Tourism : यमकेश्वर क्षेत्र में युवाओं के दल ने खोजा नया पैदल ट्रैक। पर्यटन विभाग से सहयोग की दरकार - Mukhyadhara

Tourism : यमकेश्वर क्षेत्र में युवाओं के दल ने खोजा नया पैदल ट्रैक। पर्यटन विभाग से सहयोग की दरकार

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यमकेश्वर/मुख्यधारा

”कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढत बन माहि”

कबीरदास जी ने इस दोहे के माध्यम से ईश्वर की महत्ता बताने का प्रयास किया है कि कस्तूरी तो हिरन की नाभि में ही होता है, किंतु वह इससे अनजान होता है और इसकी सुगंध के लिए इधर-उधर भागता-फिरता है।

उपरोक्त दोहा उत्तराखंड पर्यटन (Tourism) विभाग पर भी सटीक बैठता है। उत्तराखंड देहरादून के आस-पास ही बहुत सारे पर्यटक स्थल हैं, जिन पर अभी तक विभाग की नजर नहीं पड़ पाई है। यदि विभाग इन पर्यटक स्थलों की सुध ले तो इससे विभाग की कमाई तो होगी ही, साथ ही स्थानीय युवाओं में भी रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। साथ ही पलायन जैसी विकट समस्या पर लगाम लगाने की दिशा में भी आगे बढ़ा जा सकता है।

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ऐसा ही एक पर्यटक (Tourism) स्थल ऋषिकेश से लगा हुआ यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में भी स्थित हैं। यह क्षेत्र साहससिक पर्यटन के क्षेत्र में नया मुकाम स्थापित कर सकता है।

यमकेश्वर के जाने माने अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट मुख्यधारा से बाचतीत करते हुए बताते हैं कि यमकेश्वर में साहसिक पर्यटन (Tourism) की अपार संभावनाओं को देखते हुए यहां के स्थानीय युवाओं द्वारा मोहन चट्टी हेंवल घाटी से क्वीराळ गांव के घने जंगलों के बीच से भैल्डुंग की दुर्गम चट्टानों को पार करते हुए यमकेश्वर में एक नए ऐतिहासिक ट्रैक को खोजने का प्रयास किया गया है। चूंकि वे स्वयं सेना में रहते हुए बड़े-बड़े पर्वतारोहण कर चुके हैं, ऐसे में क्षेत्र के इस ट्रेक का उन्होंने ही नेतृत्व किया।

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सुदेश भट्ट बताते हैं कि यमकेश्वर पर्यटन (Tourism) के क्षेत्र में देशी विदेशी सैलानियों की पहली पसंद बनता जा रहा है, लेकिन अपार प्राकृतिक संसाधनों के बाद भी सरकार यहां पर साहसिक पर्यटन को धरातल पर उतार पाने मे असफल साबित हुई है।

साहसिक पर्यटन (Tourism) के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बाद भी यमकेश्वर को साहसिक पर्यटन के क्षेत्र मे वो पहचान नहीं मिल पाई, जो मिलनी चाहिये थी। इस बात पर गौर करते हुये स्थानीय समाजसेवी भगत राम जोशी एवं सुदेश भट्ट ने संयुक्त रूप से एक साहसिक ट्रैक की खोज करने का फैसला लिया व हेंवल घाटी से शुरू कर इसे प्रसिद्ध सिद्ध पीठ गैणा डांड से जोडऩे की पहल कर साहसिक पर्यटन व तीर्थाटन को एक साथ जोडऩे का साहस पूर्ण कदम उठाया।

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भगत राम जोशी के अनुसार हमारी टीम ने सुबह 4:45 बजे पर हेंवल घाटी के पर्यटन (Tourism) प्रतिष्ठान कैंप नंदनवन एवं योग माया रिजोर्ट के सामुहिक प्रयास से दल को रवाना किया। जिसमें रास्ता काफी दुर्गम व चुनौतीपूर्ण भरा रहा। वीरान जंगलों की दुर्गम पगडंडियों से होते हुये रस्सियों के सहारे दल ने संघर्ष करते हुए व सुदेश भट्ट के पर्वतारोहण के अनुभवों का लाभ उठाते हुए खड़ी चट्टानों को पार कर निरंतर आठ घंटे चलने के बाद दल प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गैंणा डांड पहुंचा।

गैंणा डांड की गगनचुंबी चोटी से समस्त यमकेश्वर समेत हेंवल घाटी व तालघाटी के विहंगम दृश्यों का नयनाभिराम दृश्य मंत्रमुग्ध करने वाला था। यह देख ट्रैकिंग दल को काफी प्रसन्नता हुई।

भगत राम जोशी ने बताया कि ट्रैकिंग का उद्देश्य क्षेत्र में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं में रोजगार के प्रति आत्मनिर्भरता के भाव उत्पन्न कर उन्हें जागरूक करना है।

अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सुदेश भट्ट ने सरकार से इस तरह के साहसिक पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा देने के लिए सरकार से गुहार लगाई कि यदि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में जंगलों के बीच पगडंडियों को बेहतर ढंग से बनाकर ट्रैक के रूप में विकसित करें तो यहां पर साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में जहां शिला रोहण, रौक क्लांईम्बिग, रैपलिंग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं पर्यावरण प्रेमियों के साथ-साथ वन्य जीव एवं पक्षी प्रेमियों को भी यमकेश्वर की ओर आकर्षित किया जा सकता है।

यदि क्षेत्र में इस साहसिक पर्यटन (Tourism) की गतिविधियां बढेंगी तो इसके माध्यम से स्थानीय युवा गाइड व ट्रैकिंग एजेंसियों की शुरुआत कर आत्मनिर्भर भारत के तहत अपने स्वरोजगार की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे क्षेत्र से हो रहे पलायन पर विराम लग सकता है।

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सुदेश भट्ट ने कहते हैं कि यदि सरकार इस महत्वपूर्ण व युवाओं के प्रति दूरगामी सोच का नमूना पेश कर इस योजना में सहयोग करती है तो उनका अगला लक्ष्य हेंवल घाटी को ताल घाटी, यमकेश्वर घाटी से होते हुए मालन घाटी तक जोड़कर क्षेत्र के समस्त सिद्ध पीठों को एक साथ जोड़कर साहसिक पर्यटन (Tourism) को तीर्थाटन से जोड़कर यमकेश्वर को वैश्विक पटल नई पहचान दिलाने का रहेगा। जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा।

ट्रैकिंग दल में अजय भट्ट व अंकित भट्ट जैसे कर्मठ युवाओं ने टीम का हिस्सा बनकर अपना पूर्ण योगदान दिया।

कुल मिलाकर उपरोक्त ट्रैकिंग क्षेत्र के बारे में पढ़कर एहसास होता है कि यदि पर्यटन (Tourism) विभाग इसमें सहयोग कर इस दिशा में काम करता है तो वह दिन दूर नहीं, जब यह क्षेत्र साहसिक ट्रैकिंग क्षेत्र के लिए न सिर्फ प्रदेश में प्रसिद्ध होगा, बल्कि देश-विदेशों के पर्यटकों की इस ओर आवक बढ़ेगी। अब देखना यह होगा कि पर्यटन विभाग की नजर इस शानदार ट्रेकिंग की नजर इस ओर कब तक पड़ती है!

 

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