सियासत: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) को नहीं मिल रही ज्यादा अहमियत, हरदा की ये सिफारिश हुई दरकिनार
देहरादून/मुख्यधारा
कांग्रेस के शीर्ष केन्द्रीय नेताओं की जमात में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगता है उत्तराखंड सहित राष्ट्रीय नेतृत्व में शामिल चापलूस किस्म के कुछ नई पीढ़ी के केन्द्रीय नेताओं के लिए ज्यादा अहमियत देने वाले नेता नहीं रह गए हैं। इसलिए जवाहर बाल मंच के प्रदेश मुख्य संयोजक पद के लिए हरदा की सिफारिश को दरकिनार कर प्रदेश अध्यक्ष की विगत 7 मई को संस्तुति के साथ भेजी गई चिट्ठी पर बिना देर किए उसी दिन अंशुल रावत को मुख्य संयोजक नामित कर दिया गया।
जवाहर बाल मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.जीवी हरी ने गत 7 मई को कई राज्यों के लिए मुख्य संयोजक व अन्य पदाधिकारी नामित किए हैं।उत्तराखंड में अंशुल रावत को मुख्य संयोजक बनाया गया है। इस पद के लिए हरीश रावत ने विगत 26 अप्रैल को लंबे समय से पार्टीनिष्ठ व विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके मनीष कर्णवाल की संस्तुति संगठन के केन्द्रीय नेतृत्व से की थी।
आश्चर्यजनक यह है कि नियुक्ति के अंतिम चरण में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने रविवार सात मई केन्द्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को अंशुल रावत के नाम की संस्तुति भेजी, और उसी दिन नामित करने के संबंध में आदेश भी जारी हो गए। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर गुटबाजी का पोषण करने वाले लोग पार्टी की दुर्गति के जिम्मेदार कारणों की भी परवाह नहीं करते हैं! या फिर केवल,जननेता की छवि रखने वाले हरीश रावत को महत्वहीन दिखाने के लिए एक ही दिन में फैसला कर दिया गया।वजह जो भी हो, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि, कोई तो है प्रदेश में बड़े क्षत्रपों को गुटबाजी में बांटे रखने के प्रयास में लगा हुआ है।