चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) से पहले सड़कों को सुरक्षित करना चुनौती
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली चारधाम यात्रा इस बार मई के दूसरे सप्ताह से प्रारंभ होनी है। इसे लेकर मशीनरी तैयारियों में जुट गई है। चारधाम यात्रा को सुरक्षित व निरापद बनाने के दृष्टिगत यात्रा से पहले सड़कों को सुरक्षित बनाने की चुनौती भी लोक निर्माण विभाग के सम्मुख रहेगी। विभाग को दो वर्ष के भीतर प्रदेश में 3700 किमी लंबी सड़कों पर क्रैश बैरियर लगाने हैं। इसके लिए इस
वर्ष ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जो दुर्घटना के लिहाज से संवेदनशील है। इसी के हिसाब से जिलों से मिले प्रस्तावों के आधार पर बजट आवंटित किया गया है। प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं।
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यह देखा गया है कि पर्वतीय मार्गों पर क्रैश बैरियर न होने के कारण वाह वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका रहती है।मार्गों के संकरा व घुमावदार होने के कारण कई बार चालक वाहन से नियंत्रण खो बैठते हैं। इसे देखते हुए राज्य सड़क सुरक्षा परिषद ने प्रदेश के ऐसे मार्गों को चिह्नित किया,जहां क्रैश बैरियर लगाने की जरूरत है। ये मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सीमा सड़क संगठन और लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत हैं। सर्वे में राज्य में कुल 7688.16 किमी लंबी सड़कों पर क्रैश बैरियर अथवा पैराफिट लगाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके सापेक्ष प्रदेश में अब तक 3666.77 किमी लंबी सड़कों पर क्रैश बैरियर लगाए जा चुके हैं, जबकि 4021.39 किमी लंबी सड़क पर क्रैश बैरियर लगाए जाने शेष हैं। इनमें भी सबसे अधिक 3720.04 किमी हिस्सा लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है।
लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा के दृष्टिगत प्राथमिकता के आधार पर इन्हें दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे।सचिव लोक निर्माण विभाग का कहना है कि प्रदेश में सड़कों को दुरुस्त करने के लिए 750 करोड़ के काम पूर्व में स्वीकृत किए जा चुके हैं। इसके बाद भी यदि कहीं जरूरत महसूस होगी तो चुनाव के बाद उन कार्यों को भी स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी इस साल चारधाम की यात्रा टूटे हुए पुश्तों और हाईवे के बीच में पड़े बोल्डरों से होकर गुजरेगी। शासन की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58/7 पर टूटे पुश्तों के लिए बजट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में चारधाम की यात्रा पर आने वाले यात्रियों को संवेदनशील हो चुके हाईवे पर हिचकोले खाकर यात्रा करनी पड़ेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड की ओर से इन संवेदनशील स्थानों पर किसी प्रकार के सुरक्षात्मक उपाय भी नहीं किए गए। ऐसे में रात को आकस्मिक सेवा के वाहन चालकों को परेशानी होती है।
देवप्रयाग से ऋषिकेश तक करीब पांच से अधिक स्थानों पर हाईवे पर बड़े-बड़े बोल्डर गिरे पड़े हैं। लेकिन इन बोल्डर को तोड़कर हाईवे से हटाने की बजाय एनएच श्रीनगर गढ़वाल ने इन्हें नुमाइश के लिए हाईवे पर रखा है। हाईवे का पुश्ता टूटने और ऊपर पहाड़ी से मलबा गिरने के कारण बछेलीखाल (डोबरी) और ब्यासी बाजार के पास हाईवे सिंगल लेन का हो गया है। बछेलीखाल में तो एक ट्रक भी खतरनाक मार्ग के कारण खाई में गिर चुका है।इन दोनों स्थानों पर सिंगल लेन में चलने के कारण सुबह से शाम तक वाहनों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। उक्त स्थानों पर हाईवे के उबड खाबड़ होने के कारण भारी वाहनों के कमानी टूटने और दुर्घटनाग्रस्त होने का भय बना रहता है।
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उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2024को लेकर सरकार तैयारियों में जुट गई है. यात्रा को तीर्थयात्रियों के लिए सहज, सुगम, सुखद और सुरक्षित बनाने को लेकर सरकार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में सचिवालय में मुख्य सचिव ने यात्रा मार्ग पर जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए सभी विभागों को महीने की डेडलाइन दी है. इसके अलावा उन्होंने यात्रियों की सुविधा के लिए यात्रा रजिस्ट्रेशन को ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं. चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों में भारी उत्साह है। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को अब तक होटल व गेस्ट हाउस की साढ़े चार करोड़ रुपये की बुकिंग मिल चुकी है। आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और बढ़ेगा। निगम ने फरवरी में होटल की ऑनलाइन बुकिंग शुरू की थी। चारधाम यात्रा को लेकर निगम की ओर से इस बार खास तैयारियां की गई हैं। पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वेबसाइट पर भी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। यात्रा के दौरान किसी भी परेशानी से बचने के लिए तीर्थयात्री व पर्यटक एडवांस बुकिंग करा रहे हैं।
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जीएमवीएन के सहायक महाप्रबंधक ने बताया, यह आंकड़ा सिर्फ होटल व गेस्ट हाउस की ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग का है। इसके अलावा निगम को टूर पैकेज की भी अच्छी बुकिंग मिल रही हैं। आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि चारधाम यात्रा में विदेशों के साथ ही देश के तमाम राज्यों से श्रद्धालु आते हैं,लेकिन कई बार देखने को मिलता है कि उनके लोकल भाषा में स्वास्थ्य गाइडलाइन न होने के चलते कई बार श्रद्धालुओं को गाइडलाइन समझने में दिक्कतें होती है। जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल एक बड़ा पहल करते हुए हिंदी-अंग्रेजी के अलावा 9 अन्य भाषाओं में एसओपी जारी की थी। इस बार भी ऐसा ही होगा कुल 11 भषाओं में एसओपी जारी होगी। जिससे अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को उनकी भाषा में स्वास्थ्य संबंधी गाइडलाइन और जानकारी मिल सकेगी। इससे उन्हें गाइडलाइन पूरी तरह से भी समझ आ जाएगा।
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उन्होंने कहा कि अन्य भाषाएं जिसमें बंगाली,गुजराती,तमिल, तेलगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, मराठी और उड़िया भाषा में भी एसओपी जारी की जाएगी। इससे श्रद्धालु अपने लोकल भाषा में हेल्थ एसओपी को पढ़ पाएंगे। यह श्रद्धालुओं तक सुलभ तरीके से भी पहुंच पाएं, इसके लिए सभी जिलों के जिलाधिकारियों और सीएमओ को भी भेजा जाएगा। ताकि तमाम भाषाओं में हेल्थ एसओपी चारधाम की वेबसाइट के साथ ही अन्य जगहों पर भी अपलोड होगी। चार धाम यात्रा का उत्तराखंड की आर्थिकी में बड़ा योगदान है। हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली में हजारों लोगों को चारधाम यात्रा से रोजगार मिलता है।
( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )