परिवार दिवस विशेष (family day special): छोटी-छोटी बातों पर न करें राहें अलग, 'ये तेरा घर ये मेरा घर की बदलें सोच-बनाएं हमारा घर' - Mukhyadhara

परिवार दिवस विशेष (family day special): छोटी-छोटी बातों पर न करें राहें अलग, ‘ये तेरा घर ये मेरा घर की बदलें सोच-बनाएं हमारा घर’

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शंभू नाथ गौतम

अगर हम पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है परिवारों का बिखरना भी तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। छोटी-छोटी बातों पर घर के लोगों की जिंदगी की राहें अलग-अलग होने लगी हैं। बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं। एक घर में संयुक्त परिवार अब केवल तस्वीरों में ही सिमट गए हैं। गांव से लेकर बड़े शहरों तक लगभग सभी लोग अलग-अलग रह रहे हैं।

परिवार के विघटन होने का बड़ा कारण मौजूदा समय में लोगों की अलग विचारधाराएं हैं। आज 15 मई है। इस दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ (फैमिली डे)(family day special) मनाया जाता है। इस साल संयुक्त राष्ट्र ने विश्व परिवार दिवस की थीम ‘परिवार और शहरीकरण’ रखी है।

भारत की बात करें तो बहुत ही कम ऐसे परिवार होंगे, जो एक छत के नीचे संयुक्त रूप से हंसी-खुशी के साथ रह रहे हैं। मौजूदा समय में ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर’ के हिसाब से परिवारों में बंटवारा हो गया है। परिवारों के बिखरने के बाद समाज भी बिखरता चला गया। ‌जैसे-जैसे समय बीत रहा है, परिवारों के बिखरने का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ रहा है।

आज के परिवेश में घरों में आपसी प्यार कम नजर आता है, बल्कि किसी न किसी बात को लेकर क्लेश बना रहता है।

बता दें कि संयुक्त परिवार या एकीकरण परिवार समाज में एकता की सबसे पहली सीढ़ी मानी जाती रही है। परिवार के सदस्यों का घरों में एक साथ बैठना, भोजन करना, सामूहिक रूप से तीज, त्योहारों में शामिल होना सभी को याद होगा। समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी है। ऐसे में परिवार ही हैं जो लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

परिवार हमारे रिश्‍तों को न सिर्फ मजबूती देता है, बल्कि हर सुख दुख में हमारे साथ खड़ा होता है, यही वजह है कि हमारे जीवन में परिवार का बहुत महत्‍व है। आज के इस आधुनिक जीवन में भी परिवार की अहमियत कम हो गई है। आज गांव हो या छोटे शहर या बड़े शहरों में संयुक्त परिवार बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। बड़े परिवारों का टूटना, छोटे परिवारों में आकर सिमट जाना इसका सबसे बड़ा कारण मनुष्यों की स्वार्थी सोच रही है।

साल 1993 से अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (family day special) मनाने की हुई थी शुरुआत

बता दें कि साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की शुरुआत की थी और हर साल 15 मई के दिन इसे मनाने की घोषणा की गई थी। इस दिवस को दुनियाभर के समुदायों व लोगों को उनके परिवारों से जोड़ने, सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने, परिवार से जुड़ी मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाने, परिवार नियोजन की जानकारी देने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को पहली बार साल 1994 में मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है परिवार में विघटन न हो।

हम पुराने युगों की बात करें या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी बात करें तो आज की ही तरह पहले भी परिवारों का विघटन हुआ करता था, लेकिन आधुनिक समाज में परिवार का विघटन आम बात हो चुकी है। ऐसे में परिवार न टूटे इस कारण अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार के बीच में रहने से आप तनावमुक्त व प्रसन्नचित्त रहते हैं। साथ ही आप अकेलेपन या डिप्रेशन के शिकार भी नहीं होते।

यही नहीं परिवार के साथ रहने से कई सामाजिक बुराइयों से अछूते भी रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (family day special) का मुख्य उद्देश्य युवाओं को परिवार के प्रति जागरूक करना है, ताकि युवा अपने परिवार से दूर न हों। परिवार चाहे जैसा भी हो लेकिन हमेशा वह अपनों के हितों को ध्यान में जरूर रखता है।

बता दें कि समाज चाहे जितना बदल जाए क्यों न पाश्चात्य सभ्यता का चोला ओढ़ लें लेकिन देश में हमेशा संयुक्त परिवार का महत्व था और रहेगा। संयुक्त परिवार में आनंद, सुरक्षा, अनुभव और भावात्मक लगाव परिवार में है, वह कहीं नहीं मिलेगा। परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराता है, यह हमें जीवन में किसी के होने का एहसास दिलाता है, जिसके साथ आप अपनी समस्याओं को साझा कर सकते हैं। यह दिन एक दूसरे के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाता है। मुसीबत के समय घर ही याद आता है और वही आपको शरण देता है।

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