‘आसमान से छूटे और खजूर में अटके’ बंगाण क्षेत्रवासी
नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
आसमान से छूटे और खजूर में अटके यह कहावत आपदा प्रभावित बंगाण क्षेत्र के वाशिंदों पर सही साबित हो रही है। अगस्त 2019 में आई भीषण जल आपदा के जख्म अभी ठीक से भर भी नहीं पाए थे कि एक और आपदा ने दस्तक देकर क्षेत्रवासियों की कमर तोड़ दी। उनके जीने के हौसले को हतोत्साहित कर दिया। हालांकि सरकार ने देर से आए पर दुरूस्त आए की दर्ज पर आपदा से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों के पुनर्निर्माण के कार्य शुरू किए।
लेकिन निर्माण एजेंसी पर जख्मों को भरने के जमीनी प्रयास में लेटलतीफी व अनियमितता के आरोप भी लगते रहे।
मोरी प्रखंड के आराकोट बंगाण क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि व बादल फटने की घटनाओं से क्षेत्र में जान माल के नुकसान नहीं हुआ बल्कि भूस्खलन व भू -ध्साव से सेब के बगीचों में भारी नुकसान हुआ है। फलों से लदे सेब के वृक्ष जमींदोज हो गये है। आपदा ने काश्तकारों की कमर तोड़ दी है।
आपदा ने काश्तकारों से आर्थिक का जरिया छीन लिया है, सेब के पौधे भूस्खलन से धराशायी हो गये हैं। जमीन पर सेब की फसल बिखरी पड़ी है।
सम्पर्क मार्ग बंद होने तथा गाड़-गदेरों व नदी नालों में बने पुल विगत 2019 को आई भीषण जल आपदा में बह गये थे। उनका 4 वर्ष बाद भी निर्माण न होने से ग्रामीणों के समक्ष आवाजाही से लेकर नगदी फसलों को मंडी पहुंचाने का संकट भी गहराने लगा है।
विगत सप्ताह टिकोची में आई बाढ़ में एक महिला बाढ़ में अपनी जान गंवा चुकी है। वहीं एक दर्जन मवेशी काल के ग्रास बन गयें। कई मकान भी बाढ़ की भेंट चढ़ गये।
सामाजिक कार्यकर्ता मनमोहन सिंह चौहान ने शासन-प्रशासन से आपदा से सेब के बगीचों को हुई क्षति का आंकलन कर बागवानों को उचित मुआवजा दिलाए जानें की मांग की है।