होंने कांग्रेस के केदारनाथ विधानसभा के युवा अध्यक्ष करमवीर सिंह कुंवर, बारिष्ठ कांग्रेस और टैक्सी यूनियन अध्यक्ष प्रकाश पंवार , Nsui Rudraprayag के Tanuj Purohit और साथी विनोद सती आदि के इस खराब मौसम और कठिन परिस्थितियों में साथ चलने और लोगों का दर्द जानने के लिए आभार जताया है।
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