नीरज उत्तराखंडी
देवलांग सीमांत उत्तरकाशी के पश्चिमोत्तर रवाँई क्षेत्र का एक प्रमुख व प्रसिद्ध लोकोत्सव है, जिसे लेकर लोकवासियों में खासा उत्साह बना रहता है। उसी उत्साह के साथ इस बार स्थानीय इष्टदेव रघुनाथ की पावन स्थली देवडोखरी में सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण समिति (सेवा) संस्था के तत्वाधान में रवांल्टी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। रवांल्टी इस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है।
रा.क.उ.मा.विद्यालय गडोली (देवडोखरी) के सभागार में आयोजित तथा लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं सदस्य, उत्तराखण्ड भाषा संस्थान महावीर रवांल्टा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए इस कवि सम्मेलन में रवांल्टा के अतिरिक्त दिनेश रावत, जय प्रकाश सेमवाल, अनुरूपा नेगी, अनोज रावत, भारती आनंद, राजुली बत्रा व धीरेंद्र चौहान ने रवांल्टी तो नीरज उत्तराखण्डी ने बावरी-देवघारी में कविता पाठ कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
लोक के बीच सम्पन्न हुए इस लोक भाषिक कवि सम्मेलन में लोकवासियों को दूधबोली में ही विभिन्न रसों से युक्त कविताएं ही सुनने को नहीं मिली, बल्कि परंपरागत परिधान में कविता पाठ को पहुँचे कवि-कवियत्रियों एवं अन्य सभी के स्वागत-सत्कार का तरीका भी पूरी तरह लौकिक रहा। प्रवेश द्वार पर ढोल-बाजों संग पूजा-पिठाईं यानी मंगल तिलक लगाकर पुष्प भेंट करते हुए परंपरागत तरीके से सभी का स्वागत बेहद आकर्षक रहा।
सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन एवं रा.क.उ.मा. विद्यालय गडोली की छात्रा दीया, प्रिया, राखी, सपना व सुहानी द्वारा रवांल्टी भाषा में प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ किया गया, जिसमें कोटी ‘बनाल’ निवासी सरदार सिंह रावत व बर्फिया लाल ने हारमोनियम व ढोलक तथा झुमराड़ा निवासी सुबल दास ने ढोल वादन कर साथ दिया।