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बड़ी खबर: कांग्रेस (Congress) की बंपर जीत, भाजपा के हाथ से फिसला कर्नाटक, पीएम मोदी की तूफानी रैलियां बेअसर

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बड़ी खबर: कांग्रेस (Congress) की बंपर जीत, भाजपा के हाथ से फिसला कर्नाटक, पीएम मोदी की तूफानी रैलियां बेअसर

(कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने ताबड़तोड़ चुनावी रैली की। लेकिन भाजपा राज्य के लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी। पीएम मोदी की पूरी ताकत झोंकने के बाद कर्नाटक में हार भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है। इस विधानसभा चुनाव में बजरंगबली का मुद्दा भाजपा और कांग्रेस के बीच जोर शोर से गरमाया रहा। आखिरकार जनता ने कांग्रेस को अपना जनाधार दे दिया। अपने गृह राज्य में कांग्रेस की शानदार जीत पर मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार की उम्मीद पर खरे उतरे। )

शंभू नाथ गौतम

8 दिसंबर साल 2022 को कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंका था।

करीब 6 महीने बाद 13 मई, शनिवार को कांग्रेस ने दक्षिण के राज्य कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा से सिंहासन छीन लिया है। कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने ताबड़तोड़ चुनावी रैली की। लेकिन भाजपा राज्य के लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी। पीएम मोदी की पूरी ताकत झोंकने के बाद कर्नाटक में हार भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है। इस विधानसभा चुनाव में बजरंगबली का मुद्दा भाजपा और कांग्रेस के बीच जोर शोर से गरमाया रहा।

आखिरकार जनता ने कांग्रेस को अपना जनाधार दे दिया। अपने गृह राज्य में कांग्रेस की शानदार जीत पर मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार की उम्मीद पर खरे उतरे हैं। इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, कांग्रेस 68 सीटों पर जीती है और 68 पर आगे है यानी कुल 136 सीटें। भाजपा को 30 पर जीत मिली है और 34 सीटों पर आगे है यानी कुल 64 सीटें। जेडीएस 12 सीटें जीती है और 8 पर आगे है, कुल 20 सीटें। अन्य 3 सीटों पर जीती और 1 पर आगे है यानी कुल 4 सीटें। बता दें कि कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव कराए गए।

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बेंगलुरु से दिल्ली तक कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल है। कांग्रेस के सभी नेता चैनलों और ट्वीट के माध्यम से कर्नाटक की शानदार जीत पर खुशियां मना रहे हैं। इस साल कर्नाटक के बाद अब पांच अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है। इसके अलावा अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद सात राज्यों में चुनाव होने हैं।

कुल मिलाकर अगले दो सालों में लोकसभा के साथ-साथ 13 बड़े राज्यों के चुनाव होने हैं। इनमें कई दक्षिण के राज्य भी हैं। इसलिए भाजपा के लिए कर्नाटक की हार को बड़ा झटका माना जा रहा है।

वहीं, मुश्किलों में घिरी कांग्रेस के लिए जीवनदान साबित हुई। कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से बात की उन्होने जीत के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बधाई दी।

राहुल ने कहा कि इन चुनावों में हमें जीत दिलाने के लिए कर्नाटक की जनता को शुक्रिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ। राजनीति गलियारों और चैनलों में कर्नाटक विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम छाए हुए हैं। जहां दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भाजपा विधानसभा चुनाव के परिणामों में पीछे चल रही है 28 जुलाई साल 2021 यानी करीब 22 महीने पहले जब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने बासवराज बोम्मई के हाथ में कर्नाटक की कमान सौंपी थी। तो उन्हें 2023 के चुनावों में गुजरात जैसे चमत्कार की उम्मीद थी। लेकिन आज को जो नतीजे आ रहे हैं, उसे साफ है कि दक्षिण का द्वारा भाजपा के हाथ से निकल गया है। और एक बार फिर कांग्रेस के हाथ में सत्ता पहुंचने जा रही है। रुझानों से साफ है कि कर्नाटक में भाजपा को बोम्मई प्रयोग नहीं चला है। एक और राज्य के नतीजों को देखा जाय तो उससे साफ पता चलता है कि भाजपा के लिए कर्नाटक में कमजोर नेतृत्व नुकसानदायक साबित हो रहा है।

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आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। और वहां भाजपा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक तरफा जीत हासिल करती दिख रही है। ऐसे में इन 2 राज्यों के नतीजे भाजपा के लिए 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव और उससे पहले 4 प्रमुख राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों के लिए अहम सबक साबित होंगे।

बीजेपी ने कर्नाटक में बोम्मई को सत्ता येदियुरप्पा जैसा कद्दावार नेता के हाथ से कमान लेकर सौंपी थी। लेकिन उनके सत्ता संभालने के बाद पार्टी में एकजुटता की जगह अंतर्कलह बढ़ता गया। लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार जैसे नेता ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। उसके अलावा टिकटों के बंटवारे को लेकर भी असंतोष दिखने लगा। इसके साथ ही कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाती दिखी। इस दौरान बोम्मई कांग्रेस का मजबूती से काउंटर अटैक नहीं कर पाए। जिसका खामियाजा पार्टी को उनके नेतृत्व में चुनाव में उठाना पड़ा है।

भाजपा को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना जैसे अहम विधानसभा चुनावों को लेकर खास रणनीति बनानी होगी। क्योंकि 2024 के लोक सभा चुनावों से पहले भाजपा की अग्नि परीक्षा होगी। इसमें जहां छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, वहीं तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है।

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कर्नाटक में भाजपा ने हार स्वीकार की, कांग्रेसी नेताओं में जश्न का माहौल

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बननी तय है। अब तक की काउंटिंग में पार्टी 130 सीटें जीतते दिख रही है। प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार इसकी भविष्यवाणी पहले ही कर चुके थे। कर्नाटक में भाजपा ने हार स्वीकार कर ली है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूरे नतीजे आने के बाद हम समीक्षा करेंगे और लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी करेंगे। पार्टी को बहुमत मिलने के बाद कर्नाटक कांग्रेस चीफ डीके शिवकुमार रो पड़े। उन्होंने कहा, “मैंने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को जीत का आश्वासन दिया था। मैं भूल नहीं सकता जब सोनिया गांधी मुझसे जेल में मिलने आई थीं, तब मैंने पद पर रहने के बजाय जेल में रहना चुना, पार्टी को मुझ पर भरोसा था।”
कांग्रेस ने कल यानी रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,’कर्नाटक की जनता ने हमें भारी बहुमत दिया है. वह इसके लिए कर्नाटक के लोगों को धन्यवाद देते हैं। हाथ जोड़कर उन्हें नमस्कार करते हैं। हमारे काम उनके विश्वास के साथ न्याय करेगा। हम सभी 5 गारंटियों को पूरा करेंगे।‌

‘कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, मोदी जी ने तानाशाही कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने पर राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी थी। आज उसी भ्रष्टाचार के चलते कर्नाटक की जनता ने उन्हें राज्य से निकाल दिया। इससे साबित हो गया है सत्ताधारी नहीं आम जनता तय करती है कि सत्ता किसके हाथ में जाएगी।

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केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा, लोकतंत्र में हार-जीत बड़ी बात नहीं है। हमने अपनी हार स्वीकार की है। हम विपक्ष के नाते लड़ेंगे और हमारा लक्ष्य है कि 2024 में लोकसभा चुनाव में हम सारी सीटें जीतें।‌‌

जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, जैसे-जैसे कर्नाटक चुनाव का परिणाम अंतिम रूप ले रहा है, वैसे-वैसे स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस जीत गई है और प्रधानमंत्री हार गए हैं।

बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान को पीएम और राज्य को उनका ‘आशीर्वाद’ मिलने को लेकर जनमत संग्रह बना लिया था। इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी ने यह चुनाव आजीविका और खाद्य सुरक्षा, महंगाई, किसान संकट, बिजली आपूर्ति, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के स्थानीय मुद्दों पर लड़ा। प्रधानमंत्री ने विभाजनकारी रणनीति अपनाई और ध्रुवीकरण का प्रयास किया। कर्नाटक ने बेंगलुरु में एक इंजन के लिए वोट किया है, जो आर्थिक विकास को सामाजिक सद्भाव के साथ जोड़ेगा। बेंगलुरु स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जश्न मनाया। उधर, कांग्रेस के कई बड़े नेता कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार से मिलने पहुंचने लगे हैं।

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