सात समंदर पार से अपनी जड़ों को लेकर फिक्रमंद राज भट्ट (Raj Bhatt) - Mukhyadhara

सात समंदर पार से अपनी जड़ों को लेकर फिक्रमंद राज भट्ट (Raj Bhatt)

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सात समंदर पार से अपनी जड़ों को लेकर फिक्रमंद राज भट्ट (Raj Bhatt)

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

सात समंदर पार इंग्लैंड में नामी चार्टड एकाउंटेंट (सीए) राज भट्ट आज भी अपनी जड़ों के लिए फिक्रमंद हैं। इस दिशा में वह निरंतर काम कर रहे हैं। मूल रूप से चम्पावत के पाटी विकास खंड के सिरतोली निवासी राज भट्ट इन दिनों लंदन से हैं। में करियर काउंसलिंग कार्यक्रम हुआ राज भट्ट ने कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है। उसके बावजूद जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को लेकर अडिग रहता है वह एक दिन जरूर सफल होता है। संसाधनों की कमी से आगे बढ़ने से वंचित प्रतिभाओं को मदद कर नई राह दिखाने के साथ ही 15 शिक्षण संस्थानों के बुनियादी ढांचे और संस्कृति संरक्षण में हाथ बंटा रहे हैं। इस नेक काम में वह हर साल 21 लाख रुपये दान कर रहे हैं।

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स्वतंत्रता सेनानी हर्षदेव ओली की पहचान से जुड़े खेतीखान क्षेत्र के सिर्तोली गांव के राज भट्ट (54) 19 वर्षों से इंग्लैंड में सीए हैं। इस समय इलारा कैपिटल के मुख्य अधिशासी अधिकारी के रूप में भी वह सेवा दे रहे हैं। ऊंचे ओहदे में होने के बावजूद भी वह अपने इलाके के लोगों से जुड़े हुए हैं। लोहाघाट, खेतीखान, टनकपुर के विवेकानंद विद्यामंदिर और प्राथमिक स्कूलों में कंप्यूटर, फर्नीचर से लेकर बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने में हर साल मदद कर रहे हैं। मुख्य शिक्षाधिकारी बताते हैं कि पिता स्वर्गीय लीलाधर भट्ट और मां हीरा देवी की स्मृति में पांच स्कूलों में 30 गरीब प्रतिभावान विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दे रहे हैं। मड़ पसौली के गोवात्सल्य सेवा केंद्र में 2016 से आर्थिक सहयोग कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर में कराटे में जौहर दिखाने वाली तीन बालिकाओं की पढ़ाई का समूचा खर्च उठा रहे हैं।

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राज भट्ट ने इस साल अपने पैतृक गांव सिर्तोली में वेद विद्यालय शुरू किया। इस आवासीय स्कूल में संस्कृत के माध्यम से वेद की पढ़ाई हो रही है। साथ ही बागेश्वर जिले के बैजनाथ में संस्कृत महाविद्यालय भी शुरू किया है। राज भट्ट ने ऋषेश्वर महादेव मंदिर की दूसरी मंजिल का निर्माण करा। विदेश में रहकर अपने मुल्क और वहां बच्चों के भविष्य की बेहतरी के लिए कुछ करने की चाह रखने वाले कुछ विरले ही होते हैं। इनमें से एक हैं प्रवासी भारतीय सीमांत के राज भट्ट। अपने मुल्क के स्कूली बच्चों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने और उनका भविष्य संवारने की चाहत उनके अंदर लंदन में भी बरकरार रही।बच्चों को अंग्रेजी में दक्ष बनाने के लिए उन्होंने दो ब्रिटिश शिक्षिकाओं को मुनस्यारी भेजा है।

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प्रवासी भारतीय राज भट्ट ने सीमांत के बच्चों को अंग्रेजी विषय में दक्ष बनाने के लिए तीन माह पूर्व लंदन से दो ब्रिटिश शिक्षिकाओं कैटलिन थे गेरी और लिबर्टी एलेक्जेंडर कैथरीन को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी भेजा है। यहां पहुंचकर दोनों शिक्षिकाओं ने विवेकानंद विद्या मंदिर के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया।

मूल रूप से चम्पावत जिले के राज भट्ट भट्ट ने लंदन को अपनी कर्मस्थली बनाया है, लेकिन मुनस्यारी से उनका बेहद लगाव है। यहां के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए उन्होंने खासा प्रयास किया है। उन्होंने यहां के 12 स्कूलों और 36 से अधिक बच्चों को गोद लिया है।

इसके अलावा क्षेत्र के अन्य 12 से अधिक स्कूलों को वे हर साल यहां पहुंचकर वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। यहां तक कि दोनों विदेशी शिक्षिकाओं का पूरा खर्च भी भट्ट वहन कर रहे हैं। अंग्रेजी के साथ ही विदेशी शिक्षिकाएं बच्चों को व्यक्तित्व विकास के गुर भी सिखा रही हैं। दोनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भविष्य निर्माण के लिए ज्ञान के साथ ही स्किल डेवलपमेंट भी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चे भविष्य में किसी भी क्षेत्र में पीछे न रहें, इसी उद्देश्य से वे उन्हें तैयार कर रही है।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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