श्रीमद् भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) के द्वितीय दिवस आचार्य ममगांई ने बताया कथा का सार, बोले : प्रभु अंतरात्मा की ध्वनि सुनते हैं - Mukhyadhara

श्रीमद् भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) के द्वितीय दिवस आचार्य ममगांई ने बताया कथा का सार, बोले : प्रभु अंतरात्मा की ध्वनि सुनते हैं

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श्रीमद् भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) के द्वितीय दिवस आचार्य ममगांई ने बताया कथा का सार, बोले : प्रभु अंतरात्मा की ध्वनि सुनते हैं

कल्जीखाल/मुख्यधारा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महेन्द्र भट्ट ने कथा में शिरकत की। आचार्य ने कहा कि हमें भी विपत्ति के समय ऐसा दृढ़ विश्वास रखना चाहिए।
प्रभु मेरे अंतरात्मा के ध्वनि अवश्य सुन रहे हैं अतः वे शीघ्रतापूर्वक आ रहे होंगे।

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उन्होंने कहा कि हमें ये सुनने को मिलता है कि परमात्मा नहीं मिलते, क्योंकि हमने बहुत प्रयास कर देख लिया है, लेकिन वे ये नहीं बता सकते कि उन्हें परमात्मा पर कितना विश्वास है। यह बात विकासखण्ड कल्जीखाल पौड़ी के चोपड़ा में प्रमुख द्वारीखाल महेन्द्र सिंह राणा, ब्लॉक प्रमुख कल्जीखाल बिना राणा द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत की कथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने भक्तों को संबोधित करते हुए कही।

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माता पिता को प्रत्यक्ष देवता बताते हुए आचार्य ममगाईं ने कहा कि जो मां बाप की अवहेलना कर, उनका अपमान करके भी भक्ति का ढोंग रचते हैं वे पाखंडी हैं। श्रीराम की पूजा का भक्ति का अधिकारी वही है, जो माता पिता की आज्ञा का पालन करता है, उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता है। भगवान श्री राम ने स्वयं माता-पिता की आज्ञा मात्र से, न्याय अन्याय का विचार किए बिना राजपाट त्यागकर वन गमन किया था। अतः उनसे मातृ पितृ भक्ति, भाइयों के प्रति उत्कृष्ट प्रेम की प्रेरणा लेकर ही उनकी भक्ति की जा सकती है।

उन्होंने भक्ति राज पुंडरीक की कथा सुनाते हुए कहा कि पुंडरीक माता-पिता की सेवा कर रहे थे, द्वारकाधीश उन्हें दर्शन देने आ पहुंचे। पुंडरीक ने अन्दर से कहलवाया। प्रभु अभी मैं माता पिता की सेवा कर रहा हूं, आप प्रतीक्षा करें। उनकी सेवा समाप्त करने के बाद ही आपकी सेवा में आऊंगा। द्वारकाधीश ईंट पर खड़े होकर प्रतीक्षा करते रहे। यह था मातृ-पितृ सेवा का अनुपम उदाहरण। आज तो मुकदमे में भाई को पिता को हराने के लिए हनुमान जी का अनुष्ठान किया जाता है। ऐसे पाखंडियों को क्या हनुमान जी सहन कर सकते हैं।

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वहीं अपने सम्बोधन में प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट  ने कहा कि धर्म जोड़ता है, इसलिए ऐसे धर्मिक आयोजना का होना इसलिए भी आवश्यक है कि ईवा पीढी को अपने संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान हो संस्कार जिसके जीवन में वह संगठीत रहते हुए बड़ों का आदर छोटों पर स्नेह करने की भावना जागृत होगी और हर बुराई से बचकर देश राष्ट्र सेवा में अग्रणी भूमिका निभायेगे। वहीं दलीप रावत ने कहा कि धार्मिक प्रदेश में धार्मिक कार्य क्रम होना आवश्यक है, वहीं जोत सिंह विष्ट ने भी सम्बोधन में गंगा गौरी रक्षा के लिए आगे आने की आवश्यकता पर जोर दिया।

आज विशेष रूप से प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महेंद्र भट्ट, विधायक प्रतापनगर विक्रम सिंह नेगी, विधायक लैन्सडाऊन दलीप सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष जोत सिंह विष्ट, मातवर सिंह राणा, महेंद्र सिंह राणा (ब्लॉक प्रमुख द्वारीखाल, प्रमुख संगठन अध्यक्ष उत्तराखंड), मुकेश सिंह राणा, मंजू राणा, बीना राणा (ब्लॉक प्रमुख कल्जीखाल), सरिता राणा, प्रेम प्रकाश कुकरेती, आचार्य सुदर्शन जुयाल, पूर्व जेष्ठ प्रमुख महेंद्र सिंह मवाना, प्रधान संगठन अध्यक्ष रमेश चंद, क्षेत्र पंचायत लक्ष्मण डुकलान, क्षेत्र पंचायत सदस्य दियूसा महेश चंद,प्रधान पांचाली संतोषी देवी बिपिन रावत, विजय नैथानी, अशोक रावत, संतोष रावत क्षेत्र पंचायत सदस्य राकेश नैथानी जसवीर सिंह रावत राकेश असवाल आदि उपस्थित थे।

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